माई बिहोल्डिंग
माई बिहोल्डिंग
सुबह के 9 बजे धूप ने चारो ओर गर्माहट को बखूबी बढ़ा रखा था।धूप से बचने के लिए कुछ लोगों ने छाता तो कुछ लोगों ने कपड़े से अपने आप को ढका हुआ था।इतनी गर्मी मे भी लोगों की आवाजाही मे कोई कमी नहीं थी हर कोई अपने काम के लिए इधर उधर भाग रहा था।
सिंघानिया भवन में प्रखर अपने ऑफिस जानें के लिए तैयार हो रहा था।भगवती देवी (प्रखर की माँ) प्रखर को तैयार होने में उसकी मदद कर रहीं थीं।
प्रखर भगवती देवी के पैर छुते हुए:- "आशीर्वाद दे मां आज मेरा ऑफिस में पहला दिन है।"
माँ:- "मेरा आशीर्वाद तो हमेशा तेरे साथ है। भगवान करे तू खूब तरक्की करे तेरा हर सपना पूरा हो।"
प्रखर:-" माँ मैं चलता हूँ।"
भगवती देवी :-" बेटा 1 मिनट रुक।
भगवती देवी अपने नोकर को इशारा करती है कुछ ही देर में एक नोकर पूजा की थाली और एक दही चीनी की कटोरी लाता है।भगवती देवी प्रखर को तिलक करती है और दही चीनी खिलाती है।
प्रखर:- "बाय माँ।"
भगवती देवी:- "बाय बेटा।"
प्रखर अपने घर से निकल कर आता है तभी ड्राइवर आता है और डरते डरते कहता है|
ड्राइवर:-"बाबा वो गाड़ी खराब हो गयी हैं एक गाड़ी छोटे बाबा कॉलेज ले गए और एक से बड़े साहब जल्दी ऑफिस निकल गए थे। मैकेनिक को फोन किया था वो बस आ ही रहा है।"
प्रखर(परेशान होते हुए):- "मनोहर यही बात थोड़ी जल्दी बता देते।मैं लेट हो जाऊँगा। मैकेनिक को फिर से फोन करो और पता करो कब तक आएगा।"
ड्राइवर:- "सॉरी बाबा, अभी करता हूं ।"
भगवती देवी गार्डन मे आती है तभी वो प्रखर को देखती है।
भगवती देवी:- "प्रखर बेटा तुम अभी तक यही हो ,गए नहीं।"
प्रखर:- "माँ ये गाड़ी खराब हो गयी है। ये मैकेनिक भी जाने कितनी देर लगाएगा।"
भगवती देवी कुछ सोचते हुए :- "अरे तो तु निखिल की बाइक से चला जा।"
प्रखर:- "माँ आपने उसकी बाइक देखी है ना।ये रेसिंग बाइक मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं है ना बैठने को बनता है ना चलाने को गलती से पीछे किसी को बैठा लो तो यूँ लगता है जेसे विक्रम के पीछे बेताल।'"
भगवती देवी जोर से हंसते हुए:- "लेकिन बेटा तुझे ऑफिस जल्दी जाना हैं क्या पता मैकेनिक को आने मे कितना टाइम लगे आज आज चला जा इससे।
प्रखर मुँह बनाते हुए बाइक की तरफ देखता है।"
भगवती देवी:- "चिंता मत कर अकेले ही तो जाना है कोई बेताल भी नहीं रहेगा पीछे।"
प्रखर :- "माँ जब निखिल आ जाए तो उसे बोल देना की अपनी बाइक ऑफिस से ले जाए मैं इससे सिर्फ जा रहा हूं लेकिन आऊंगा नहीं।'
भगवती देवी :-'"ठीक है अब जा वरना लेट हो जाएगा।"
प्रखर बाइक की तरफ बढ़ता है और उसे स्टार्ट कर घर से निकल जाता है।
दूसरी तरफ प्रेक्षा अपने गीले ले बालों को ड्रायर से सूखा रहीं थीं।चूडीदार पजामी सूट कानो मे झूमके माथे पर एक छोटी सी बिंदी उसकी खूबसूरती को बढ़ा रही थी।दिखने में प्रेक्षा बेहद सुंदर थी गोरा रंग, लम्बे बाल,बड़ी बड़ी भूरी आँखें|किसी की भी नजरें कुछ पल के रुक जाये|
रमा (प्रेक्षा की दादी):- "प्रेक्षा बेटा आजा नाश्ता तैयार है तुझे ऑफिस के लिए लेट हो जाएगा।"
प्रेक्षा:-" आयी दादी।"
आधे सूखे बालों को प्रेक्षा ने क्लच किया और अपना पर्स उठा के कमरे से बाहर आई।नाश्ते की टेबल पर बैठे अजीत सिंह जी(प्रेक्षा के दादाजी)अखबार पढ़ रहे थे।
प्रेक्षा:- "गुड मॉर्निंग दादू।"
अजीत सिंह :- "गुड मॉर्निंग मेरा बच्चा।"
प्रेक्षा घर मे बने मंदिर की ओर जाती है और पूजा करने लगती है।पूजा करते प्रेक्षा भजन गाती है और उसकी आवाज़ इतनी मधुर है कि रमा जी और अजीत सिंह जी भी मंदिर मे आ जाते हैं और भजन सुनते सुनते भक्ति मे लीन हो जाते है।प्रेक्षा भजन खत्म करके पलटती है तो रमा और अजीत जी हाथ जोड़े खड़े थे।प्रेक्षा उन्हें आरती देती है।अजीत जी प्रेक्षा के सर पर हाथ रख के:- सुबह सुबह तेरी आवाज़ में भजन सुन के पूरे दिन मे जोश भर जाता है।भगवान तुझे हर खुशी दे।
प्रेक्षा:- "दादू उन्होंने मुझे आप दोनों दे दिए मतलब दुनिया की सारी खुशिया दे दी है मुझे और कुछ नहीं चाहिए।"
रमा:- "पागल चल अब नाश्ता कर ले नहीं तो ऑफिस के लिए लेट हो जाएगी।"
सभी नाश्ते की टेबल पर आते है और नाश्ता करके प्रेक्षा घर से निकलने लगती है।
रमा:- "प्रेक्षा बेटा रुक अपना टिफिन तो ले जा।"
प्रेक्षा:-" हाँ दादी ये तो मैं भूल ही गयी।"
प्रेक्षा घर के बाहर आती है और अपनी स्कूटी निकालने जाती है।
प्रेक्षा स्कूटी को देखते हुए:- "धत तेरी की ये तो पंचर है।"
प्रेक्षा दादी को आवाज लगाते हुए :-दादी.....
रमा अंदर से दोड़ के आती है:- हाँ प्रेक्षा क्या हुआ बेटा ?
प्रेक्षा (स्कूटी की तरफ इशारा करते हुए):- दादी देखो ना इसे।
रमा स्कूटी को देखकर अरे ये कैसे हुआ?
प्रेक्षा और दादी स्कूटी देख ही रहे थे कि पीछे से कुछ गिरने की आवाज आई दोनों ने पलट के देखा तो चिंटू(प्रेक्षा की चाची का लड़का) हंस रहा था।
दादी:- चिंटू कहीं ये शरारत तेरी तो नहीं है?
प्रेक्षा :- दादी ये इसी की शरारत है तभी छिप के हंस रहा है।रुक आज तो मैं तुझे नहीं छोड़ूंगी।
चिंटू वहाँ से भागता है और प्रेक्षा उसके पीछे भागती है।
दादी :- अरे सम्भाल के दोनों मे से किसी को लग ना जाए।
चिंटू घर में इधर उधर भागने लगता है और प्रेक्षा उसके पीछे पीछे उसको पकड़ने के लिए दौड़ती है।
चिंटू:- दादू मुझे बचाओ दीदी मुझे मार रहीं है।(चिंटू अजीत जी के पीछे छिपने लगता है)
प्रेक्षा:- दादू आप बीच से हट जाओ आज ये मेरे हाथ से नहीं बचेगा इसने मेरी स्कूटी पंचर कर दी है।
चिंटू:- नहीं दादू दीदी झूठ बोल रहीं है। कहकर चिंटू उपर की ओर भागने लगता है और प्रेक्षा उसके पीछे भागती है ।
रमा (अजीत जी से ):- जब तक इन दोनों की लड़ाई से घर गूंज ना जाए तब तक घर भी घर नहीं लगता।
अजित जी:- सही कह रहीं हो रमा।
दोनों हँसने लगते है।।
चिंटू भागते भागते कामिनी(प्रेक्षा की चाची) के रूम कि तरफ चला जाता है और प्रेक्षा सामने से आती हुई कामिनी को नहीं देखती है और उससे टकरा जाती है जिसकी वजह से कामिनी के हाथ की कॉफी कामिनी की साड़ी पर गिर जाती है।
कामिनी आगबबूला हो जाती है।
प्रेक्षा:- सॉरी चाची वो मैंने ध्यान नहीं दिया सॉरी।
कामिनी(गुस्से से):- ध्यान तो हमने नहीं दिया अगर दिया होता तो आज इस घर में तुम होती ही नहीं तो ये सब भी ना होता।एक तो सुबह सुबह अपनी ये मनहूस शक्ल दिखा दी और उपर से मेरी पूरी साड़ी खराब कर दी। दिन की शुरुआत ऐसी हुई है तो पता नहीं दिन कैसा जाएगा अब खड़ी खड़ी मेरा मुंह क्या देख रहीं है जा यहां से।
कामिनी की आवाज इतनी तेज थी की नीचे अजीत और रमा को भी सुनाई दे रहीं थीं।
चाची की बातें सुन प्रेक्षा की आंखे भर आती है लेकिन अपने आंसू को आँखों में ही रोक कर प्रेक्षा नीचे आ जाती है।
प्रेक्षा अपने आप को सम्हालते हुए:- दादी दादू उस चिंटू के बच्चे को समझा देना मुझे अभी देर हो रहीं है इसलिए छोड़ दिया शाम को वो बचेगा नहीं मुझसे।
प्रेक्षा अपना बैग लेके जाने लगती है।
रमा( प्रेक्षा को रोक कर तेज आवाज में):- बेटा कुछ लोगों की आँखों पर दोलत और गुमान की पट्टी बंधी हुई होती है उन्हें सिर्फ अपने अलावा कोई दिखाई नहीं देता ऐसे लोगों की बातों को भूल के भी दिल से मत लगाना।
कामिनी रमा की बाते सुन कर अपने कमरे में जा कर जोर से दरवाज़ा बंद करती है।
प्रेक्षा दादी के गले लग जाती है और आँखों मे रुके आंसू बह जाते है।
रमा:- चल अब जा नहीं तो लेट हो जाएगी तेरे चाचा भी निकल गये वर्ना वो छोड़ देते तुझे।
प्रेक्षा:- कोई बात नहीं दादी मैं मैनेज कर लुंगी।
रमा:- जा मेरी बच्ची।(रमा प्रेक्षा के माथे को चूमती है)
प्रेक्षा घर से निकल जाती हैं।
रमा (अजित जी से ):- मेरी बच्ची बहु की नफरत की रोज शिकार होती है लेकिन कभी दिखाती नहीं है। बिन माँ बाप की औलाद अपनी चाची में माँ ढूंढती रहीं लेकिन कभी उसे वो सुख ना मिला।
अजीत जी:- चिंता मत करो रमा हमारी बच्ची ने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा भगवान ने जरूर उसके लिए कुछ अच्छा सोच रखा है और उसकी शुरुआत जल्दी ही होगी।
प्रेक्षा ने दुपट्टे से अपने मुँह को बांधा और रोड की तरफ निकल गयी।
प्रेक्षा को अकेले जाते देख अनिल अपनी बाइक लेकर प्रेक्षा के पीछे जाता है।
अनिल:- प्रेक्षा आज पैदल तुम्हारी स्कूटी कहा गयी।
प्रेक्षा:- गुड मॉर्निंग अनिल भैया। वो चिंटू ने शरारत मे स्कूटी पंचर कर दी। तो इसलिए आज ऑटो या बस से ऑफिस जा रहीं हूं।
अनिल:- अरे तो पागल मुझे बोल देती मैं छोड़ आता हूं चल|आख़िरकार एक पड़ोसी ही पड़ोसी के काम आता है |
प्रेक्षा:- अरे भैया आप पड़ोसी कम मेरे बड़े भाई हो |अभी तो टाइम है मैं चलीं जाऊँगी।लेकिन आपके लिए एक काम है अगर करो तो।
अनिल:- हाँ मुझे पता है क्या काम है शाम को जब तक तू आएगी तब तक तेरी स्कूटी ठीक हों जाएगी।
प्रेक्षा:- भैया आपको कैसे पता लग जाता हैं की मैं क्या कहने वाली हूँ ?
