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Lokesh Dangi

Abstract Fantasy Others

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Lokesh Dangi

Abstract Fantasy Others

मैं और मेरी अधूरी कहानी"

मैं और मेरी अधूरी कहानी"

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कभी-कभी सोचता हूँ, अगर मेरी ज़िंदगी एक किताब होती, तो क्या मैं उसे लिखने की हिम्मत कर पाता? शायद नहीं। क्योंकि जो दर्द मैंने जिया है, उसे शब्दों में ढालना आसान नहीं। फिर भी, आज मैं अपने बारे में लिख रहा हूँ—एक लेखक, जिसकी अपनी ही कहानी अधूरी रह गई।


मुझे लिखने का शौक़ हमेशा से था। बचपन में जब लोग खिलौनों से खेलते थे, मैं कहानियों में खोया रहता। शायद इसलिए कि मेरी अपनी ज़िंदगी भी किसी अधूरी कहानी जैसी थी। माँ-बाप का साया बचपन में ही छूट गया था, और मैं रिश्तों की उलझनों में एक ऐसा किरदार बन गया था, जिसे किसी ने पूरी तरह समझने की कोशिश ही नहीं की।


लोग अक्सर सोचते हैं कि लेखक अपनी कल्पनाओं में जीते हैं, पर हकीकत यह है कि हर शब्द उनकी हकीकत से उपजा होता है। मैंने भी अपनी ज़िंदगी की सच्चाइयों को कहानियों में पिरोने की कोशिश की। जब दर्द असहनीय हो जाता, तो मैं कागज़ पर बिखर जाता। जब तन्हाई डराने लगती, तो मैं कहानियों में जीने लगता।


एक दिन मेरी ज़िंदगी में वो आई—एक मुस्कान की तरह, जिसने मेरी वीरान दुनिया में थोड़ी रौशनी भर दी। मुझे लगा कि शायद मेरी अधूरी कहानी अब पूरी हो जाएगी। पर काश, ज़िंदगी इतनी आसान होती! जिस तरह कुछ किताबों के पन्ने खो जाते हैं, वैसे ही वो भी मुझसे दूर हो गई।


आज मैं लिख रहा हूँ, पर हर शब्द भारी लगता है। मैं सोचता हूँ, क्या कोई मेरी इस अधूरी कहानी को पढ़ेगा? क्या कोई समझेगा कि एक लेखक की सबसे बड़ी त्रासदी यही होती है कि वो दूसरों की कहानियाँ पूरी करता है, मगर अपनी खुद की कहानी अधूरी रह जाती है?


शायद यही मेरी तक़दीर है—एक लेखक बनना, जो अपने ही जीवन की सबसे अच्छी कहानी कभी लिख ही नहीं पाया।



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