माय बेहोल्डिंग
माय बेहोल्डिंग
अगले दिन सुबह जब प्रेक्षा सो रहीं थीं तब उसके पास रेणु का फोन आया।
प्रेक्षा(फोन उठा कर):-हैलो।
रेणु:- गुड मॉर्निंग स्वीटहार्ट उठ जाओ सुबह हो गयी है।
प्रेक्षा:-गुड मॉर्निंग आज तुझे सुबह सुबह मेरी याद कैसे आई ?
रेणु:- मैंने ये पूछने के लिए फोन किया है आज शाम को तू क्या पहनने वाली है इंडियन या वेस्टर्न।
प्रेक्षा:- क्यूँ आज शाम को ऐसा क्या है?
रेणु:- वाह वाह।मैडम भूल गयी आज क्या है।अब ये भी मुझे ही याद दिलाना पड़ेगा।
प्रेक्षा:- देख तू सुबह सुबह बकवास मत कर बोल ना क्या बात है ?
रेणु:- अरे मैडम आज सिंघानिया सर के घर पर पार्टी है और पूरे स्टाफ को उन्होंने बुलाया है।
ये सुन प्रेक्षा एकदम से उठी और सोच में पड़ गयी।
रेणु:- हैलो कहा खो गयी अब?हैलो
प्रेक्षा:- हाँ।
रेणु:- क्या हुआ?
प्रेक्षा:- यार मैं बिल्कुल भूल गयी ना मैंने दादी से पूछा।
रेणु :- यार इतनी बड़ी पार्टी के बारे में तू भूल कैसे सकती है।चल एक काम करती हूँ मैं तेरे घर आ जाती हूँ फिर एक साथ दादी से पूछ के साथ मे ऑफिस निकल जाएंगे।
प्रेक्षा:- हाँ ये ठीक रहेगा तू साथ रहेगी तो दादी को तसल्ली रहेगी।
रेणु:- पर एक शर्त है।
प्रेक्षा:-अब क्या है?
रेणु:- मुझे तेरे हाथ के पोहे खाने है तो तू बना के रखना मैं नाश्ता वही करुँगी।
प्रेक्षा:- ठीक है मेरी माँ आजा।
रेणु:- 30 मिनट में आती हूं ओके बाय।
प्रेक्षा:- बाय।
प्रेक्षा फटाफट नहा धो कर नीचे आती है।रोज की तरह अजित जी अख़बार पढ़ रहे थे और दादी उनके लिए चाय बना रहीं थीं।
प्रेक्षा:-गुड मॉर्निंग दादू।
अजित जी:- गुड मॉर्निंग बेटा।आज जल्दी उठ गयी।
प्रेक्षा:- हाँ दादू वो रेणु घर आ रहीं है उसे मेरे हाथ के पोहे खाने थे।
अजित जी :- अच्छा चलो आज इसी बहाने हमें भी तेरे हाथ के पोहे मिल जाएंगे।
इतने में रमा चाय लेकर आती है।क्या बातेँ हो रहीं है दादा पोती में।
प्रेक्षा:- अरे दादी आपने क्यूँ चाय बनाई आज बिरजू भैया नहीं आए क्या?
रमा:- वो तो आया है लेकिन तेरे जो ये दादा हैं ना इन्हें मुझे परेशान करने मे मजे आते है बोलते है रमा आज तेरे हाथ की चाय पीने का मन कर रहा है।तो इनकी इच्छा पूरी कर रहीं थीं।
अजित जी :- हाँ तो मैं पति हूँ मेरा मन हुआ अपनी पत्नि की हाथ की चाय पीने का तो क्या गलत है इसमें।क्यूँ प्रेक्षा बेटा।
प्रेक्षा:- हाँ दादू कुछ गलत नहीं है।आप दोनों साथ मे कितने प्यारे लगते हों।बेस्ट दादा दादी एवर।
रमा:- अच्छा और तू बेस्ट पोती।लेकिन ये बेस्ट पोती आज इतनी जल्दी कैसे उठ गयी।
प्रेक्षा:-अरे थैंक्यू दादी आपने याद दिला दिया मैं किचन में जाती हूँ।आपको दादू बता देंगे।
प्रेक्षा कह कर किचन मे चली जाती है।
रमा:- अरे इसे क्या हुआ सुबह सुबह किचन में।
अजित जी :- अरे वो रेणु आ रहीं है उसके प्रेक्षा के हाथ के पोहे खाने थे बस वही बनाने गयी है ।
रमा :- अच्छा।
रमा और अजित जी चाय पी रहे थे तभी दरवाजे की घंटी बजती है।
रमा:- बिरजू दरवाजा खोलना शायद रेणु आई है।
बिरजू:- जी दादी।
बिरजू दरवाज़ा खोलता है तो सामने रेणु होती है।
रेणु दादी दादा के पास आकर:-गुड मॉर्निंग दादी गुड मॉर्निंग दादाजी।
रमा और अजित जी एक साथ :- गुड मॉर्निंग बेटा।
रेणु:- कैसे हो आप दोनों बहुत दिन हो गए थे आप लोगों से मिले आज सोचा आप लोगों से मिलने आ जाऊँ।
रमा(रेणु का कान पकड़ते हुए):- अच्छा बेटा मैं दादी हूँ ,पोहे खाने के लिए कितना झूठ बोलेगी।
रेणु:-आ दादी दुख रहा है।
अजित जी :- रमा छोड़ दो उसे दर्द हो रहा है।कैसे भी आई हो वो हमसे मिलने तो आई।
रमा रेणु का कान छोड़ देती है ।
रेणू:-दादी वो तो बहाना है मुझे तो आपसे मिलना था एक बात भी करनी थी और प्रेक्षा को भी जल्दी उठाना था। वर्ना लेट तक सोती रहती।
रमा :- वो सब तो ठीक है लेकिन बात क्या करनी थी ।
रेणू की आवाज सुन प्रेक्षा किचन से बाहर आती है।
प्रेक्षा:- आ गयी तू।बिरजू भैया आप नाश्ता लगा दो इतने मैं पूजा करके आती हूं ।
बिरजू:- जी दीदी।
प्रेक्षा मंदिर की तरफ जाती है और पूजा करने लगती है सभी मंदिर आ जाते है और साथ मे पूजा करते है।प्रेक्षा सबको आरती देती है और सब नाश्ते की टेबल पर आ जाते है।
रेणू:- वाह आज तो पोहे मिल गए नाश्ते मे मजे आ जाएंगे।
प्रेक्षा:- खूब सर बना दिए अब पेट भर कर खा।बिरजू भैया सब्ज़ी बन रहीं है उसके बाद मेरा टिफिन पैक कर देना और हाँ आप भी पोहे खा लेना।
बिरजू:- जी दीदी।
रेणु:- अरे वो तेरी चोट कैसी है अब?
रेणु के बोलते ही प्रेक्षा ने उसे आंख दिखाई।
रमा:- चोट कैसी चोट।
रेणु समझ गयी कि प्रेक्षा ने उन्हें कुछ नहीं बताया।और चुपचाप खाने लगी।
रमा:-दोंनो चुप क्यूँ हो।कहाँ लगी है?
रमा प्रेक्षा को हाथ लगा कर देखती है तब उनका हाथ प्रेक्षा के सीधे हाथ की कोहनी पर लगता है तो प्रेक्षा की दर्द से आह निकल जाती है।
प्रेक्षा ने लम्बी बाजू का कुर्ता डाला हुआ था जिससे किसी को पता ना लगे।रमा ने बाजू को उपर किया तो देखा प्रेक्षा के हाथ पर पट्टी बंधी हुई है।
अजित जी :- बेटा ये चोट कैसे लगी कल रात को इसलिए तू सीधे कमरे में चली गयी थी।और फिर वही पूरी बाजू का कुर्ता पहन लिया ताकि पता ना चले।ये गलत बात है।
रमा:- मुझे तुम दोनों मे से कोई ये बताएगा की ये लगी कैसे है ।
रेणु:- दादी मैं बताती हूँ।
रेणु अजित जी और रमा को सब बताने लगती है और वो ध्यान से सुनते है।
अजीत जी :- मेरी बेटी बहुत बहादुर है।बेटा वो बच्ची तो ठीक है ना उसे चोट तो नहीं आयी।
प्रेक्षा:- हाँ दादू वो ठीक है।
रमा:- तू ये कारनामे करती है तुझ पर गर्व भी होता है और गुस्सा भी आता है।जब लगी थी तो कल रात बताया क्यूँ नहीं।हल्दी वाला दूध बना देती वो पी लेती तो सही रहता।ला ये पट्टी खोल दूँ और दवा लगा दूँ।
रमा दवा लाती है और प्रेक्षा को लगाने लगती है।
प्रेक्षा(रेणु की तरफ गुस्से से देख कर कहती है):- तेरा खाना हो गया हो तो चलें।
रेणु:- खाना तो हो गया(प्रेक्षा के पास आकर जो करने आई थी वो तो कर लूँ)दादी दादाजी वो आपसे एक परमिशन लेनी थी
रमा :- कैसी परमिशन?
रेणु:- दादी वो आज हमारे बॉस ने शाम को अपने घर पर पार्टी रखी है और पूरे स्टाफ को बुलाया है जाना जरूरी है तो प्रेक्षा को भी जाना है।
रमा:- प्रेक्षा बेटा तूने बताया नहीं।
रेणु:- दादी ये खुद भूल गयी थी सुबह मैंने इसे याद दिलाया है ।
अजित जी :-ऑफिस कि पार्टी है ठीक है प्रेक्षा बेटा हो आओ
रमा:- अरे लेकिन शाम को अकेले और ये बड़े लोगों के पार्टी कैसे जाएगी।
अजित जी :- अभी तुमने सुना नहीं कल क्या हुआ था।हमारी बेटी बहुत बहादुर है।अजित जी रमा को आँखों से रमा को समझाते हैं।
रमा(समझते हुए):-ठीक है लेकिन तुम दोनों साथ रहना और टाइम पर घर आ जाना।
प्रेक्षा:- जी दादी।
रेणु:- चल शाम के लिए कपड़े ले ले।
प्रेक्षा और रेणु प्रेक्षा के रूम में जाते है।
रमा:-आपने जाने की इजाजत दे दी अकेले अनजान लोगों मे वो कैसे करेगी।
अजित जी:- रमा प्रेक्षा बड़ी हो गयी है 2 साल से नौकरी कर रहीं है आज तक ऑफिस से घर और घर से ऑफिस और कब तक हम उसे रोकेंगे उसे सबका सामना भी करना है और हिम्मत भी रखनी है। हम हमेशा उसके साथ नहीं रह सकते।उसे खुद को खुद सम्हालना सीखना होगा।
रमा:-लेकीन,
अजित जी :- लेकिन वेकिन कुछ नहीं आज कुछ हुआ तो हम है उसे सम्हालने के लिए कल को हम मर गए तब।
रमा कुछ सोचते हुए:- आप शायद सही कह रहे है यही सही रहेगा।
रेणु और प्रेक्षा आती है।
प्रेक्षा:-दादी मैं पक्का जाऊँ?