अनिल:- भाई भी बोलती है और ये सवाल भी कर रहीं हैं। चल जा मैं तेरी स्कूटी मेकेनिक के पास डाल आता हूँ।
प्रेक्षा:- जी भैया बाय।
प्रेक्षा स्टैंड पर पहुंचती है।
प्रेक्षा ने देखा कि एक बच्ची अकेले रोड क्रॉस कर रही थी ओर दूसरी तरफ से एक बाइक आ रही थी।प्रेक्षा ने भाग कर बच्ची को सड़क से हटाया लेकिन खुद गिर गई। बाइक के अचानक ब्रेक की आवाज़ से आस पास भीड़ इकठ्ठा हो गयी। प्रेक्षा को कोहनी पर चोट लगी और खून आने लगा।
एक औरत भागते हुए आई और बच्ची को गले लगाते हुए बोली तू ठीक है न बेटा है भगवान तेरा शुक्रिया मेरी बच्ची ठीक है।प्रेक्षा उठी और खुद के कपड़े सही करे और उस औरत को फटकारने लगी।
औरत:-दीदी मुझे माफ़ कर दो मुझे पता ही नहीं चला ये कब यहाँ आ गयी।
प्रेक्षा:- बच्चें तो शरारती होते ही हैं और बाहर बच्चों का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए।ज़रा सी लापरवाही से इसकी जान भी जा सकती थी।
औरत:- दीदी माफ़ कर दो आगे से ध्यान रखूगी आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने मेरी बच्ची की जान बचाई।
प्रेक्षा:- धन्यवाद की कोई जरूरत नहीं है आगे से ध्यान रखना।
प्रेक्षा बच्ची की तरफ झुकते हुए बेटा तुम ठीक हो?
बच्ची:-हां आंटी मैं ठीक हूँ।
प्रखर प्रेक्षा का बैग उठाए दूर से सब देख रहा था।
प्रेक्षा ने पलट कर प्रखर को देखा तो उसके सामने एक समार्ट लड़का था जो प्रेक्षा की तरफ बड़े प्यार से देख रहा था।
प्रेक्षा अपना दुपट्टा खोला|
प्रखर ने जैसे ही प्रेक्षा को देखा उसकी नजरे उसी पर रुक गयी |
प्रखर प्रेक्षा की सुंदरता को बहुत प्यार से निहार रहा था।प्रेक्षा के बाल बिखर गये थे जो हवा से बार बार प्रेक्षा के चेहरे पर आ रहे थे प्रखर की आँखे झपकने तक का नाम नहीं ले रही थी।वो बस प्रेक्षा को देखें जा रहा था।लोगों ने प्रखर को घेर लिया और उसपे चिल्लाने लगे।प्रखर वास्तविकता में वापस आया लेकिन लोगों के सवालों का जवाब ना दे पाया।मन ही मन निखिल को डांटने लगा की वो आज गाड़ी नहीं लेकर जाता तो ये सब ना होता।
प्रेक्षा:- रुकिए आप सब इनकी गलती नहीं है बच्ची अचानक बीच मे आई वो तो शुक्र है कि इन्होंने वक़्त रहते ब्रेक लगा लिए वरना कुछ भी हो सकता था |आप इन्हें दोष मत दीजिए।
बच्ची की माँ आगे आते हुए बोली:- जी गलती मेरी है मैंने ध्यान नहीं दिया और ये मेरा हाथ छोड़ कर भाग गयीं थी। आप सब इन भैया को कुछ मत कहिये।
सब लोग आपस में बातें करते हुए जाने लगे तभी एक औरत प्रेक्षा की तरफ आई ।
औरत:- बेटा तुझे तो चोट लगी है।
प्रेक्षा अपने हाथ की ओर देखते हुए यह कैसे लग गई मुझे तो पता ही नहीं चला।
औरत प्रखर के पास गयी और कहा:- बेटा भले घर के लगते हो इस बच्ची को चोट आई है इसे अस्पताल ले जाओ और भली बच्ची है इसे जहां जाना है छोड़ दो। इसने सबके सामने तुम्हें बचाया तुम इसकी इतनी मदद तो कर ही दोगे।
प्रेक्षा ने उस औरत की बातें सुनी और कहा:- नहीं नहीं आंटी उसकी कोई जरूरत नहीं मैं चली जाऊँगी और मामूली सी चोट है।
प्रखर:- आंटी सही कह रहीं हैं अपने मेरी इतनी हेल्प की है तो मैं आपकी इतनी हेल्प कर ही सकता हूँ ।
औरत ने भी प्रेक्षा को समझाया और प्रेक्षा प्रखर के साथ जाने को तैयार हो गयी।वो औरत भी चली गयीं।
प्रेक्षा(प्रखर से अपना बैग लेते हुए):-थैंक यू।
प्रखर:- थैंक यू तो मुझे बोलना चाहिए।आपने सही वक़्त पे आके उस बच्ची की जान बचाई।और मुझे भी बचाया।
