STORYMIRROR

Sajida Akram

Drama

3  

Sajida Akram

Drama

मेहनतकश हाथ

मेहनतकश हाथ

2 mins
241

आज से 30 वर्ष हले हम रायसेन ट्रांसफर पर गये, वहां पर घर के काम करने के लिए रईसा आती थी। वह बी. कॉम. करने के लिए तैयार हो गई। वो पास के गांव से आती थी, बहुत मेहनतकश थी ,धीरे-धीरे उसने बताया के हम पहले यहां पत्थर की खदानों में पत्थर तोड़ने का काम करती थी।

"उसने जो बताया उन बात के बारे में हमने न्यूज पेपर में पढ़ा था, मगर हम ये सोचते थे के आज़ादी के बाद भी क्या पत्थर खदान मॉफिया आज भी सक्रिय हो सकता है।

रईसा ने बताया के हम करीब 3000 परिवार पत्थरों की खदानों के पास झुग्गियों में रहते थे। वहां हम लोगों को बंधक बना रखा था, खदान माफिया कहीं भी जाने नहीं देते थे, कई घंटों काम करवाया करते, अगर कोई बीमारी से मर जाता तो वहीं दफन कर देते।

हम लोगों ने, हमारे में एक लड़का थोड़ा नेता था, उसने उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई मगर उसको बहुत प्रताड़ित किया।

 एक दिन वो मौक़ा देखकर भाग कर पुलिस के पास, पुलिस तो खदान माफिया के साथ थी, उसने पुलिस में जाने से पहले भोपाल में पत्रकारों से भी मिलकर "खदान माफिया" की वहाँ किस तरह की तकलीफें देते हैं, औरतों, बच्चियों के साथ'यौन शोषण हो रहा है हम लोगों को "माफिया "ने बंधुआ मजदूर बनाने के लिए हम गरीबों से खाली काग़ज पर दस्तख्त कर सारे मज़दूरों के उपर पैसा उधार लेने का झूठा और चोरी करने के इलज़ाम लगाकर हम सब को बंधक बना रखा है।

पत्रकारों ने खूब पेपर में लिखा तब सरकारों की नींद खुली "खदान माफिया"के डान को गिरफ्तार करने पुलिस पहुंची तो उनकी गुंडों की अपनी सेना थी खुब फायरिंग हुई।

 रईसा की बातें और उसने बतलाया हम सब के हाथों में जख़्मों से ख़ुन रिसता था, ऐसे हम सब को पुलिस ने बंधुआ मजदूरी से आज़ाद करवाया।

 आज हम लोग अपने घरों में इज़्ज़त से दो वक़्त की रोटी खा पा रहे हैं...

 मेहनतकश लोगों को बहुत तकलीफ उठानी पड़ी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama