मदद बेजुबानों की
मदद बेजुबानों की
"कूं कूं " अचानक नन्ही सी परी को दरवाजे पर एक आवाज़ सुनाई दी। दरवाजा खोलने पर उसने पाया एक छोटा सा पिल्ला बारिश में भीगा खड़ा है शायद वो भूखा था।
" परी कौन है दरवाजे पर !" अंदर रसोई से परी की मम्मी स्मिता की आवाज़ आई।
" मम्मा पप्पी है छोटा सा भूखा है आप उसे दूध ब्रेड दे दो ना!" परी अपनी मम्मी से बोली।
" परी बेटा दूर हो जाओ तुम उसके पास से काट लेगा वो !" स्मिता जल्दी से बाहर आ बोली.... हे श...श... भागो यहां से!" स्मिता परी को दूर हटा पिल्ले को भगाने लगी।
" मम्मा वो नहीं कटेगा कितना प्यारा है वो आप उसे भगाओ मत ना उसको भूख लगी है आप दूध दे दो ना इसे।" परी वापिस दरवाजे पर आ रोते हुए बोली।
" पर परी इसे दूध किस चीज में दूं मैं ऐसे घर के बर्तन थोड़ी खराब करूंगी!" स्मिता बोली।
" मम्मा आप इसे मेरे बार्बी वाले बाउल में दे दो दूध बेचारा भूखा है !" परी मासूमियत से बोली बच्ची की मासूमियत देख स्मिता को हंसी आ गई ।
उसने एक पुराना कटोरा निकाला और उसमे दूध ब्रेड डाल पिल्ले को से दी पिल्ला वो कहने लगा तो नन्ही परी खुश हो गई। पिल्ला दूध ब्रेड खाकर दरवाजे पर ही लेट गया। स्मिता दरवाजा बन्द कर अपने काम में लग गई।
" मम्मा पिल्ले का घर कहां है? परी रसोई में आ बोली।
" बेटा ऐसे पिल्लों या कुत्तों का कोई घर नहीं होता ये सड़क पर रहते हैं!" स्मिता काम करती हुई बोली।
" तो मम्मा ये खाते क्या हैं जब इनका घर नहीं तो खाना कैसे बनता है इनका!" परी ने फिर सवाल किया।
" बेटा ये खुद से थोड़ी खाना बना सकते हैं ये तो किसी होटल के बाहर से बचा हुआ खाना या कूड़े में से ढूंढ कर खाते हैं और अपना पेट भर लेते हैं!" स्मिता प्यार से बोली।
" पर मम्मा अभी तो लोकडाउन में होटल बन्द है फिर ये क्या खाते होंगे .... क्या ये भूखे रहते होंगे !" परी ने फिर सवाल किया।
नन्ही बच्ची का मासूमियत भरा सवाल सुन स्मिता सोच में पड़ गई ओह परी सच बोल रही इन बेचारे मासूम जानवरों का पेट कैसे भरता होगा सब होटल रेस्टोरेंट तो बन्द हैं घरों में भी लोग सोच समझ कर लिमिटेड खाना बना रहे।
" बेटा आज से हम लोग अपने आस पास के कुत्तों को खाना खिलाएंगे ज्यादा तो नहीं कर सकते पर थोड़ी मदद तो हम इनकी कर ही सकते हैं ना !" स्मिता परी को गोद में उठा बोली।
" ये.... हम पिल्लों को रोटी देंगे पिल्ले भूखे नहीं रहेंगे अब!" परी खुश हो बोली।
स्मिता ने 8-10 रोटियां फालतू बनाई और 1-2 पुराने बर्तन निकाले उसमे थोड़ा दूध थोड़ा पानी डाला और दोनों बर्तनों में रोटियां भिगो अपनी सोसायटी ये बाहर रख दिए ।
खाने की खुशबू सुन आस पास के 3-4 कुत्ते आ गए और खाने लगे उनको खाते देख परी खुशी से तालियां बजाने लगी।
अब स्मिता का रोज का काम था ये रोटियां ज्यादा बनाना और उन्हें पानी मिले दूध में भिगो बाहर रख आना।
" अरे स्मिता ये क्या कर रही हो !" एक दिन उन बर्तनों में खाना डालते देख स्मिता की पड़ोसन रीना बोली।
" हम कुत्तों को खाना खिला रहे हैं आंटी!" स्मिता की जगह परी ने उत्तर दिया।
" हां रीना होटल बन्द हैं तो बेजुबान भूखे हैं तो मैं अपनी तरफ से छोटी सी मदद कर रही इनकी!" स्मिता बोली।
" अरे वाह ये तो बहुत अच्छी बात है हमने तो ऐसा सोचा ही नहीं अबसे मैं भी ऐसा ही करूंगी !" रीना बोली।
स्मिता से रीना रीना से नताशा और ऐसे करके बहुत सी औरते कुत्तों के लिए खाना डालने लगी कुछ औरतों ने पुराने बर्तन भी निकाल दिए तो अब वो थोड़ा दूर जाकर भी खाना रख कर आने लगी जिससे ज्यादा से ज्यादा कुत्तों का पेट भर सके।
दोस्तों लोग अपने बारे में सोचते अपने अपनों के बारे में भी सोचते पर इन बेजुबान जानवरों के बारे में सोचने वाले बहुत कम हैं कोशिश कीजिए आपके यहां आप कम से कम एक बेजुबान का पेट भर सकें इससे आपको ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा पर एक जीव पेट भर सकेगा अपना... यकीन मानिए आपको बहुत अच्छा लगेगा। और हो सकता आपको देख और लोग भी इनकी मदद करें।
कैसा लगा आपको मेरा सुझाव बताइएगा जरूर।