वो बच्ची इतनी अचानक सामने आयी कि मैं बाइक कण्ट्रोल कर ही नहीं पाया और अगर उस बच्ची को कुछ हो जाता तो ना ये लोग मुझे छोड़ते और न मैं खुद को माफ़ कर पाता तो थैंक यू सो मच।
प्रेक्षा:- अब चिंता की कोई बात नहीं है सब ठीक है।
प्रखर: - आपके हाथ पर चोट आई है।पहले हॉस्पिटल चल लेते है।
प्रेक्षा:- नहीं नहीं हॉस्पिटल जाने जितनी चोट नहीं है आप किसी मेडिकल पर ले चलिए।
प्रखर बाइक की तरफ जाता है और बाइक देख कर आज सुबह जो उसने अपनी मां से कहा वो याद आ जाता है।
( विक्रम के पीछे बेताल)
प्रेक्षा भी बाइक को देख कर थोड़ा असहज हो जाती है।
प्रखर बाइक स्टार्ट करता है प्रेक्षा अपने दुपट्टे को सम्हालते हुए एक तरफ पैर करके बैठ जाती है।
प्रखर:- आप थोड़ा सम्भाल के बैठना ये बाइक थोड़ी मेरे लिए भी मुश्किल है।
प्रखर जेसे ही गाड़ी आगे बढ़ाता है प्रेक्षा को धक्का लगता है और वो प्रखर के कंधे को जोर से पकड लेती है।
प्रेक्षा की छुअन से प्रखर को एक झटका लगता है। उस स्पर्श को प्रखर के लिए सम्हालना थोड़ा मुश्किल हो गया था।
दूसरी तरफ प्रेक्षा अपना हाथ हटाते हुए:- सॉरी।
(प्रेक्षा मन मैं थोड़ा सम्भल के बैठ प्रेक्षा लड़का स्मार्ट है इसका मतलब ये नहीं कि फिसल ही जाए क्या सोच रहा होगा तेरे बारे में)
प्रखर बिना कुछ बोले गाड़ी को धीमी गति से बढ़ाता है और प्रेक्षा बाइक को पीछे से टाइट पकड़ कर बैठ जाती है।
कुछ देर में प्रखर एक मेडिकल पर बाइक रोकता हैं और चोट के लिए फर्स्ट एड लेकर आता है।
प्रेक्षा प्रखर से दवा लेती है।
प्रेक्षा को सीधे हाथ की कोहनी पर चोट आई थी और प्रेक्षा बाएं हाथ से दवा लगाने की कोशिश कर रही थी जो की नाकाम हो रही थी प्रखर उसे कोशिश करते हुए देख रहा था।
प्रखर: - लाइए मैं लगा देता हूं।
प्रेक्षा: - नहीं नहीं मैं लगा लूंगी।
प्रेक्षा फिर से कोशिश करने लगी लेकिन अभी भी वह दवाई नहीं लगा पा रही थी। प्रखर उसे देख कर मुस्कुरा रहा था।
प्रखर प्रेक्षा कि ओर हाथ बढ़ाते हुए लाइए मैं लगा देता हूं।
प्रखर:- मैं खुद से लगा लूंगी।
प्रखर:- जिस तरीके से आप दवा लगा रही हैं उस तरीके से शाम हो जाएगी और मुझे भी ऑफिस जाना हैं।जिद मत कीजिए मुझे दवा लगाने दीजिए।
प्रेक्षा प्रखर को बॉक्स दे देती है।
प्रखर:- अपना हाथ आगे कीजिए।
प्रेक्षा थोड़ा सकुचाते हुए अपना हाथ प्रखर की तरफ करती है।प्रखर प्रेक्षा का हाथ पकड़ता है।
प्रेक्षा थोड़ा असहज हो जाती है और प्रखर ये जान जाता है।प्रखर फटाफट दवाई लगा कर महक के हाथ पर पट्टी करता है और बीच बीच में प्रेक्षा की नजरोंं से बचते हुए उसे देख भी लेता।
प्रखर:- ये लो हो गयी।आप करती तो ना जाने कब तक होती।
प्रेक्षा:- थैंक यू।
प्रखर:- योर मोस्ट वेलकम।अब चले।
प्रेक्षा:- जी।
प्रखर:- आपका ऑफिस कहा है?
प्रेक्षा अपने ऑफिस का अड्रेस देती है ।
प्रखर:-आप सिंघानिया ग्रुप मे काम करती है?
प्रेक्षा:- जी।
प्रखर मुस्करा देता है।
प्रेक्षा:- आप मुस्करा क्यूँ रहे है?
प्रखर:- जी कुछ नहीं।
प्रखर बाइक स्टार्ट करता है और कुछ देर में दोनों सिंघानिया ग्रुप पहुंच जाते हैं।
वॉचमैन प्रखर को देख कर सलाम करता है।
प्रखर वॉचमैन को बाइक पार्किंग मे लगाने के लिए चाबी देता है।
प्रेक्षा ये सब हैरानी से देख रहीं थीं।
प्रखर:- चलें।
प्रेक्षा:- जी
प्रखर और प्रेक्षा दोनों ऑफिस में एंट्री लेते है सभी प्रखर को देखकर गुड मॉर्निंग करते है।
प्रखर सबको गुड मॉर्निंग बोलते हुए अपने कैबिन की तरफ चला जाता है।
प्रेक्षा की बैचेनी बढ़ती जाती है तभी रेणु उसके पास आती है।
रेणु:- आज ऑफिस आने में इतनी देर कैसे कर दी। और तू प्रखर सर के साथ कैसे?