रमा(प्रेक्षा के सर चुनते हुए):- हाँ बेटा जा अपना ध्यान रखना और टाइम से आ जाना।
रमेश(प्रेक्षा के चाचा जो अपने रूम से आ रहे है):- अरे कहा जाने की बात हो रहीं है।
प्रेक्षा :- चाचा आज मेरे ऑफिस कि पार्टी है बस वही जा रहे है।
रमेश:- अरे वाह क्या बात है।आज तो कोई पार्टी करेगा।
प्रेक्षा:- जी और पार्टी में आपको कोई बिल्कुल भी याद नहीं करेगा।
रमेश(प्रेक्षा को चिढ़ाते हुए):- ओह कोई बात नहीं आज हम भी अपने दोस्त के साथ पार्टी करेगा।
सब हंसने लगते है।
प्रेक्षा:- जी दादी।बाय दादू।बाय चाचा।
सब प्रेक्षा को बाय बोलते है
रमेश:- माँ पापा आज बहुत दिनों बाद प्रेक्षा के चेहरे पर एक चमक देखी है।बस अब वो सब भूल कर आगे बढ़ें।
अजीत जी:- हाँ बेटा।
रेणु और प्रेक्षा ऑफिस के लिए निकल जाते है।
प्रखर अपने कैबिन में बैठा काम कर रहा है उसकी निगाह कभी घड़ी पर तो कभी गेट पर है।उसकी इस हरकत से साफ जाहिर हो रहा है कि वो किसी का बेसब्री से इन्तज़ार कर रहा है।
तभी प्रेक्षा और रेणु ऑफिस में आते है।प्रखर की नजर उन दोनों पर पड़ती है।उसकी आँखों मे एक चमक आ जाती है और चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान।
प्रखर को प्रेक्षा का ही इन्तज़ार था और वो काम छोड़ के उसे देखने लगता है।
प्रेक्षा:- चल मैं तुझे लंच में मिलती हूँ।
रेणु:- हाँ ओके।
प्रेक्षा अपने कैबिन में जाती है।अपने बालों को सही करती है जो स्कूटी पर बिखर गये थे।प्रखर बस प्रेक्षा को देखे जा रहा था।
प्रेक्षा अपने काम में लग गयी।कुछ देर बाद प्रेक्षा के कैबिन के फोन पर प्रखर का फोन आता है।
प्रखर:- गुड मॉर्निंग मिस प्रेक्षा प्रखर हेयर।
प्रेक्षा:- गुड मॉर्निंग सर।
प्रखर:- कैबिन मे आइए।
प्रेक्षा:- जी सर।
प्रेक्षा मन में कैबिन में क्यूँ बुलाया है कुछ गड़बड़ हो गयी क्या।कल तो उन्हें सारी इन्फॉर्मेशन सही लग रहीं थीं।अब शायद कुछ कमी लगी हो।मैं भी क्या सोच रहीं हूँ वहाँ जाऊँगी तभी पता लगेगा क्या बात है।
प्रेक्षा प्रखर के कैबिन को नोक करके:- मे आय कम इन सर।
प्रखर:-यस कम इन।
प्रेक्षा:- जी सर।
प्रखर:- आओ बैठो।
प्रेक्षा प्रखर के सामने वाली कुर्सी पर बैठ जाती है।
प्रखर:- आपने जो कल मुझे डिटेल्स दी थी मैं उस पर काम कर रहा था।कंपनी को जो डिजाइन चाहिए वो काफी यूनिक है।हमारी ज्वेलरी के लिए काफी न्यू रहेगा और इससे हमारी मार्केट इमेज और ज्यादा बढ़ जाएगी।मैंने यहां अभी अभी काम जॉइन किया है तो मैं चाहता हूँ की आप मेरे साथ इस प्रोजेक्ट पर काम करे।डिजाइन को कुछ हद तक मैंने कंपनी के हिसाब से तैयार किया है आप एक बार देख लीजिए फिर कंपनी को भेज कर उनका अप्रूवल भी ले लीजिए।
प्रेक्षा(फाइल लेते हुए):-ज़ी सर
प्रेक्षा फाइल को देखकर कहती है:- सर डिजाइन सही है लेकिन इनमे थोड़ी सा काम और बाकी है।
प्रखर:- मतलब आपको मेरा काम किया हुआ अच्छा नहीं लगा ।
प्रेक्षा डर गयी और मन मे सोचने लगी ये मैंने क्या किया बॉस लोग कभी गलत नहीं होते ये तो यूनिवर्सल टूथ है।और ये तो विलायत से सीख के आया है और तुने कमीं निकाल दी। अब तु अच्छे से डांट खा।
प्रखर हँसते हुए:- अरे आप तो डर गयी। मैं तो मज़ाक़ कर रहा था।अच्छा लगा कि आपने बिना डरे अपनी बात कही कोई भी परफेक्ट नहीं होता इसलिए तो मैंने आपसे मदद ली।और डेड ने तुम्हारी इतनी तारीफ की है तो वो बेवजह तो नहीं है।अब आप जो कमी है उसे पूरा कर दीजिए।फिर एक बार मुझे भी दिखा दीजियेगा।
प्रेक्षा :- ओके सर।
प्रेक्षा उठ कर जाने लगती है।
प्रखर:- एक मिनट प्रेक्षा।
प्रेक्षा(डरते हुए):- जी सर।
प्रखर:-कल आपके हाथ मे चोट लगी थी तो अब कैसा है आपका हाथ।
प्रेक्षा:- जी सर अब ठीक है।थैंक्यू।
प्रखर:- ओके टेक केयर।
प्रेक्षा अपने कैबिन मे आ जाती है और उन डिजाइन पर काम करने लगती है।
प्रखर भी कुछ पल प्रेक्षा के साथ बिताए पलों को सोच कर मुस्कान के साथ अपना काम कर रहा है।
कुछ घण्टों में प्रेक्षा ने अपना काम खत्म किया और उन्हें दिखाने प्रखर के कैबिन मे गयी।
प्रेक्षा प्रखर के कैबिन को नोक करके:- मे आय कम इन सर।
प्रखर:-यस कम इन।
प्रेक्षा फाइल प्रखर की तरफ बढ़ाते हुए:- सर ये डिजाइन में जो मुझे कमी लगी वो मैंने ठीक कर दी है।आप एक बार देख लो।
प्रखर नें फाइल ली और डिजाइन देखने लगा।
प्रखर(गुस्सा दिखाते हुए) :- प्रेक्षा मैंने सोचा नहीं था कि मेरे काम में कमी निकाल कर आप ये करके लाएगी।
प्रेक्षा थोड़ा डर जाती है लेकिन प्रखर अपने गुस्से को एक मुस्कान के साथ बदल कर कहता है:- आपने बहुत अच्छा काम किया है।मुझे खुशी है कि मैं आपके साथ काम कर रहा हूं आप वाकई काबिले तारीफ है।
प्रेक्षा गुस्सा और इस तारीफ के तरीके को समझ नहीं पाती है ।उसे सॉरी कहना है या थैंक्यू उसे समझ नहीं आता है।
प्रखर:- अरे डरने कि कोई बात नहीं है आपने बहुत अच्छा काम किया है और क्लाइंट को पसन्द भी आ जाएगा।मेरा वाला शायद ना आता लेकिन ये परफेक्ट है।
प्रेक्षा:- थैंक्यू सर।
प्रखर:- थैंक्यू तो मुझे आपको बोलना चाहिये।आप ये डिजाइन मेल कर दीजिए।
प्रेक्षा:- जी सर।
तभी सिंघानिया जी प्रखर के कैबिन में आते है।
सिंघानिया जी:- काम कैसा चल रहा है माइ सन ?
