Farhan Qazi

Horror

4.2  

Farhan Qazi

Horror

मांस्टर फ़ोर्ट

मांस्टर फ़ोर्ट

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"कब जाना है हमें?" फ़्लोरेंस ने किचन में मैक्रोनी मनाते डेविड से पूछा।


"नेक्स्ट वीक। तुम तैयारी करो चलने की। अब हम सिर्फ जाने से एक दिन पहले ही ऑफिस चलेंगे। तब तक घर पर ही ऐश करेंगे।" डेविड ने किचन के अंदर से कहा।


"ऐश करेंगे। जैसे शादी के बाद से तुम ऐश ही करा रहे हो।" फ्लोरेंस ने मुंह बनाते हुए कहा।


"अरे यार! तुम से तो कोई भी बात करो। फौरन शिकायतों का पुलिंदा सामने रख देती हो। इतना तो प्यार करता हूं तुम्हें। देखो तुम्हारे लिए एक शानदार डिश भी तैयार कर रहा हूं।" डेविड ने मजाकिया लहजे में कहा।


"हां पता है, पांच मिनट लगते हैं मैक्रोनी बनाने में, और तुम आधे घंटे से किचन में अपना हुनर दिखा रहे हो।" उसने हंसते हुए कहा।


"मैम, खा कर देखो फिर बताना। आज से पहले कभी इतनी स्पेशल मैक्रोनी नहीं खाई होगी।" डेविड ने कटोरी में मैक्रोनी डालते हुए कहा।


"ओह...रियली अमेजिंग।" फ्लोरेंस ने चम्मच से मैक्रोनी खाते हुए कहा।


"तुमने क्या एक्शन प्लान बनाया है वहां काम करने का?" डेविड ने पूछा।


"तुम भी बैठो साथ में, तभी काम करेंगे इस पर।" उसने जवाब दिया।


 अगले चार दिन दोनों जाने की तैयारियों और एक्शन प्लान बनाने में लगे रहे। 


"सिमरापुर का किला। नाम सुनकर ही सिहरन हो रही है।" फ़्लोरेंस ने कहा। 


"क्यों? क्या कोई ऐसी बात पता चली है किले के बारे में।" डेविड ने पूछा।


"हां, ग्रेटा का फोन आया था। बता रही थी कि वह भूतिया किला के नाम से मशहूर है।" फ़्लोरेंस ने बताया।


"अरे यार! जितने भी पुराने किले होते हैं न... उनके बारे में यही अफवाहें उड़ाई जाती हैं। भूत-प्रेत...हुह। कुछ नहीं होता ऐसा। सब मन का वहम है।" डेविड ने कहा।


 डेविड और फ़्लोरेंस प्राचीन इतिहास विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर थे। दो महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी। शादी से पहले दोनों पांच साल तक काफी अच्छे दोस्त रहे थे। अपने प्रोजेक्ट में अलग-अलग लोकेशंस पर जाकर उनके बारे में कुछ नई जानकारियां इकट्ठा करना उनका शौक भी था। इस बार सिमरापुर जाने के लिए उन्होंने अपने हेड ऑफ डिपार्टमेंट से इजाजत ले ली थी।


तीन दिन बाद दोनों अपना जरूरी सामान लेकर सफर पर निकल गए। बीस घंटे के बेहद थकान भरे सफर के बाद वह बस से एक जगह उतरे।


"आगे तांगा मिल जाएगा साहब। उसमें बैठ जाइएगा। यहां से बस पांच किलोमीटर ही दूर है सिमरापुर।" कंडक्टर ने उनसे कहा।


 दोनों बस से उतरकर कंडक्टर की बताई दिशा में आगे बढ़ गए। उन्हें वहां कोई तांगा नहीं दिखाई दिया। दोनों पैदल ही चलने लगे। उबड़-खाबड़ रास्ते पर तकरीबन दो किलोमीटर चलने के बाद उन्हें एक तांगा आता दिखाई दिया। वह उसे रोककर उसमें बैठ गए।


"क्यों भाई... क्या तुम इकलौते तांगे वाले हो? दूर दूर तक कोई तांगा दिखाई नहीं दिया।" डेविड ने पूछा।


"बस चार ही तांगे वाले हैं हुजूर। दो तांगे इधर से गांव के लिए हैं और दो गांव से सड़क तक आने के लिए।" तांगेवाले ने जवाब दिया।


"गांव में कुल कितने घर हैं? कुल कितनी आबादी है गांव की?" डेविड ने एक साथ दो सवाल किए।


