Prashant Subhashchandra Salunke

Tragedy

3  

Prashant Subhashchandra Salunke

Tragedy

मासूम सा दिल...!

मासूम सा दिल...!

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218


पुवार्ध


"पिताजी मुझे दस रुपिये चाहिये".. ये बात सुन बेवडे पिताजी कि आंखो मे खून उतर आया और गुस्से मे उसने अपनी लडकी को एक चाटा मार दिया ... बिना मां कि बच्ची दिवाल से टकराई और वही बैठ रोने लगी .. बेवडे बाप ने दो चार गालियां दी ... और अपने काम में जुट गया (पीने के ) थोडी देर बाद वापिस वह लडकी अपने पिता के पास आई और बिनती कर बोली “पिताजी मुझे पांच रुपिये दो न !!” इस बार पिता ने पुछा “ क्यो बे कभी दस कभी पांच क्या करेगी तू पैसे का?” लडकी बोली “पिताजी वह मे नही बता सकती,मुझे पैसे दो न “ यह सुन पिते हुए पिताजी का पित्ता गया और लडकी को मार और फिर थक के गालिया बोलते बोलते पलंग पर सो गया, .... रात बारह बजे उसे लगा कि कोई उसे हिला रहा हे उसने थकहारकर आंखे खोली तो देखा उसकी लडकी हाथ मे एक कागज लिये हंसती हुई खडी थी, पिता को आश्चर्य हुआ और वह बोला “ क्यो बे रात को बारह बजे पैसे मांगने आई हे?" यह सुन लडकी बोली “ न पिताजी अब मुझे पैसे नही चाहिये!! आप ने मुझे पैसे नही दिये तो मैंने खुद हि यह जन्मदिन मुबारक का कार्ड बना दिया, पिताजी जन्मदिन मुबारक हो" और यह बोल लडकी अपने पिताजी के गले लग गई.. और पिताजी का सारा नशा एक झटके में उतर गया!

 (उतरार्ध)


“ बेटी याद हे तुझे आज से ठीक एक साल पहले मेरे जन्मदिन पर तुने मुझे कार्ड दिया था. और में शराब के नशे में धूत था, उस वक्त जब तुने मुझे गले से लगाया तो मैंने तुझे धक्का दे के गिराया था, और बाजू में पडी छडी से मार मारा था और बोला था क्यो मेरी नींद खराब की? एक रद्दी के कागज के लिए? मेरा सारा नशा खराब कर दिया ऐसा बोल में तुझे मारता रहा. तू रूठ के एक कोने मे बैठ रोने लगी......... बेटी पर उस दिन के बाद में सुधर गया, मैंने शराब पीना तो क्या उसे छूना तक छोड दिया!!! तेरी माँ तुझे जन्म देते ही मर गई थी बस तबसे उसकी मौत का जिम्मेदार मे तुझे समझता था, और इसलिये तेरी हरबात से में खफा रहता था, पर बेटा मैं अब सुधर गया हुं! बेटे आज मेरे जन्म दिन पर मुझे रात को कभी भी जगा के कार्ड देना मैं नही गुस्सा होउंगा, मैं तुझे नही मारुगा, और वादा कर तू भी मुझसे कभी नही रुठेगी......” बोलते बोलते बाप की आंखो से आंसु टपक पडे, उसने आंसु पोंछ्ते उसकी बेटी की तसवीर पर गुलाब का हार चढाते बोला उसदिन तू मुझसे ऐसा रूठी की जब मे तुझे उठाने आया तो तू उठी ही नही! तू मुझसे हमेशा के लिये रूठ के कहाँ चली गई?


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