प्रेक्षा:-गुड मॉर्निंग सर।
प्रखर:- सब बढिय़ा चल रहा है डेड।और मिस प्रेक्षा मुझे हेल्प कर रहीं है।काफी होनहार है यें।
सिंघानिया जी:- हाँ ये हमे तो पता है तुम्हें अभी पता लगा होगा।
प्रखर:- हाँ डेड अभी पता लगा ये डिजाइन देखिए।
सिंघानिया जी डिजाइन देखते है और प्रेक्षा के काम की तारीफ करते है।
प्रखर:- डेड मार्केट बेस पर हमें इससे बहुत फायदा होगा।
सिंघानिया जी:- हाँ अच्छा लगा देख का तुम काम समझने के साथ साथ उसे आगे लेकर जा रहे हों।अब चलो तुम्हारी माँ ने आज घर जल्दी बुलाया है शाम को पार्टी है उसकी हेल्प के लिए।
प्रखर:- ओके डेड।
सिंघानिया जी:- कैबिन से बाहर आ जाते है।
प्रखर:- प्रेक्षा जी आप आ रहीं है ना शाम को।
प्रेक्षा:- जी सर।
प्रखर:-ओके बाय आपका इंतजार रहेगा।
प्रखर:- भी कैबिन से चला जाता है और प्रेक्षा उसकी बातों को हैरानी से सुन कर रह जाती है
प्रेक्षा अपने कैबिन मे आती है रेणु पहले से ही वहाँ उसका इंतजार कर रहीं है।
रेणु:- मैडम कितनी देर से तेरा वेट कर रही हूँ।तेरे पोहे कब के पच गए चले अब खाना खा लें।
प्रेक्षा:- हाँ चल।
दोनों कैन्टीन में आती है।
रेणु:- कैसा चल रहा है तेरा काम?
प्रेक्षा कोई जवाब नहीं देती है वो अपने आप मे खोई हुई है।रेणु उसके हाथ को हिला के बोलती है" कहा खोई हुई है?"
प्रेक्षा:- कहीं भी तो नहीं यहीं तों हूँ।
रेणु:- अच्छा तो क्या पूछा मैंने अभी?
प्रेक्षा कुछ सोचते हुए:- खाने मे क्या लाई हूं मैं ?
रेणु:-बेटा अब तो पक्का ख्यालों मे है तू लेकिन किसके ये मुझे पता लगाना है ।
रेणु प्रेक्षा के पीछे लग जाती है।
प्रेक्षा:- अरे मैं ख्यालों मे नहीं हूँ समझ रहीं हूं कि ये प्रखर सर के टाइप का इंसान।
रेणु:-किस टाइप का मतलब?
प्रेक्षा:- कभी मज़ाक करने लग जाता है कभी एकदम सीरियस हो जाता है।मेरी तो जान निकल जाती है वो 2 मिनट में कह देते है मज़ाक कर रहा हूँ।
रेणु:- हुआ क्या बताएगी भी
प्रेक्षा सुबह से अब तक की पूरी बात रेणु को बताती है।रेणु सुन कर हंसने लगती है।
प्रेक्षा:- तू हंस रहीं है मुझे वो इंसान समझ नहीं आ रहा ऐसा भी कोई बॉस होता है क्या उपर से कहता है पार्टी में आपका इंतजार रहेगा।
रेणु(मुंह खोल कर) :- क्या ?????
प्रेक्षा मन ये मैंने क्यूँ बता दिया अब ये भी बकवास करेगी।
रेणु :- प्रखर सर ने तुझे ये बोला हाय कहीं वो तुझे पसन्द तो नहीं करने लग गये।तूने कल जेसे हीरो अपनी हिरोइन को बचाता है वेसे तुने उन्हें बचाया वो कहीं तुझ पर लट्टू तो नहीं हो गये है।
प्रेक्षा:- हो गयी तेरी बकवास शुरू ऐसा कुछ नहीं है जैसा तू सोच रहीं है।
रेणु :- और मैं सोचूँ भी क्या एक इतना स्मार्ट लड़का एक लड़की से कहता है मैं आपका इंतजार करूंगा तो उसका क्या मतलब होता है।
प्रेक्षा:- देख तू ज्यादा बकवास करेगी ना तो मैं नहीं जाऊँगी पार्टी में।
रेणु:- अरे सॉरी सॉरी।प्लीज़ गुस्सा मत हो।खाना खा ले फिर मासी का घर पास में है वहाँ से तैयार होकर पार्टी मे चल देंगे।
प्रेक्षा:- लेकिन तू बकवास नहीं करेगी।
रेणु:- पक्का नहीं करूंगी।
प्रेक्षा:- ओके।
प्रेक्षा और रेणु खाना खाते है और अपने काम में लग जाते है।
4 बजे रेणु प्रेक्षा के कैबिन में जाती है।
रेणु:- चल चलते हैं लेडिज स्टाफ ओलमोस्ट चला गया है।
प्रेक्षा:- पर अभी 4 बजे है पार्टी 7 बजे है इतनी जल्दी जाकर क्या करेंगे।
रेणु:- अरे मासी के घर जाएंगे और तुझे तो तैयार होने में 2 मिनट लगते है इतनी सुन्दर जो है हमें तो टाइम लगेगा ना आखिर में सिंघानिया जी की पार्टी में जाना है।कितने लोग आएंगे और लड़के भी।अब चल जल्दी।
प्रेक्षा:- तेरा कुछ नहीं हो सकता 5 मिनट दे चल रहे है।
रेणु:- ठीक है मैं बाहर वेट कर रहीं हूं तेरा।
थोड़ी देर बाद रेणु और प्रेक्षा रेणु की मासी के घर पहुंच जाते है।प्रेक्षा रेणु की मासी और सबको नमस्ते करती है।
रेणु:- मासी आज हमारी ऑफिस की पार्टी है तो हम तैयार होने आए है।
मासी:- ठीक है करन अभी बाहर गया हुआ है तुम आराम से उसके रूम में तैयार हो लो।
रेणू:- जी मासी।
रेणु और प्रेक्षा तैयार होने लगती है।
प्रेक्षा ने ब्लू कलर का कुर्ता व्हाइट कलर की पटियाला सलवार और बड़े बॉर्डर का व्हाइट दुपट्टा डाला रेणु ने प्रेक्षा के बाल स्ट्रेट कर दिए थे लम्बे बाल और ज्यादा लम्बे दिख रहे थे, कानों मे झूमके आंखों मे काजल,हल्का सा लिप कलर और माथे पे एक छोटी सी बिंदी।
वो कहते है ना की लड़की चाहे कितनी भी ड्रेसस पहन ले पर सबसे ज्यादा सुन्दर वो इंडियन ड्रेस में ही लगती है।और प्रेक्षा पहले से ही इतनी सुन्दर थी अब उसकी सुन्दरता और ज्यादा बढ़ गयी।
रेणु:- वाह यार क्या लग रहीं है तू।एकदम रॉयल।
प्रेक्षा:- यार सही बता मज़ाक मत कर। वहाँ अजीब तो नहीं लगूंगी ना। सब वेस्टर्न में होंगे और मुझे देख के कहीं यूँ ना कह दे की बहनजी आ गयी है।
रेणु:- पागल है तू तो इतनी सुन्दर लग रहीं है
तभी रेणु की मासी कमरे में आती है।
मासी:- वाह बेटा प्रेक्षा बहुत सुन्दर लग रही हो।पर एक कमी है रुको।
मासी काजल का एक टीका प्रेक्षा के कान के पीछे लगा देती है।
हाँ अब ठीक है ।
प्रेक्षा:- मासी मैं ठीक तो लग रही हूँ ना।
मासी:- तू बहुत प्यारी लग रही है इसलिए तो काला टीका लगाया तुझे ताकि किसी की नजर ना लगे।
रेणु :- चल अब नहीं तो लेट हो जाएंगे।सुन जाएंगे कैसे?