"बाबूजी कुल मिलाकर तीस घर हैं और आबादी यही कोई सवा सौ। आपको किस के घर जाना है?" तांगे वाले ने सवाल पूछते हुए कहा।


'हमें किसी के घर नहीं जाना। किले में जाना है।" डेविड ने कहा।


"क्या...?" कहकर उसने घोड़े की लगाम तेजी से खींची।


घोड़ा जोर से हिनहिना कर रुक गया।


"अरे बाबूजी, फौरन तांगे से उतरो। मैं वहां नहीं ले जा सकता।" उसने तांगे से दोनों को उतारते हुए कहा। 


"लेकिन क्यों?" फ्लोरेंस ने परेशान होते हुए पूछा।


"वहां कोई नहीं जाता। वहां भूतों का साया है। रात तो क्या दिन में भी कोई उधर की तरफ नहीं देखता।" तांगे वाले ने जवाब दिया।


"हम बहुत थके हुए हैं। हम से चला नहीं जा रहा। प्लीज़... हमें वहां तक छोड़ दो।" फ्लोरेंस ने मिन्नतें करते हुए कहा।


"बाबू जी मैं आपको गांव की सीमा तक छोड़ सकता हूं, लेकिन आप लोग किले में न जाएं तो बेहतर है। वरना आपकी वजह से पूरा गांव खतरे में पड़ जाएगा।" तांगे वाले ने कहा।


"क्या बात है? हमें पूरी बात तो बताओ?" डेविड ने कहा।


"यह गांव के लोगों से ही पूछ लेना। मैं आपको वहां तक छोड़ देता हूं।" तांगे वाले ने जवाब दिया।


 उसने उन्हें एक पेड़ के नीचे उतार दिया।


"यहां से पांच सौ कदम की दूरी पर वह गांव में मकान बने हैं। वहां से दक्षिण में डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर किला है। मैं आपसे एक बार फिर कहूंगा कि उधर मत जाना, वरना सब को परेशानी होगी।" तांगे वाले ने रहस्यमयी ढंग से कहा। 


डेविड ने उसको तांगे का किराया दिया। तांगे से उतरकर दोनों आगे बढ़ गए। डेविड ने पीछे मुड़कर देखा। तांगेवाला गायब हो चुका था। वह चौंक गया।  

वहां से टहलते हुए दोनों लोग सिमरापुर पहुंच गए। दोपहर का एक बजा था। सूरज की तपिश उनके दिमाग को पिघला रही थी। दोनों के जिस्म गर्मी की वजह से झुलस रहे थे।


"थोड़ा पानी दो यार।" डेविड ने कहा।


"पानी खत्म हो गया है। यहां बहुत गर्मी है। दूर-दूर तक कोई नल भी नहीं दिख रहा है।" फ्लोरेंस ने उसे पानी की खाली बोतल दिखाते हुए कहा।


"गांव के किसी घर से पानी लेना पड़ेगा।" डेविड ने कहा।


उन्होंने एक दरवाजा खटखटाया। बारह साल का एक लड़का बाहर निकल कर आया। डेविड ने उससे पानी पीने के लिए मांगा। उसने पानी ला कर दिया। डेविड ने पानी पीने के बाद बर्तन फ्लोरेंस को दे दिया। फ्लोरेंस ने पानी पीने के लिए उसमें जैसे ही मुंह लगाया। उसे पानी में अपना बिगड़ा हुआ चेहरा दिखाई दिया। फ़्लोरेंस ने झटके से बर्तन को दूर फेंक दिया।


'क्या हुआ?" डेविड ने घबराकर पूछा।


"कुछ...कुछ था उसमें।" फ्लोरेंस ने हकलाते हुए जवाब दिया।


 लड़के ने दोबारा उसकी बोतल में पानी ला कर दिया। पानी पीकर दोनों अभी बैठे ही थे कि उन्हें मैदान में पेड़ों के साए में चार तांगे खड़े हुए दिखाई दिए। डेविड दौड़कर उनके पास पहुंचा।


"गांव में कितने लोग तांगा चलाते हैं?" डेविड ने पूछा।


"हम चार लोग ही हैं।" तांगेवाले सुरेश ने जवाब दिया। 


'अभी हम बस से उतरे तो तुममें से कोई वहां सड़क पर था?" डेविड ने सवाल किया।


"बाबूजी बहुत गर्मी हो रही है। इतनी धूप में हमारे गांव में कोई नहीं आता। जिसे भी गांव से जाना या गांव में आना होता है, वह सुबह और शाम में ही आता है।" दूसरे तांगेवाले राजू ने कहा।


