"मौत से बैखबर जिदंगी का सफर"
"मौत से बैखबर जिदंगी का सफर"
हमें खुद को जिदंगी का पता नहीं हैं।
परन्तु हम दुुुसरे कि जिदंगी छीन लेते हैं।
जैैसे कई बारअखबार में खबर छपती हैं।
कि दिन दहाड़े बैैंक मैंंनेजर को गोली
मार कर भाग रहे।
सभी लुटेरों कि कार दुर्घटना
मेंं मौके पर ही दर्दनाक मौत।
कई बार ऐसी घटनााएं सुनने मेंंआती हैं।
कि चलती बस ट्रेन मेंं चालक हवाई जहाज
मेंं पायलट कि हार्टअटैक से मौत।
हमें जिदंगी केअगले पल का भरोसा नहीं हैं।
फिर भी हम जिदंगी मेंं बहुत बुरे कर्म
दुष्कर्म करने से बाज नहींआते हैं।
दुुनियां कि धन दौलत शौहरत वैभव
महल सत्ताशक्ति सभी यही छुट जायेंगी।
खाली हाथ आये थे।
खाली हाथ ही जायेंगे।
फिर हम किसलिए कमजोर गरीबोंं लाचारों
परअन्यायअत्याचार कर रहेे हैं।
यह विचारणीयआघ्यात्मिक यज्ञ प्रश्न हैं।
बिना सोचें विचारें यह वैहरथ कि बाथापची हैं।
जब यह तयशुदा बात एकदम सच हैं।
कि हमारे साथ कुछ नहीं चलेगा।
तब जिंंदा रहने को तो दो जून कि रोटी चाहिए।
फिर यह वैहरथ किअकड़अज्ञानता
किस लिए दिखा रहे हैं।
इसलिए हम सभी इंंसान जियोऔर जिने दो।
अहिंसा के सिंंद्धात कोअपनालोंं।
हम सुधरेंंगे बाकी दुुनियां स्वत:सुधरेंंगी।
सकारात्मक सुधार कि पहल हमें करनी हैं।
सामाजिक भाईचारा ईसांंनियत
जिंंदा रहनी चाहिए।
यही तो मौत से बैखबर जिदंगी का सफर हैं।