मैं हूँ ना
मैं हूँ ना
आज दिल बहुत उदास था । मि.सिन्हा सुबह दूध लेने निकले एक ट्रक से एक्सीडेन्ट होगया और वह उन्होंने उसी स्थान पर दम तोड दिया । उनकी बेटी पल्लवी का रो रो कर बुरा हाल था । पल्लवी मेरी क्लास में पढ़ती थी । पल्लवी और उसका भाई प्रतुल दोनों की इंजीनियरिंग का आखिरी साल था । पल्लवी की मम्मी रूचिका तो बिलकुल पत्थर की तरह बैठी थी । सब रिश्ते दार आगये थे ।
ये सारा नजारा देख कर मुझे अपनी जिन्दगी का दुखद पहलू आंखों के सामने आगया । हम चारों भाई बहन पढ़ रहे थे । पापा का बहुत अच्छा व्यापार था । किसी से कोई दुश्मनी ना थी । एक दिन फैक्ट्री से पापा आरहे थे बस लूट के उद्देश्य से बदमाशों ने गोली चला दी अधिक पैसा भी पास नहीं था पर पापा को गोलियाँ लगी और हमारे परिवार का सब कुछ खत्म हो गया ,मां तो बिलकुल टूट गयी थी पर ऊपर से बहुत शान्त होकर पूरा व्यापार संभाला । हम बच्चे रोते थे पर मां की आंखों में कभी आंसू नहीं देखे । यही स्थिती पल्लवी की मां रुचिका की थी । सब रिश्ते दार अपनी अपनी सलाह दे रहे थे । रूचिका उठी और पल्लवी व प्रतुल को बाहों के घेरे में लेकर बोली बस बेटा मै हूँ ना । तुमको पापा का सपना पूरा करना है।
मैने मन ही मन नमन किया सोचा इतनी शक्ति मांमें कहां से आजाती है।