उसे बहुत आश्चर्य हुआ।


"फिर वह तांगे वाला कौन था? जो हमें यहां छोड़ गया।" उसने सोचा।


"आप गांव में किसके यहां आए हो?" सुरेश ने पूछा।


"किसी के यहां नहीं। हम किले जाने के लिए आए हैं।" डेविड ने कहा।


 किले का नाम सुनकर चारों ने अपने कानों पर हाथ रख लिए।


"बाबूजी वहां तो भूलकर भी ना जाना। वहां आत्माओं का वास है। जो भी वहां गया। वापस लौट कर नहीं आया।" तांगेवाले बाबूलाल ने कहा।


"सब बकवास है। आत्मा किले में होती तो वहीं क्यों रहती? वह बाहर निकल कर गांव में क्यों नहीं आती?" डेविड ने सवाल किया।


उन्हें वहां देख कर दो तीन गांव वाले भी आ गए।


"मेरे दादा जी ने बताया था कि पचास साल पहले चर्च के प्रीस्ट वर्गीस ने किले के चारों तरफ हिसार खींच दिया था। जिस कारण आत्माएं उसे पार करके गांव में नहीं आ सकतीं।" तांगेवाले जाफर ने कहा।


"कोरी गप्प है यह। हम वहां जा रहे हैं। दो दिन बाद वहां का रहस्य भी तुम्हें बता देंगे।" डेविड ने कहा।


"हम झूठ नहीं कह रहे हैं। भगवान न करें अगर कुछ हो गया तो कोई बचाने भी नहीं आएगा।" एक बूढ़े गांव वाले ने कहा।


"अगर झूठ समझते हो तो चर्च में फादर से पूछ लो।" दूसरे ने कहा।


"क्या वह फादर अभी तक जिंदा है?" डेविड ने हैरत से पूछा।


'नहीं,यह वह फादर नहीं हैं। यह उनके बेटे हैं पीटर वर्गीस। जो अब चर्च के प्रीस्ट हैं।" सुरेश ने कहा।


"क्या इस गांव में कुछ ईसाई भी रहते हैं?" डेविड ने पूछा।


"नहीं अब कोई नहीं रहता। पहले रहते थे। जब देश आजाद हुआ और अंग्रेज देश छोड़कर चले गए। तब यहां से भी सब चले गए।" जाफर ने जवाब दिया।


"अच्छा, अब हम किले में जा रहे हैं।" कहकर डेविड और फ्लोरेंस किले की ओर जाने लगे।


"अमावस की रात में किला पिशाच बन जाता है और कल अमावस है। मेरी मानों तो वहां न जाना ही बेहतर है।" बूढ़े गांव वाले ने टोका।


 उसकी बात को अनसुना करके दोनों हिसार को पार करके किले तक पहुंच गए।


"वाऊ... कितना शानदार किला है। न देखा न कभी सुना।" फ्लोरेंस ने मुस्कुराते हुए कहा।


"इसके साथ मेरे कुछ फोटो लो।" डेविड ने कहा।


फ्लोरेंस ने अपने मोबाइल से किले के साथ डेविड की कई तस्वीरें खींची। वह सब बहुत सुंदर आईं। डेविड ने फ्लोरेंस के कहने पर उसकी भी कई तस्वीरें खींची, लेकिन सभी तस्वीरों में उसका चेहरा खराब आया।


"तुम्हें तो फोटो खींचना भी नहीं आता। सारी तस्वीरों में मेरा चेहरा बिगाड़ दिया।" फ़्लोरेंस ने नाराज़ होते हुए कहा। 


दोनों किले के अंदर पहुंच गए। धूल और गंदगी के अलावा उन्हें कोई ऐसी चीज नज़र नहीं आई जिससे उन्हें डर लगता।


"लोग बेकार ही आने से डरते हैं यहां ऐसा कुछ भी नहीं है।" फ़्लोरेंस ने अहाते को साफ करके बिस्तर लगाते हुए कहा।


किले के बाईं ओर एक बहुत बड़ा बाग था। जिसमें बहुत सारे पेड़ लगे थे। कुछ पेड़ बीच-बीच में बेतरतीब उग आए थे। जिस कारण उसकी खूबसूरती कम हो गई थी। वह बाग कम और जंगल ज्यादा लग रहा था। शाम होते ही उन्होंने इमरजेंसी लाइट ऑन कर दी। जिससे कुछ रोशनी हो गई।