प्रेक्षा:- प्रखर सर।
रेणु:- हाँ प्रखर सर अपने बॉस महेंद्र सिंघानिया जी के बेटे तुझे नहीं पता।
प्रेक्षा ने ना में सर हिला दिया।
रेणु(कुछ याद करते हुए):- अरे हाँ जिस दिन तू घर जल्दी चली गयी थी उस दिन महेंद्र सर ने अपने बेटे के बारे में बताया था।अभी कुछ दिनों पहले ही इंडिया आया हैं।इतने दिनों से घर से सारा काम समझ रहा था अब ऑफिस आना शुरू किया है।लेकिन तू इनके साथ कैसे ? और तुझे ये चोट कैसे लगी?
प्रेक्षा रेणु को सुबह की सारी बातें बताती है और रेणु बड़े मजे से सब सुन रहीं थी।
रेणु:- वाह बेटा तू और प्रखर के साथ वो भी बाइक पर हाय ऑफिस की लड़कियां तो उनसे बात करने के बहाने बना के बैठ है और तू बाइक पर आ रहीं है हाय कितनी लकी है तू।
प्रेक्षा:- चुप कर कितना बकवास करती है तू।वैसे भी मैं लेट हूं मल्होत्रा सर मुझे देखे उससे पहले जाने दे ।तुझसे लंच में मिलती हूँ बाय।
प्रेक्षा अपने कैबिन में जाती हैं।और आज जो हुआ उसे सोचने लगती है उसके चेहरे पर मुस्कान थी।
प्रखर (अपने पापा के केबिन में) :- गुड मॉर्निंग डैड
सिंघानिया:- गुड मॉर्निन माय सन वेलकम वेलकम|
सिंघानिया ऑफिस के फ़ोन से रिसेप्शन पर कॉल करते है|मिस रेणु सभी को कहो की 10 मिनट में कॉनफेरेन्स रूम में आएं|
रेणु:- जी सर |
रेणू सभी को बोलकर प्रेक्षा के केबिन में जाती है |
प्रेक्षा मेम चलिए चलिए सिंघानिया सर ने सभी को कॉनफेरेन्स रूम में बुलाया है।
प्रेक्षा:- कॉनफेरेन्स रूम में क्यूँ?
रेणु:- वो तो वहाँ जाकर ही पता लगेगा।तो चल जल्दी।
प्रेक्षा और रेणु दोनों कॉनफेरेन्स रूम में पहुँचते है।सभी वहाँ इस उलझन मे आपस मे फुसफुसा रहे थे कि सिंघानिया सर ने सबको क्यूँ बुलाया है?
थोड़ी देर में सिंघानिया और प्रखर कॉनफेरेन्स रूम में आते है।प्रखर की नजर प्रेक्षा को ढूंढ रहीं थी।
कॉनफेरेन्स रूम में बने स्टेज पर सिंघानिया प्रखर के साथ खड़े हो जाते है।ऑफिस बॉय सिंघानिया को माइक दे जाता है।
सिंघानिया:- गुड मॉर्निंग ऑल ऑफ़ यू।आप सब यही सोच रहे होंगे कि मैंने आप सबको यहां क्यूँ बुलाया है।आप सबको बुलाने का रीजन हैं मेरा बेटा प्रखर सिंघानिया।
मैं कुछ दिन पहले आपको बताया था कि मेरा बेटा अब मेरा काम में हाथ बटाने आएगा तो ये है मेरा बेटा प्रखर सिंघानिया।आज से ये भी इस ऑफिस का हिस्सा है।आप लोगों ने इस एम्पायर को ऊचाईयों तक पहुंचाने में जैसे मेरा साथ दिया है वैसे ही मेरे बेटे का भी दें।आइए सब मिल कर मेरे बेटे के साथ नयी पीढ़ी की नए तरीके और जोश का वेलकम करें।
सभी एक साथ तालियां बजाने लगते है और पूरा कॉनफेरेन्स रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजने लगता है।
सिंघानिया:- कल शाम को मेरे बेटे के वापस आने और ऑफिस जॉइन करने की खुशी मे मैने मेरे घर पर एक पार्टी रखी है आप सभी जरूर आए।
थैंक्यू।
एक बार सभी फिर से तालियां बजाने लगते है।सिंघानिया और प्रखर स्टेज से नीचे आ जाते हैं।मल्होत्रा सिंघानिया और प्रखर के पास जाकर:- गुड मॉर्निंग सर।
सिंघानिया :- गुड मॉर्निंग मल्होत्रा।प्रखर बेटा ये है हमारे सीनियर मैनेजर सुनील मल्होत्रा।
मल्होत्रा(प्रखर की तरफ हाथ बढ़ाते हुए):- हैलो सर एंड वेलकम।
प्रखर(हाथ मिलाते हुए):- थैंक्यू।
सिंघानिया :- प्रखर आओ तुम्हें ऑफिस के और भी सीनियर लोगों से मिलवाता हूँ।
सिंघानिया एक एक करके सभी को प्रखर से मिलवाते है। तभी प्रखर को प्रेक्षा दिखाई देती है जो मल्होत्रा जी से कुछ डिस्कस कर रहीं है।
प्रखर :- डेड वो मल्होत्रा जी के साथ लड़की कौन है?