प्रेक्षा:- जाएँगे कैसे से क्या मतलब है स्कूटी से।
रेणु:- पागल है क्या पूरे बाल खराब हो जाएंगे मेरे।मैं नहीं जाऊँगी स्कूटी पर।मासी करण भाई कब तक आएंगे? छोड़ो मैं ही फोन करके पूछ लेती हूं।
रेणु फोन करने ही वाली होती है कि करण आ जाता है।करण सामने प्रेक्षा को देख का वही रुका रह जाता है। ये पहली बार था जब वो प्रेक्षा को देख रहा था।
रेणु बार बार करण को आवाज दे रहीं थीं लेकिन उसे तो कुछ सुनाई नहीं दे रहा था।रेणु ने पास जाकर उसे हिलाया भाई।
करण(चौंक के) :- हाँ
रेणु:- भाई ऑफिस में पार्टी है तू हमें गाड़ी से छोड़ आ प्लीज़।
करण प्रेक्षा को देख कर कहाँ मना करने वाला था।उसने हाँ कह दिया और तीनों निकल गए।
रेणु करण को रास्ता बता रहीं थीं।करण बीच बीच मे बेक मिरर से प्रेक्षा को देख रहा था लेकिन बोलने की हिम्मत नहीं कर पाया।और थोड़ी देर में वो लोग वेन्यू पर पहुंच गये।
रेणु:- थैंक्यू भाई ।
करण:- तुम लोग आओगे कैसे मैं लेने आऊँ क्या?
रेणु:-हाँ मैं फोन कर दूँगी।
करण चला जाता है।
प्रेक्षा दुपट्टा अपने हाथों की उंगलियों में लपेट रहीं थीं इससे साफ लग रहा था वो डरी हुई है।
रेणु प्रेक्षा के पास आकर डर मत में तेरे साथ ही रहूंगी।पर किसी लड़के ने लाइन मारी तो यार मुझे तो उससे बात करनी पड़ेगी।तेरे चक्कर मे मेरा चांस निकल गया तो।
प्रेक्षा(हंसते हुए) :- तू नहीं सुधरेगी।
रेणु :- इस बारे मैं बाद में सोचेंगे अभी चलें।
दोनों अंदर आते है।
प्रखर बार बार टाइम देख रहा है वो दरवाजे पर ही खड़ा है।तभी वहाँ रोहन आता है।
रोहन:- भाई आप यहां क्या कर रहें हों?मम्मी आपको अंदर ढूंढ रहीं है।
प्रखर:- देख नहीं रहा मैं मेहमानों का वेलकम कर रहा हूं।
रोहन:- उसके लिए और लोग है आप चलो ना।
प्रखर:- मां को बोल मैं थोड़ी देर में आ रहा हूँ।
रोहन:- भाई एक बात बताओं?
प्रखर:- हाँ बोल।
रोहन:- आप किसी का वेट कर रहे हों?
प्रखर (चौंकते हुए):- हाँ नहीं मेरा मतलब है नहीं।
रोहन:- हाँ या नहीं।मुझे तो ऐसा लगता है आप किसी का वेट कर रहे हों तभी अंदर नहीं आ रहे।लेकिन आप वेट किसका कर रहे हो? ये तो बताओं?
प्रखर :- मैं किसी का वेट नहीं कर रहा।मैंने बोला तो मैं आ रहा हूं।
रोहन:- झूठ मत बोलों भाई।
रोहन के सवालों से बचने के लिए प्रखर अंदर जाने के लिए मुड़ता है तभी उसे सामने से प्रेक्षा और रेणु आते दिखाई देते है।
प्रेक्षा को देखते ही प्रखर तो जैसे आंखे झपकाना ही भूल जाता है।
रोहन प्रखर के कान में कहता है:- भाई मुँह बंद कर लो वरना लार गिर जाएगी।
प्रखर अपने आप को सम्भालता है।
रोहन:- वेलकम वेलकम।
रेणु:- थैंक्यू।
रोहन:- हैलो प्रेक्षा जी।
प्रखर:- हैलो।
रोहन:- आइए मोस्ट वेलकम।
रोहन पास ही खड़े प्रखर को कोहनी मारता है।प्रखर अपने मुँह से आवाज निकालने की कोशिश करता है लेकिन आवाज जैसे गले में ही अटक गयी थी।
रेणु :- हैलो प्रखर सर।
प्रखर गरदन हिला कर हैलो करता है।
प्रेक्षा:- हैलो सर।
प्रेक्षा कि आवाज तो जैसे प्रखर के कानों में घुल ही गयी थी।एक पल के लिए प्रखर अपने होश ही खो बैठा था। रोहन ने बात सम्हालते हुए कहा आइए आप दोनों अंदर हम लोग अंदर मिलते है।
रेणु और प्रेक्षा दोनों पार्टी में आ जाती है।और ऑफिस के बाकी लोगों से मिलने लगती है।
रोहन:- भाई क्या कर रहे हों पहली बार लड़की देखी है क्या?
