मासूम हीरे की परख
मासूम हीरे की परख
एक मासूम की जान जिसके पास भविष्य में अपना भविष्य सुधारने के लिए हुनर तो बहुत का मगर उधर को परखने वाले कम ही थे। ऐसे में ही जिस तरह हीरे की परख तो जोहरी ही कर सकता है। उसको भी परखने वाले मिल गए और उन्होंने उसकी जिंदगी बदल दी। यह एकदम सच है। और मैं आपको एक सच्ची घटना ही बता रही हूं।
वे प्रतिष्ठित सज्जन जिनका जयपुर में बहुत नाम था ।उन्होंने हजारों ऐसे हीरो को परख करके कड़ी मेहनत से जौहरी बनाया। उनको मालूम चल जाता था, कि जो सीखने आने वाला सज्जन है। लड़का है वह काबिल जौहरी बनने के काबिल है या नहीं।क्योंकि हीरे जवाहरात का धंधा कोई साधारण धंधा नहीं है। इसमें इमानदारी और पारखी नजर ही चाहिए।
उन्होंने अपने हाथ नीचे कम से कम हजारों लोगों को तराश करके हीरा बनाया जयपुर में उनका नाम बहुत ही आदर सम्मान से लिया जाता था। जोहरी बाजार में उनका बहुत बडी हवेली और उसके नीचे का पूरा हिस्सा ऊपर वो रहते और नीचे पूरा लोगों को जवाहरात सिखाने के लिए गद्दी में कन्वर्ट कर रखा था जब ऐसे पारखी नजर वाले जोहरी हो तो थोड़े भी टैलेंट वाले लड़के को अच्छा जोहरी बनने से कोई नहीं रोक सकता जरूरत है बस एक चांस की वे सबको देते थे.
ऐसे ही एक दिन उनके पास आसाम से दसवीं कक्षा पास करके एक लड़का आया । और उसने उनसे मुलाकात करी। और काम सीखने की इच्छा जाहिर करी। और उनकी पारखी नजर में उसको पहचाना। कि यह भविष्य में बहुत अच्छा जो जोहरी बनेगा। उन्होंने उसको बहुत अच्छे से तैयार किया । और अपने बेटे के साथ में पार्टनरशिप में काम शुरू करवा दिया। समयांतर के बाद मेँ उनकी कसौटी पर खरा उतरा। और बहुत अच्छा जौहरी बना ।और उसने उनके बेटे के साथ मिलकर के बहुत काम किया ।और भी बहुत लोगों को अच्छा जौहरी बनाया। यह सही है कि हीरे की परख करने वाला चाहिए और सही परखो तो कोयला भी तराश के हीरा बनाया जा सकता है यहां पर सही बैठती है