दोनों टहलने के लिए बाग में निकल आए। पेड़ों पर जुगनू की रोशनी में ऐसा लग रहा था जैसे हजारों सितारे जमीन पर उतर आए हों। दूर-दूर तक सिर्फ और सिर्फ सन्नाटा था। झींगुर और सियार की आवाज़ें उस सन्नाटे को तोड़ रही थीं। कुछ देर के बाद वह आकर बिस्तर पर लेट गए। दिनभर की थकान से उन्हें जल्दी ही नींद आ गई।


 रात के किसी पहर कुछ आवाजों से डेविड की नींद टूटी। उसने देखा कुछ दूरी पर फ्लोरेंस उसकी ओर पीठ किए बैठी कुछ खा रही थी। वह उसके पास गया।


"क्या हुआ? इतनी रात में भूख लग आई क्या?" कहते हुए उसने फ़्लोरेंस उसके कंधे पर हाथ रखा।


 अचानक एक झटके से वह कई फीट दूर जा गिरा। उसने देखा फ्लोरेंस ने एक नेवले को पकड़कर उसका मुंह अपने दांतो के बीच दबाकर उखाड़ दिया और उसे चबाने लगी। दूसरे नेवले की गर्दन को उसने हाथ में कसकर पकड़ रखा था। उसका पूरा मुंह खून से सना था। एक नेवले को कच्चा चबाने के बाद उसने दूसरे के साथ भी वही किया।


"लो तुम भी खाओ।" फ्लोरेंस ने डरावनी हंसी के साथ उसकी ओर फटा हुआ नेवला बढ़ाते हुए कहा।


 डेविड उल्टी करता और उबकाई लेता हुआ वहां से भाग बाहर निकल आया। कुछ देर बाद उसने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला। वह वापस अंदर आया। उसने देखा फ्लोरेंस आराम से अपने बिस्तर पर लेटी थी। उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं आया। उसने चारों तरफ से घूम कर उसे देखा। फिर उसके बराबर में लेट गया। नींद उसकी आंखों से गायब हो चुकी थी। वह रात भर जागता रहा। सुबह होते-होते उसकी आंख लगी।


"अरे! उठो भी। क्या दिन भर यूं ही सोते रहोगे? सूरज मुंह पर आ गया है।" फ्लोरेंस ने दस बजे के करीब उसे जगाते हुए कहा।


वह उठा। रात का नजारा उसकी आंखों के सामने घूम रहा था। हाथ मुंह धो कर दोनों किले के अंदर घूमने लगे।


"जल्दी-जल्दी घूम लो। शाम होने से पहले ही हम लोग यहां से निकल चलेंगे।" डेविड ने कहा।


"क्यों निकल चलेंगे? इतना बड़ा किला है। एक दिन में कैसे घूम पाएंगे?" फ़्लोरेंस ने खरखराती आवाज में कहा।


"गांव वालों ने कहा था कि अमावस की रात में यहां नहीं रुकना। बेकार ही हम किसी मुसीबत में पड़ें इसलिए यहां से जाना ठीक रहेगा।" डेविड ने समझाते हुए कहा।


"तुम जाना चाहते हो तो चले जाओ। मैं तो पूरा किला घूमने के बाद ही जाऊंगी।" फ्लोरेंस ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा।


 दोनों शाम तक किले का तहखाना, कोठरियां और सुरंगे देखते रहे। शाम होते ही दोनों अपने बिस्तर पर आ कर लेट गए।


"बाग में घूमने नहीं चलोगे?" फ्लोरेंस ने पूछा।


"अब मेरे अंदर चलने की हिम्मत नहीं है। मैं नहीं जा सकता। बस बाहर निकलो अब यहां से।" डेविड ने जोर देकर कहा। 


 फ्लोरेंस ने उसकी बात नहीं मानी। लेटते ही दोनों की आंख लग गई। रात गहराते ही पेड़ की जड़ें अचानक तेजी से बढ़ने लगी और उन्होंने पूरे किले को इस तरह ढक लिया जैसे किसी औरत के सिर पर बालों की चोटी हो। किले के मुख्य द्वार पर लोहे के नुकीले दांत उभर आए। पूरा किला एक पिशाच बन गया। किले की छत से खून रिसने लगा।