प्रखर:- यार देखी तो खूब है लेकिन इसके जैसी पहली बार देखी है।
रोहन:- भाई आप बहुत सटूपीड लग रहे हो।
ये सुन प्रखर अपने आप को ठीक करता है।
प्रखर:- मैंने उससे तो कुछ नहीं कहा ना।
रोहन:- आपकी जुबान निकलेगी तो कहोगे ना हैलो तक नहीं बोला आपने।
प्रखर:- यार क्या सोच रहीं होगी कैसा पागल हूं मैं।
रोहन :- हाँ वो तो आप हो।
प्रखर:- क्या ?
रोहन:- अब चलें या वेलकम वेलकम खेलना है।वैसे भाई अब तो बताने की जरूरत तो नहीं लेकिन मैं कन्फर्म करना चाह रहा था।आप प्रेक्षा जी का वेट कर रहे थे ना।
प्रखर:- ऐसा कुछ नहीं है चल अब अंदर माँ बुला रहीं थीं ना।
प्रखर और रोहन अंदर आते है।प्रखर अपनी माँ के पास जाता है जो उसे सबसे मिलवा रहीं थीं लेकिन प्रखर का पूरा ध्यान प्रेक्षा पर था।
भगवती देवी:- प्रखर
प्रखर:- हाँ माँ
भगवती देवी:- बेटा तुम्हारा ध्यान कहा हैं मेहमानों से सही से बात नहीं कर रहे।
प्रखर:- सॉरी माँ।
प्रखर अब सबसे अच्छे से मिलता है।और मिलते मिलते ऑफिस स्टाफ की तरफ भी चला जाता हैं।जहाँ प्रेक्षा भी है।
प्रखर:- कैसे हो आप सब।
मल्होत्रा:- एक दम बढ़िया सर।बहुत शानदार पार्टी है
प्रखर:- थैंक्यू।आप लोग कुछ लीजिए । बी comfortable
मल्होत्रा:- जी सर ।
दूसरी तरफ प्रेक्षा अपने आप को असहज महसूस करने लगती है।
प्रेक्षा:- रेणु मैं वॉशरूम जा रहीं हूं आती हूं।
रेणु:- ओके।
प्रेक्षा जा रहीं होती है कि तभी सामने से भगवती देवी आ रहीं होती है और प्रेक्षा से टकरा जाती है।
प्रेक्षा:- सॉरी।
भगवती देवी:- अरे सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए।मैंने ध्यान नहीं दिया।सॉरी बेटा।
रोहन प्रेक्षा और भगवती देवी को बातेँ करते हुए देख कर उनके पास आता है।
प्रेक्षा:- कोई बात नहीं आंटी।
रोहन:- एक मिनट मेरी मोम आपको आंटी जैसी दिखती है।
प्रेक्षा :- ये आपकी मोम हैं ।
रोहन:- मुझे तो बचपन से यहीं बताया गया है।
प्रेक्षा:- सॉरी मेम।
भगवती देवी रोहन का कान पकड़ते हुए :- सॉरी कि कोई बात नहीं है बेटा ये बहुत शैतान है।
रोहन :- माँ छोड़ो दर्द हो रहा है।
भगवती देवी रोहन का कान छोड़ देती है।
रोहन:- मोम आपको पता है ये कौन है?
भगवती देवी:- नहीं।
रोहन:- ये वही है जो कल मेरी बाइक पर बैठी थी।और जिसने कल उस बच्ची को बचाया था।
भगवती देवी:- अच्छा तो वो तुम हो।जब सुना था तुम्हारे बारे में तो बहुत बहादुर हो इतना पता था पर तुम तो खूबसूरत भी बहुत हो।2 साल से हमारे ऑफिस में हो लेकिन आज मेरी नज़रों के सामने आई हो।कल के लिए थैंक्यू बेटा।
प्रेक्षा:- नहीं मेम थैंक्यू की कोई बात नहीं है ।
भगवती देवी प्रेक्षा के सर पर हाथ रख कर खुश रहो बेटा।
प्रखर की नजर उन पर पड़ती है।जब तक वो जाता है तब वहाँ सिर्फ रोहन रह जाता है ।
रोहन:- क्या बात है भाई। मैं तेरे अगल बगल हूं तू मेरे अगल बगल है।
प्रखर:- चुप कर।ये बता माँ क्या बात कर रहीं थी?
रोहन:- अपनी होने वाली बहु को आशीर्वाद दे रहीं थीं।
प्रखर:-तू ना बकवास मत कर। तूने माँ को कुछ उल्टा सीधा तो नहीं बोला ना।
रोहन:- चिल भाई।आप भाभी को तो कुछ बोल दो मैं माँ को बोल दूँगा।
प्रखर:- तू सीधी बात का सीधा ज़वाब नहीं दे सकता।
रोहन:- नहीं।लड़कियां वेट कर रहीं है मेरा तो मैं तो चला।
सिंघानिया जी माइक मैं बोलते हैं : - आई हैव योर अटेंशन प्लीज
सभी लोग स्टेज की तरफ आ जाते हैं। सिंघानिया जी की आवाज सुनकर प्रेक्षा भी वॉशरूम से बाहर आ जाती है।
सिंघानिया जी:- जैसा कि सब लोग जानते हैं आज ये पार्टी मेरे बेटे के वापस आने की खुशी में रखी गई है। आप सब आए मुझे बहुत अच्छा लगा। ऐसा कहकर सिंघानिया जी एक शैम्पेन की बोतल खोलते हैं।
प्लीज इंजॉय योर सेल्फ।
म्यूजिक जोर से बजने लगता है और सब डांस फ्लोर पर डांस करने लगते हैं।
रेणू:- प्रेक्षा चल ना डांस करते हैं ।
प्रेक्षा:- ना ना यह डांस वांस मुझसे नहीं होगा। तू जा।
तभी रोहन वहां आता है।
रोहन:- हे प्रीटी लेडीज आप लोग डांस क्यों नहीं कर रहे हो?
रेणू:- प्रेक्षा मैडम को डांस नहीं करना।
रोहन:- आपको करना है?