सिंघानिया :- ओह उससे तो तुम्हें मिलवाया ही नहीं।
प्रेक्षा(सिंघानिया प्रेक्षा को आवाज लगाते है और अपने पास बुलाते है)
प्रेक्षा:- जी सर।
सिंघानिया :- बेटा ये मिस प्रेक्षा हमारी अकाउंट मैनेजर।ये बहुत ही होनहार और मेहनती है।पिछले 2 साल से एंप्लॉयी ऑफ दी ईयर रह चुकी है ।
प्रखर (प्रेक्षा कि तरफ हाथ बढ़ाते हुए):- हैलो मिस प्रेक्षा।
प्रेक्षा प्रखर से हाथ मिलाती है:- वेलकम सर।
प्रखर:- थैंक्यू।
सिंघानिया का ध्यान प्रेक्षा की चोट पर जाता है:- प्रेक्षा तुम्हें चोट कैसे लगी।
प्रेक्षा:- जी सर वो छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था जरा सी चोट हैं ठीक हो जाएगी।
सिंघानिया :- ठीक है बट टेक केयर।
प्रेक्षा थैंक्यू बोल कर चली जाती है और प्रखर बस उसे देखता रह जाता है।
सिंघानिया : - सो माय सन चलो तुम्हे तुम्हारा कैबिन दिखाते है ।
प्रखर:- जी डेड।
सिंघानिया प्रखर को उसका कैबिन दिखाते है।
सिंघानिया ग्रुप के ऑफिस को इस तरीके से बनाया गया था कि सभी कैबिन ग्लास शील्ड थे और सिर्फ सिंघानिया जी और प्रखर के कैबिन से सारे कैबिन देखे जा सकते थे लेकिन उनके कैबिन में क्या हो रहा है वो कोई नहीं देख सकता था।
सिंघानिया ने चेयर की तरफ इशारा किया और प्रखर वहाँ बैठ गया।प्रखर ने जब चारो तरफ नजर घुमायी तो उसे प्रेक्षा का कैबिन दिखाई दिया जहां प्रेक्षा अपने कम्यूटर पर अपना काम कर रहीं थीं।ये देख कर प्रखर बहुत खुश हुआ।
सिंघानिया :- तो कैसा लगा कैबिन।
प्रखर(खुश होते हुए):- बहुत अच्छा हैं डेड। थैंक्यू
सिंघानिया :- बेटा जब मैं इस शहर मे आया था तब मेरे पास कुछ भी नहीं था तुम्हारी माँ का साथ और मेरी मेहनत थी जो आज हम इस मुकाम पर है।मैं चाहता हूं तू इस बिजनेस को और ऊंचाईयों पर लेकर जाए।उतार चढाव आएंगे मैं तेरे साथ हूँ बस पूरी लग्न से काम करना।
प्रखर:- जी डेड मैं पूरी कोशिश करूंगा कि जितनी मेहनत आपने कि है उसी लग्न से मैं भी करूं।
सिंघानिया और प्रखर गले लगते है और सिंघानिया जी अपने कैबिन में आ जाते हैं।
प्रखर एक बार कैबिन को देखता हैं फिर कम्यूटर पर जा कर काम करने लगता हैं।
मल्होत्रा:- प्रेक्षा ये एक कंपनी की फाइल है जो हमारी कंपनी में इनवेस्ट करना चाहती है । तुम इसकी डिटेल्स निकालो और शीट तैयार करो।जब शीट बन जाए तो एक बार मुझे दिखा देना उसके बाद सिंघानिया सर को दिखाना।
प्रेक्षा:- जी सर
प्रेक्षा अपने काम में लग जाती है।
रेणु:- प्रेक्षा लंच हो गया लंच नहीं करना क्या?
प्रेक्षा:- यार मल्होत्रा सर एक काम दे कर गये है।थोड़ा सा रहा है तू चल मैं आती हूं।
रेणु:- ठीक है जल्दी आना।
कुछ देर बाद प्रेक्षा शीट बना कर मल्होत्रा के कैबिन में जाती है ।
प्रेक्षा:- मे आई कम इन सर?
मल्होत्रा:- येस प्रेक्षा आओ।
प्रेक्षा शीट मल्होत्रा को दिखाती है ।
मल्होत्रा:- गुड प्रेक्षा हमेशा की तरह काफी इम्प्रेसिव काम किया है।ये शीट एक बार सिंघानिया सर को दिखा कर उनका अप्रूवल ले आओ।
प्रेक्षा:- जी सर।
प्रेक्षा मल्होत्रा के कैबिन से सिंघानिया के कैबिन में जाती है
प्रेक्षा:- मे आई कम इन सर?
सिंघानिया:- येस कम इन।
प्रेक्षा:- सर ये न्यू कंपनी है जो हमारी कंपनी में इनवेस्ट करना चाहती है ये इसकी पूरी डिटेल्स है इसके लिए आपकी अप्रूवल चाहिए थी आप एक बार देख लीजिए।
सिंघानिया (डिटेल्स देखते हुए):- मिस प्रेक्षा आप ये अप्रूवल प्रखर से लीजिए मैं चाहता हूं कि वो अपने काम की शुरुआत इस प्रोजेक्ट से करें।
प्रेक्षा:- जी सर।
प्रेक्षा फाइल लेकर बाहर आती है और बड़बड़ाने लगती है( एक कैबिन से दूसरे कैबिन में चक्कर लग रहे है उपर से भूख लग रहीं है वो अलग अब ये मि.प्रखर ये ना कह दे की सिंघानिया सर से पूछो)प्रेक्षा ध्यान नहीं देती है और सामने से आते हुए प्रखर से टकरा जाती है। उसका पर फिसल जाता हैं और वो गिरने लगती हैं लेकिन प्रखर प्रेक्षा का हाथ पकड़ उसे सम्भाल लेता हैं। सारे पेपर हवा में और प्रेक्षा का हाथ प्रखर के हाथ में।
दोनों के लिए पल वही रुक जाता है प्रखर प्रेक्षा कि आँखों मे खो जाता है और सब भूल जाता है।
प्रखर का फोन बजता है और फिर अचानक से दोनों को होश आता है।
प्रेक्षा:- आय एम सॉरी वो मैंने देखा नहीं।
प्रखर:- आय एम आलसो सॉरी मैंने भी ध्यान नहीं दिया।
दोनों पेपर उठाने के लिए झुकते है तभी दोनों के सर टकरा जाते है।
दोनों एक साथ सॉरी ।
प्रखर (एक मुस्कान के साथ ):- मेरी दादी कहती है कि जब सर टकराता है तो दुबारा टकराना चाहिए नहीं तों लड़ाई हो जाती है।और एक ही ऑफिस मे रहकर मुझे आपसे लड़ाई नहीं करनी। ये कह कर प्रखर प्रेक्षा के सर से सर टकरा देता है।
प्रेक्षा कुछ नहीं कहती और काग़ज़ समेटने लगती है।
प्रेक्षा:- सर ये न्यू प्रोजेक्ट है जिसकी डिटेल्स इस फाइल मे सिंघानिया सर चाहते है कि आप इस प्रोजेक्ट पर काम करे।आप एक बार देख लीजिए।
प्रखर:- जी लाइये।आपने लंच किया।
प्रेक्षा:- बस वही करने जा रहीं हूं।
प्रखर:- ठीक है आप जाइए तब तक मैं देख लेता हूँ।
प्रेक्षा:- जी ।
प्रखर फाइल ले कर कैबिन में आ जाता है और प्रेक्षा लंच करने चली जाती हैं।
रेणु:- कितना टाइम लगा दिया आने में ।
प्रेक्षा:- यार पूछ मत कैबिन के चक्कर लगा रहीं थीं।और जल्दी जल्दी मे प्रखर सर से टकरा गयी पता नही क्या सोच रहे होंगे।
रेणु:- वाह बेटा सुबह बाइक अब टक्कर क्या बात ?
