MITHILESH NAG

Drama

5.0  

MITHILESH NAG

Drama

मैं फिर भी पराई ही रहूंगी

मैं फिर भी पराई ही रहूंगी

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आरती और उसका भाई वेद दोनों में कभी नही बनती थी किसी न किसी बात पर झगड़ा होता रहता था।उसकी माँ सीता उनके झगड़े से परेशान हो गयी थी।


“देख, मुझे वेद क्या बोल रहा है।” (रोते रोते )


“तेरी ही कोई गलती होगी इसलिए ये तुम बोलता था, नही तो बे वजह कुछ नही बोलता।” (गुस्सा करते)


वेद बहुत खुश होता कि माँ मेरा ही साथ देती है और इस लिए इसका मन और बढ़ जाता है। धीरे धीरे ये कुछ भी बोलता रहता था।


आरती मुँह ढक कर रोते रोते सो जाती है। वो अपने आप को भला बुरा बोलती रहती,

“पता नही ऐसे घर मे क्यो जन्म ले लिया, जहाँ बेटी को गाली और भाई की मार मिलती है।”


अगली सुबह....

सुबह सुबह जब आरती चाय बना रही थी उसी टाइम उसका भाई उसके ऊपर पानी डाल देता है। वो गुस्से में आ कर मारती है लेकिन वेद ही उसके सिर पर मार देता है। फिर भी ये सब देख कर उसकी माँ फिर भी कुछ नही बोली।


कुछ दिन बाद...

एक दिन वेद कुछ पैसे रखे हुए थे, उसको वो चुरा लिया इल्जाम आरती पर लगा दिया और गुस्से में माँ ने आरती को मारने लगती है।

“मैं नही लिया है पैसे, वो वेद लिया है।”


माँ को सब पता भी था, लेकिन फिर भी वेद को कुछ न बोल कर आरती को हमेशा कुछ ना कुछ बोलती थी,

“वही तो मेरा बुढ़ापे की लाठी है, तुम्हारा क्या तुम्हरी तो शादी हो जाएगी तो कौन मुझे देखेगा।”


अब आरती खूब रोने लगी लेकिन किसी को कुछ फर्क नही पड़ा...

रोते रोते बस यही बोली...

“क्या एक बेटी अपने माँ-बाप की सेवा नही करती क्या बस लड़के ही सब करते है, इसका तो मतलब यही हुआ की बेटी का जन्म बस बोझ और पराई होती है। पूरी जिंदगी माँ मैं कुछ भी कर लूं लेकिन तुम्हारे नज़र में, मैं फिर भी पराई ही रहूंगी।”



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