रेणू:- हां।
रोहन( अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए):- तो फिर चलिए।
रोहन और रेणू डांस करने चले जाते हैं। प्रेक्षा दूर से उन दोनों को डांस करते हुए देखती है।
प्रेक्षा को अकेला खड़ा देख प्रखर वहां आता है।
प्रखर:- आप डांस नहीं करती।
प्रेक्षा:- जी करती हूं लेकिन घर पर।
प्रखर:- यह समझ लीजिए की आप घर पर ही हो।
प्रेक्षा:- जी ये पार्टी वाला डांस मुझे नहीं आता।
प्रखर:- इसमें क्या है आइए मैं बता देता हूं अगर आप चाहे तो।
प्रखर अपना हाथ आगे बढ़ाता है।
प्रेक्षा कुछ सोचने लगती है।
प्रखर:- डरिए मत अगर हाथ पकड़ लिया तो छोडूंगा नहीं।
प्रेक्षा:- क्या मतलब?
प्रखर:- मेरा मतलब है डरने की कोई बात नहीं है ट्राई तो करके देखिए।
प्रेक्षा अपना हाथ प्रखर के हाथ में दे देती है। प्रखर उसे डांस फ्लोर पर ले जाता है।
प्रखर प्रेक्षा का एक हाथ अपने कंधे पर रखता है।अपना एक हाथ वो प्रेक्षा कि कमर पर रखता है और दूसरे हाथ से प्रेक्षा का दूसरा हाथ पकड़ता है।
प्रेक्षा को अपने इतने करीब पाकर प्रखर को प्रेक्षा कि बढ़ती सांसो की रफ्तार समझ आ रहीं थीं। प्रेक्षा को सहज फिल कराने के लिए प्रखर अपने चेहरे पर एक मुस्कान लाता है।और गाने के साथ साथ प्रेक्षा के कदम से कदम मिलता है।
प्रखर:- आप तो बहुत अच्छा कर रहीं है।वेरी गुड।
भगवती देवी दूर से प्रखर और प्रेक्षा को देख कर मुस्करा रहीं है ।
कुछ देर बाद म्यूजिक बंद हो जाता है।सब खाने की ओर बढ़ जाते है।प्रखर अभी भी प्रेक्षा का हाथ पकड़े हुए है।उसके कानो में अभी भी गाना बज रहा है।तभी वहाँ रेणु आती है।
रेणु:- प्रेक्षा चल खाना खाने।
रेणु की आवाज सुन प्रखर अचानक से प्रेक्षा का हाथ छोड़ देता है।प्रेक्षा जाने लगती है लेकिन अचानक उसे उसका दुपट्टा खिंचा हुआ महसूस हुआ।जब उसने पलट कर देखा तो प्रखर हाथ उठाए खड़ा था उसका दुपट्टा प्रखर की घड़ी में अटक गया था।
रेणु सब देख रहीं थीं और दिमाग में प्रेक्षा को कैसे तंग करना है उसका प्लान बना लिया था।
प्रखर(धीरे से ):- कहा था ना एक बार पकड़ लूँगा तो छोड़ूंगा नहीं।
प्रेक्षा:- कुछ कहा आपने।
प्रखर:- हाँ यहीं की लाइये मैं निकल देता हूं।
दोनों ने दुपट्टे को निकाला और प्रेक्षा रेणु के साथ आ गयी।
रेणु:- मैंने कहा तब तो नहीं किया डांस बाद मे कैसे कर लिया।और हाथ छोड़ने का तो जैसे मन ही नहीं कर रहा था।दुपट्टे को देखो वो भी गाना गा रहा था।अभी ना जाओ छोड़ कर की दिल अभी भरा नहीं।
प्रेक्षा:- ऐसा कुछ नहीं है वो तो उन्होंने कहा कि सब कर रहे है आप भी चलो और फिर वो बॉस है बात तो माननी पड़ती है।
रेणु:- लेकिन हम ऑफिस में थोड़ी थे।
प्रेक्षा उसकी बातों से बचने के लिए :- तुझे मिला या नहीं कोई जो मुझे परेशान कर रहीं है।
रेणु:- मिला ना प्रखर सर का भाई रोहन वो कितना अच्छा है बिल्कुल चॉकलेट बॉय। मुझे ऐसे लड़के बहुत पसन्द है हाय।
प्रेक्षा:- अब हाय हाय मत कर और तेरे भाई को फोन कर लेट हो रहा दादी दादी टेंशन कर रहे होंगे।
रेणु :- अरे हाँ।जब तक खाना खाएंगे तब तक आ जाएगा वो।
रेणु करण को फोन करती है लेकिन वो फोन नहीं उठाता है।
कई बार कोशिश करने पर भी वो फोन नहीं उठाता है।
रेणु:- यार वो फोन नहीं उठा रहा चल खाना खा लेते है इतने में वो कॉल कर लेगा।
प्रेक्षा और रेणु खाना खाते है।
प्रेक्षा:- यार मेरा हो गया तू कहा तेरा फोन दे इतने मैं ट्राय करती हूँ।
रेणु :-हाँ ठीक है ले।
प्रेक्षा करण को कॉल करते करते बाहर आ जाती है लेकिन वो फोन नहीं उठाता।
तभी प्रेक्षा का फोन बजता है।
प्रेक्षा (दादी का फोन आ रहा है):- हाँ दादी ।
दादी:- प्रेक्षा बेटा कहाँ रह गयी।वहाँ सब ठीक तो है ना तू ठीक है ना।
प्रेक्षा:- हाँ दादी मैं ठीक हूँ बस खाना खा रहे है उसके बाद निकल रहे है।
दादी:- अच्छा बेटा ठीक है।ध्यान से आजा।
प्रेक्षा :- जी दादी।
रेणु:- क्या हुआ।
प्रेक्षा:- तेरा भाई फोन नहीं उठा रहा हैं।दादी का फोन था पूछ रहीं थी कब तक आ रहीं हूँ मैंने बोला बस निकल रहीं हूं।तेरे बालों को वजह से हुआ h वरना स्कूटी से चले जाते अब तक।
रेणु:- यार मुझे थोड़ी पता था ये हो जाएगा।उसको तो मैं छोड़ूंगी नहीं ।
प्रेक्षा:- छोड़ेगी तब ना जब घर जाएगी।