प्रेक्षा:- तुझसे तो बकवास करवा लो।खाना खा चुपचाप।
रेणु:- अरे काल तो सिंघानिया सर की पार्टी में जाना है क्या प्लान है तेरा।
प्रेक्षा:- यार दादी से पूछूंगी।अगर जाना हुआ तो तू मेरे घर आ जाना दोनों साथ चल देंगे।
रेणु:- जाना हुआ से क्या मतलब है जाना तो पड़ेगा ही यार।और प्रखर सर के साथ एक पार्टी में ऐसा मोका मैं नहीं छोड़ सकती।
प्रेक्षा:- फिर बकवास।मैं घर पर पूछ के तुझे कॉल कर दूंगी।
रेणु:- ओके
प्रेक्षा और रेणु अपना लंच खत्म करके अपने अपने काम पर आ गए।
प्रेक्षा अपना काम कर रहीं थीं तभी उसके कैबिन के फोन बजा।
प्रखर:- मिस प्रेक्षा प्रखर हेयर।
प्रेक्षा:- जी सर ।
प्रखर:- मैंने ये डिटेल्स चेक कर ली है मैं पर्सनली इसे देख लूँगा और अपने काफी अच्छा काम किया है जिससे मुझे बहुत हेल्प मिली।
प्रेक्षा:-थैंक्यू सर।
प्रखर अपने कैबिन से प्रेक्षा को निहार रहा था और अपने मन में यार ये क्या हो गया है मुझे आज तक किसी लड़की के बारे में इतना नहीं सोचा लेकिन प्रेक्षा क्यूँ मेरे मन पर हावी हो रहीं है।उसकी आंखे ना जाने उनमे कितने राज है उन्हें देखता हूं तो देखता ही रही जाता हूँ जेसे आंखों से ही सब जान लूँगा।आज तक किसी को देख कर ऐसा नहीं लगा लेकिन कुछ तो है जो मुझे खिंच रहा है।
शाम हो जाती है और तभी निखिल ऑफिस आता है।
निखिल सिंघानिया जी के कैबिन मे जाता है।
निखिल:- हैलो डेड।
सिंघानिया:- हैलो छोटे नवाब आज आप यहां कैसे?
निखिल:- वो डेड सुबह में कार ले गया था और भैया की कार खराब हो गयी वो मेरी बाइक से आए है पता नहीं मेरी इतनी प्यारी बाइक से उन्हें क्या प्रॉब्लम हैं।मम्मी को बोल कर आए हैं की जा रहा हूं लेकिन आऊंगा नहीं इससे तो मैं उनकी कार उन्हें देने आया हूं और अपनी बाइक लेने आया हूँ।
सिंघानिया(हंसते हुए):- तेरी बाइक अच्छी है लेकिन तू जनता है ना तेरा भाई बेशक विदेश मे रहा है लेकिन सोच आज भी उसकी साधारण जीवन है।
निखिल:- हाँ हाँ ले जाऊँगा मेरी बाइक।
सिंघानिया अपने कैबिन के फोन से प्रखर को कॉल करके बुलाते है।
निखिल:- हाय भैया कैसे हो? कैसा रहा आपका दिन?
