Mr Kaushal N Jadav

Abstract

5.0  

Mr Kaushal N Jadav

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मौत का गुरुर

मौत का गुरुर

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अपनी औकात में रहना सीख जाओ

क्योंकि मौत ने कभी बादशाहो को भी

मुड़ के नहीं देखा हमें क्या देखेंगी।


पलट के देखो उन बादशाहों को

जो सुपूर्द ए खाक हो गए

निगाहें झुकी रही

और हुई बादशाहत खत्म


और वो भी ज़न्नत नशीन हो गए

गुरूर हो अपनी होशियारी पर

तो मुड़ के देख उन रास्तो को


जहां से तू गुज़रा था

वो आज भी शरीक है वहीं

बदली है यह दुनिया पर

तेरी मंज़िल वही है।


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