Satish Kumar

Others

5.0  

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दो रास्ते

दो रास्ते

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मैं एक विद्यार्थी हूं और मेरे लिए पढ़ाई से ज्यादा महत्व और किसी भी चीज कि नहीं होनी चाहिए। मुझे यह बात पता है फिर भी मैं खुद को गलत राहों पर जाने से रोक नहीं पाता। मुझे पता है कि इन पथरीली रास्तों से चलकर आगे मुझे अनोखे फल मिलेंगे। लेकिन मैं अभी के फूलों से भरी रास्तों पर जाना पसंद करता हूं। लेकिन मुझे पता है कि इन फूलों की रास्तों में आगे सिर्फ और सिर्फ खाई ही है।


मैं धीरे-धीरे खोता चला जा रहा हूं उस दुनिया में जिस दुनिया को कुछ लोग कहते हैं कि यहां शामे रंगीन होती है और बातें हसीन होती है। हां, मैं डूबता चला जा रहा हूं किसी के प्यार में। वह मुझसे बहुत प्यार करती है। मैं उससे प्यार करता हूं। लेकिन प्यार के कारण मैं अपनी जिंदगी को बर्बाद कर दूँ यह किसी भी तरह सही नहीं है। आज से कुछ महीने पहले मैं स्टेट चैंपियनशिप था। लेकिन आज रैंक मेरा गिर चुका है। मैं रैंक वन से रैंक 17 पर आ चुका हूं। मुझे पता है कि मेरी गलती क्या है लेकिन वजह जानने के बाद भी मैं अपनी गलती को नहीं सुधार पा रहा हूं। मुझे समझ नहीं आता मैं क्यों खुद को नहीं रोक पा रहा। शिक्षक कहते हैं कि इस उम्र में बच्चों के पास अनंत शक्तियां होती है, वह जो चाहे वह कर सकते हैं। क्या सच में ऐसा होता है?


 मैंने बहुत सारे ख़्वाब देखे हैं। ऐसे ऐसे ख़्वाब देखे हैं जो पूरा करना बहुत ही मुश्किल सा लगता है। लेकिन हां मेरे अंदर उसे पूरा करने की आग भी है लेकिन धीरे-धीरे वह आग बूझती चली जा रही है ,सिर्फ और सिर्फ किसी के प्यार-मोहब्बत के कारण। मैं चाहता हूं कि मैं उससे दूर भी ना जाऊं और अपनी मंज़िल को भी पा लूं। 6 महीने से मैं यही तो करता आ रहा हूं लेकिन मैं और ऊपर बढ़ने की बजाए मैं नीचे चला रहा हूं।

मैं चाहता हूं कि मैं खुद को रोक लूं उस अंधेरी गली जाने से। मैं चाहता हूं कि मैं संभाल लूं अपने जीवन के अनोखी डोर को।


जिस रास्ते पर आज मुझे चलना चाहिए उन रास्तों पर सिर्फ और सिर्फ नुकीले पत्थर ही हैं। वैसे पत्थर जो शायद आने वाले वक्त में टूट टूट कर सुनहरी मिट्टी बन जाएंगे। जिनमें अनोखे पौधे जन्म लेंगे जिसमें से अति खुशबूदार फूल खिलेंगे और जो जन्म देंगे अति मीठे फल को।


लेकिन मैं चल रहा हूं उन फूलों भरी रास्तों पर जिन पर चलकर मेरे पाँव तो मुलायम हो जाएंगे लेकिन वही फूल जब सुख कर गड़ने लायक हो जाएंगे तो मेरे मुलायम से पाँव में चुभेंगे। वही फूलों की टहनियाँ के कांटे मेरे मुलायम से पैरों से नफरत करेंगे। मेरे पैरों में छाला देकर मुझे याद दिलाएंगे वो क्षण जिस वक्त मैंने पथरीली रास्तों को छोड़ कर फूल भरी रास्तों को चुना था।


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