रेणु प्रेक्षा का बढ़ता गुस्सा देख रहीं थीं और डर भी रहीं थीं।
तभी प्रखर उन दोनों यूँ बाहर खड़े देख उनके पास आता है।
आप दोनों यहां सब ठीक है ना।
रेणु को अपने बचने का तरीका मिल गया था।
रेणु:- सर वो एक प्रॉब्लम है हमें यहां मेरा भाई छोड़ के गया था अब वो फोन नहीं उठा रहा।प्रेक्षा की दादी का फोन आ रहा है उसे टाइम पर घर पहुचना है वरना दादी परेशान हो जाएगी।
प्रखर:- तो इसमें इतना टेंशन लेने की क्या बात है चलिए मैं छोड़ दूँगा।
प्रेक्षा रेणु को गुस्से से देखती है।
प्रेक्षा:- नौ थैंक्यू सर हम चलें जाएंगे।
तभी प्रेक्षा का फोन फिर बजता है।इस बार चाचा का फोन था।
प्रेक्षा:- हाँ चाचा।।बस निकल रहीं हूं।
प्रखर:- आज ले लीजिए हेल्प।
प्रेक्षा:- सर आप पार्टी छोड़ कर जाएंगे तो।
प्रखर:- उसकी चिंता मत करो आप।
प्रखर एक नौकर को इशारा करके गाड़ी की चाबी मंगवाता है।
प्रखर:- चलिए।
प्रखर आगे की सीट के लिए गाड़ी का गेट खोलता है।प्रेक्षा बैठ जाती है।
रेणु पीछे बैठ जाती है।
प्रखर:- सीट बेल्ट लगा लीजिए।
प्रेक्षा कोशिश करती है लेकिन बेल्ट शायद अटक जाती है प्रखर मदद के लिए आगे आता है ।दोनों एक दूसरे के बहुत पास आ जाते है।प्रेक्षा थोड़ा असहज हो जाती है।प्रखर भी जोर से बेल्ट खिंचता है और वो बाहर आ जाता है।
प्रखर:- मुझे रहीं बता दीजिए।
रेणु प्रखर को रास्ता बताती है।और थोड़ी देर में वो पहुच जाते है।
प्रखर:- आप यहां रहती है।
रेणु :- नहीं ये मेरी मासी का घर है प्रेक्षा कि स्कूटी यहीं खड़ी है तो वो लेकर जाएंगे।
प्रखर:- रात हो गयी है आपको ड्रॉप कर देती हूं स्कूटी कल लेट जाना ।
प्रेक्षा:- वो दादी को नहीं पता कि ऐसा कुछ हुआ है मैं चली जाऊँगी थैंक्यू।
रेणु प्रेक्षा गाड़ी से उतर है।
प्रेक्षा:- गुड नाइट सर।
प्रखर:- गुड नाइट।
प्रखर वहाँ से आ जाता है लेकिन गाड़ी को गली के मोड़ पर रोक देता है उसके मन में प्रेक्षा कि फिक्र है।
रेणु घर पहुंच कर:- मासी कहाँ है वो लड़का।
मासी:- वो तो कब से सो रहा है।
रेणु:- हमें परेशान करके सो रहा है अभी बताती हूं।
प्रेक्षा:- रहने दे सोने दे अब आ गए ना घर।
मासी:- रेणु तेरी मम्मी का फोन आया है उन्होंने कहा है यहीं रोक लू तुझे।
रेणु:- पर मासी प्रेक्षा फिर अकेले जाएगी रात हो गयी है।
प्रेक्षा:- कोई बात नहीं मैं चली जाऊँगी।
रेणु:-पक्का चली जाएगी।
प्रेक्षा:- हाँ पक्का।
प्रेक्षा घर से निकलती है स्कूटी स्टार्ट करती है।
जेसे ही प्रेक्षा की स्कूटी आगे निकलती है प्रखर अपनी गाड़ी प्रेक्षा के पीछे लगा देता है।
कुछ दूरी पर जाने के बाद प्रेक्षा को एहसास होता है कोई उसका पीछा कर रहा है।
प्रेक्षा एक बार तो डर जाती है लेकिन गौर से देखती है तो उसे गाड़ी समझ आ जाती है।वो कोई और नहीं प्रखर है ।
प्रेक्षा:- प्रखर सर मेरे पीछे क्यूँ आ रहे है।मैं भी ना मेरे पीछे क्यूँ आएंगे होगा इस रूट पर कोई काम।
थोड़ी देर में प्रेक्षा उस बस स्टैंड पर आ जाती है जहाँ वो प्रखर से पहली बार मिली थी ।
स्कूटी पर प्रेक्षा को और गाड़ी में प्रखर को दोनों को वो मुलाकात याद आ जाती है ।
प्रेक्षा गली में टर्न ले लेती है और प्रखर वही गाड़ी रोक कर प्रेक्षा को जाते देखता है।
प्रेक्षा पलट कर देखती है प्रखर की गाड़ी वही रुका देख वो समझ जाती है कि वो मुझे घर तक छोड़ने आए है।
उसके चेहरे पर एक मुस्कान है।
स्कूटी खड़ी करके प्रेक्षा अंदर जाती है जहाँ रमा और अजित जी उसका इंतजार कर रहे है ।
रमा:- आ गयी बेटा कैसा रहा सब।
प्रेक्षा दादी को गले लगाते हुए:- बहुत अच्छा दादी।
चिंटू:- दीदी आप अकेले चले गये मुझे लेके भी नहीं गए।
प्रेक्षा:- ओले मेरा भाई अगली बार पक्का।
चिंटू :- पक्का ना वरना में फिर हवा निकल दूँगा।
सब हंसने लगते है।
प्रेक्षा चिंटू को गले से लगाती हैं।पक्का लेके जाऊँगी।दादी मैं कपड़े बदल कर आती हूँ।
प्रेक्षा चली जाती है।
रमा:- आपने सही कहा था प्रेक्षा को बाहर जाना चाहिए आज इतने वक़्त बाद मेरी बेटी दिल से मुस्कराई है।
अजित जी :- चिंता मत करो रमा देखना सब ठीक होगा।
प्रेक्षा कपड़े बदलती है तो उसे आज की पार्टी याद आती है।प्रखर के साथ उसका डांस उसकी परवाह जो उसे यहाँ तक छोड़ने आई।
To be continued.....

