STORYMIRROR

Satish Kumar

Others

3  

Satish Kumar

Others

वो रात

वो रात

3 mins
318

उस रात मुझे बहुत सारा काम करना था। स्कूल में सारे सब्जेक्ट की प्रोजेक्ट मिली थी। और मुझे रातों-रात बनाकर अगले दिन जमा करना था। मुझे लगा कि अगर कल जमा नहीं किया तो मुझे वह हर सब्जेक्ट में पांच नंबर नहीं मिलेंगे। इसलिए मैंने ठाना था कि चाहे जो हो जाए , मुझे रातों-रात सारे सब्जेक्ट की प्रोजेक्ट बनानी है। वैसे प्रोजेक्ट को मिले पांच दिन गुजर चुके थे। लेकिन मैं उन पांच दिनों में नहीं बनाया क्योंकि मुझे याद ही नहीं था कि मुझे प्रोजेक्ट भी बनाना है। उस रात मैं बहुत घबराया हुआ था क्योंकि यह कोई छोटी मोटी बात नहीं थी। मैंने अपनी दोस्त गरिमा को कहा कि "क्यों ना हम दोनो साथ रात भर जागकर प्रोजेक्ट बनाएं? " वह मेरे साथ थी यानी कि हम कॉल पर बात कर सकते थे। हमने प्रोजेक्ट बनाना शुरू भी किया। पहले मैंने यह सोचा कि रात के बारह घंटों में मैं कैसे-कैसे अपना पूरा काम कंप्लीट कर लूंगा। दस बजे तक तो हमने ना ही कॉल किया नहीं कुछ और उसके बाद मैंने उसको वीडियो कॉल किया और वीडियो कॉल पर एक दूसरे को हम देखते रहे और प्रोजेक्ट बनाते चले गए। जैसे-जैसे समय बीतता गया हमारी आंख नींद से बोझिल होती चली गईं। बहुत कठिन था वह वक्त, बहुत मुश्किल, हमारे लिए कि अपनी नींद को रोक कर अपने काम पर ध्यान दे । मेरे लिए पहली रात थी जिस रात मैं सारी रात जागने वाला था। धीरे-धीरे जब एक बजे तो मुझे जोर से भूख लगी। मुझे समझ नहीं रहा आ रहा था कि इतनी रात को किचन में कुछ खाने को होगा भी या नहीं। मैं किचन में गया फ्रीज खोला पर वहां मुझे कुछ भी ना मिला। तो फिर मैं जाकर अपने लिए कॉफी बनाया और और उसी के सहारे मैंने रात गुजारी। काॅफी पीने के बाद जब मैं प्रोजेक्ट बनाने बैठा तो मेरा मन किया कि मैं दस मिनट आराम कर लूं। इसलिए मैं उसके साथ बात करने लगा और पता ही नहीं चला कि बात करते-करते आधे घंटे बीत गए। जब रात के तीन बजे तो उस वक्त भी मेरे लिए प्रोजेक्ट कंप्लीट करना एक पहाड़ ही था। मैं बहुत डर सा गया था कि मेरे पास चार घंटे और हैं, और चार घंटे में मुझे बहुत सारा काम करना बाकी है। जब मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि उसका दो घंटे का काम और बाकी है। जो कि जल्द हो जाएगा जबकि मेरा चार घंटे से ऊपर काम बाकी था। तो मैंने अपने काम करने की स्पीड को बढ़ाया और धीरे-धीरे जब सुबह हुई तो मेरे सारे काम हो चुके थे। मैं स्कूल जाने से बीस मिनट पहले तक अपना प्रोजेक्ट बनाता ही रह गया था। लेकिन अब स्कूल गया तो मेरा प्रोजेक्ट तो सबमिट हुआ था लेकिन उन लोगों को तीन दिनों का और वक़्त मिला जिन लोगों का प्रोजेक्ट कंप्लीट नहीं हुआ था। तो मैंने भी सोचा कि अगर नहीं बना पाता तो मुझे भी वक़्त मिला होता। लेकिन फिर खुशी भी हुई क्योंकि मैंने जो संकल्प लिया था वह मैंने पूरा किया। सच कहूं तो मेरे संकल्प की पूरा होने के पीछे सबसे बड़ा हाथ गरिमा जोशी का है यानी मेरी सबसे अच्छी दोस्त का । अगर वो ना होती तो शायद मैं आधी रात से सो गया होता। क्योंकि मुझे आदत नहीं है सारी रात जागने की। पर उसने पूरी रात मेरे हाथ को थामे रखा। सारी रात हम बात करते रहे और अपने प्रोजेक्ट बनाते रहे। कभी यह महसूस नहीं हुआ कि हमारा मन प्रोजेक्ट बनाने में नहीं लग रहा है।


Rate this content
Log in