निखिल को देखते ही प्रखर को सुबह का एक्सीडेंट याद आ गया और वो निखिल को डांटने लगा।और सुबह जो भी हुआ वो बताने लगा।
सिंघानिया:- शुक्र है कि वहाँ प्रेक्षा थी वर्ना कुछ भी हो सकता था।मुझे उसे थैंक्यू कहना चाहिए।
सिंघानिया जी अपने कैबिन से प्रेक्षा को कॉल करके बुलाते है।
प्रेक्षा:- जी सर।
सिंघानिया:- बेटा तुमने चोट के लिए बोला कि तुम्हारा छोटा सा एक्सीडेंट हुआ है लेकिन ये नहीं बताया कि मेरे बेटे को बचाया तुमने।तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद।
प्रेक्षा प्रखर की तरफ देखती है।
निखिल:- आप तो सुपर वुमन निकले वैसे मैं हूँ निखिल सिंघानिया इनका छोटा बेटा।वो मेरी ही बाइक थी जिस पर आप बैठे थे।
प्रेक्षा:- जी सर थैंक्यू की कोई बात नहीं है मैंने सिर्फ सही का साथ दिया था।
सिंघानिया ने प्रेक्षा के सर पर हाथ रखा।
प्रेक्षा:- सर वो मेरे चाचाजी मुझे लेने आए है आज मेरी स्कूटी खराब हो गयी थी तो मैं चली जाऊँ।
सिंघानिया:- शुर।
प्रेक्षा:- थैंक्यू सर।
प्रेक्षा अपने कैबिन में आती है और अपना बैग उठा कर जाने लगती है।
प्रखर प्रेक्षा को आवाज देता है।
प्रेक्षा:- जी सर।
प्रखर:- सुबह के लिए वाकई थैंक्यू।
प्रेक्षा:- सर आप पहले ही बहुत थैंक्यू बोल चुके है।अब प्लीज।
प्रखर:- ओके।
प्रेक्षा:- बाय गुड नाइट सर।
प्रखर:- गुड नाइट।
प्रखर प्रेक्षा को देखता रहा जब tk वो आँखों से दूर ना हुईं।
प्रेक्षा अपने चाचा के साथ घर पहुंचती है सभी डायनिंग टेबल पर उनका ही इंतजार कर रहे थे।
दादी:- आ गए तुम दोनों जाओ जल्दी जल्दी हाथ मुह धों लो खाना लगा हुआ है।
प्रेक्षा और राजेश (प्रेक्षा के चाचा) टेबल पर आ जाते है।कामिनी का मुँह अब भी वैसा ही है जैसा सुबह था।प्रेक्षा ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप खाना खाया।
दादी:- प्रेक्षा बेटा वो तेरी स्कूटी सही हो कर आ गयी थी।
प्रेक्षा:- जी दादी मैं खाना खा कर अनिल भैया को थैंक्यू बोल आऊंगी।
दादी:- बेटा अनिल कहीं बाहर गांव गया है कल शाम तक आएगा।
प्रेक्षा:- अच्छा ठीक है कल बोल दूंगी।
खाना खा कर प्रेक्षा अपने रूम मे आ जाती है।अपने रूम कि बाल्कनी में रखी चेयर पर बैठ कर आज के दिन के बारे में सोचने लगती है।तभी चिंटू वहाँ आता है और एक कार्ड प्रेक्षा को देता है।
प्रेक्षा:- ये क्या है अब? तेरी कोई नयी शरारत है।
चिंटू :- नहीं आप पढ़ो तो सही पहले ही डांटने लग जाती हो।चिंटू ने इतरा कर कहा।
प्रेक्षा ने कार्ड खोला उस पर सॉरी लिखा था।
चिंटू:- सुबह आपको मेरी वजह से मम्मी ने बहुत सुनाया ना उसके लिए सॉरी दीदी आगे से ऐसी कोई शैतानी नहीं करूंगा।मेरी वजह से अब कभी मम्मी आपको नहीं सुनाएगी।
चिंटू के मुँह से सब सुन के प्रेक्षा कि आंखों मे आंसू आ गए और उसने चिंटू को गले से लगा लिया।
प्रेक्षा:- पागल तेरी वजह से चाची ने मुझे नहीं डाँटा और तू शरारत नहीं करेगा तो चिंटू चिंटू नहीं रहेगा। तो ज्यादा दिमाग मत लगाया कर।
चिंटू:- आई लव यू दीदी।
प्रेक्षा:- आई लव यू टू मेरे शैतान।
दादी दोनों भाई बहनो को दूर से देख रहीं थीं और खुश थी ये देख कर की दोनों मे कितना प्यार है।ⁿ
दूसरी तरफ सब प्रखर से उसके पहले दिन के बारे में पूछ रहे थे और साथ ही साथ कल की पार्टी की तैयारी की बातें भी कर रहे थे।
प्रखर:- मां मैं थक गया हूँ तो मैं सोने जा रहा हूं।
भगवती देवी:- ठीक है बेटा गुड नाइट।।
प्रखर अपने कमरे मैं आता है टेबल से अपनी डायरी उठाता है और कमरे में लगे झूले पर बैठ कर आज के दिन के बारे में सोचता है।उसकी आँखों के सामने बस प्रेक्षा का चेहरा है।
प्रखर अपनी डायरी मैं कुछ लिखने लगता है
यह कौन निकल गया छूकर मानो हवाओं में ,
घुलने लगा इश्क मद्धम मद्धम फिजाओं में ,
दस्तक हुई हैं किसी की ये कौन आ गया है ,
मासूम चेहरा एक मेरे दिल में समा गया है ,
बदन तेरा संगमरमर से तराशा प्यारा लगता है ,
पराया लगे जग सारा जाने तू क्यों हमारा लगता है।
तेरी लहराती जुल्फों में खो जाना चाहता हूं ,
छिप कर देखना,कैसे दिल को मैं बहलाता हूं ,
फिर तेरी नीली आंखों का नशा चढ़ सा जाता है ,
गिरे जो दुपट्टा रोकने को मेरा हाथ बढ़ जाता है ,
अब यह मुस्कुराहट ही क्यों जीने का सहारा लगता है ,
पराया लगे जग सारा जाने तू क्यों हमारा लगता है।
फिर वह आंखों ही आंखों में तू शरमाई ,
समझो मिट गई खुदा की भी खुदाई ,
होंठ तेरे जो पंखुड़ियों का सुर्ख पैमाना है ,
तेरी हंसी के लिए पड़े चाहे सारा जग गवाना है ,
पहनावा तेरा ये संस्कृति वाला जग से न्यारा लगता है ,
पराया लगे जग सारा जाने तू क्यों हमारा लगता है।
अतरंगी सी तेरी चाल नशीले जामो से तेरे गाल ,
माथे की वह छोटी बिंदी बुरा कर दे मेरा हाल ,
चांद की चांदनी भी कहां होती है इतनी सुंदर ,
मैंने देखी हैं राधा की मूरत तेरे अंदर ,
कृष्ण बन जाऊँ तेरा तुझ पर सब वारा लगता है ,
पराया लगे जग सारा जाने तू क्यों हमारा लगता है।
( कविता:-डॉ उमेश जायसवाल)
अपनी कविता को लिख कर प्रखर अगली सुबह की सुनहरी शुरुआत के लिए सो जाता है ।।
To be continued...