 अचानक फ्लोरेंस का पूरा जिस्म थरथराने लगा। उसने डेविड के पैर पकड़कर तेजी से घुमाकर दूर फेंका। उसका सिर किले की दीवार से टकराया। वह लड़खड़ाता हुआ उठा। उसने देखा फ्लोरेंस की आंखें लाल हो गई थीं। उसकी आंखों के किनारों और मुंह से खून टपक रहा था। वह भयानक आवाजें निकल रही थीं।


 डेविड डरकर चीखता हुआ किले की सीढ़ियां चढ़कर ऊपर की तरफ भागा। फ्लोरेंस का जिस्म हवा में उड़ता हुआ उसके पीछे-पीछे किले छत पर पहुंच गया। उसने डेविड के बाल पकड़कर सीढ़ियों से नीचे धक्का दे दिया। वह सीढ़ियों से लुढ़कता हुआ नीचे आ गिरा। फ़्लोरेंस उल्टी लेट कर सीढ़ियां उतरने लगी। उसका मुंह खून उबाल रहा था। डेविड किले के मेन गेट की तरफ भागा। किले का गेट किसी राक्षस के मुंह की तरह बंद होने लगा। पेड़ों की जड़ें उसके पैरों से लिपट गई और उसे चीरने लगीं।


फ़्लोरेंस भयानक अट्टाहस करती हुई उसके सामने आकर खड़ी हो गई। उसने डेविड की गर्दन पकड़कर खींचा। जड़ों की पकड़ उस पर ढीली हो गई। उसने डेविड को हवा में उछाल दिया।


"ओ जीसस! सेव अस।" अचानक उसके मुंह से निकला।


 फ़्लोरेंस के उछालने से वह गेट के पास आकर गिरा। गॉड का नाम लेकर वह किले से निकलकर चर्च की ओर बेतहाशा भागा। उसके ज़हन में बूढ़े गांव वाले की बात घूम रही थी "लौटकर गांव में मत आना। यहां कोई तुम्हारी मदद नहीं करेगा।"


"फादर... फादर।" चर्च के गेट पर पहुंच कर उसने प्रीस्ट को चीख़ कर आवाज़ दी।


"क्या हुआ?" प्रीस्ट ने बाहर निकल कर उससे पूछा।


उसने बिना रुके उन्हें पूरी बात बताई।


"वह बहुत जिद्दी आत्मा है। उसका शरीर आसानी से नहीं छोड़ेगी।" प्रीस्ट ने कहा।


"कुछ करिए फादर। इस वक्त आप के अलावा उसे कोई नहीं बचा सकता।" डेविड ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।


"उसको शरीर से बाहर निकालने के लिए कुछ तैयारी करनी पड़ेगी।" प्रीस्ट ने कहा।


"वह आत्मा है किसकी?" डेविड ने पूछा। 


प्रीस्ट तैयारी करने के दौरान बताने लगे "लगभग ढाई सौ साल पहले जब अंग्रेजों ने हिंदुस्तान पर हुकूमत की। उस वक्त लॉर्ड राज़ेल को इक्कीस गांव देकर यहां का वायसराय बनाया। राज़ेल और उसकी पत्नी जेनिफर बहुत हमदर्द थे। वे लोगों की मदद करते थे। गांव वाले उन्हें भगवान की तरह पूजते थे। जेनिफर के भाई आज़ेर को यह बात पसंद नहीं थी। वह खुद वायसराय बनना चाहता था। एक रात उसने धोखे से राज़ेल की हत्या कर दी। वह खुद तानाशाह बन बैठा। जेनिफर को अपने भाई की इस हरकत का बहुत दुख हुआ। उसने अपने बेटे हारिज़ को शस्त्र-शास्त्र में निपुण किया। आज़ेर की एक प्रेमिका थी क्रिस्टीन। वह उसको मल्लिका बनाने का ख्वाब दिखाता था। हारिज़ ने एक युद्ध में आज़ेर को मार कर गद्दी वापस ले ली। आज़ेर के मरने के बाद क्रिस्टीन का ख्वाब अधूरा रह गया। उसने आत्महत्या कर ली। तब से उसकी आत्मा इस किले में भटक रही है।"


"सुना है किले के बाहर हिसार आपके पापा ने खींचा था।" डेविड ने पूछा।


"हां, गांव वालों को आत्मा के आतंक से बचाने के लिए उन्होंने ही हिसार खींचा था। अंग्रेजों के यहां से जाने के बाद मेरे पापा, मम्मी और मेरे साथ यहीं रूक गए थे। उनकी मृत्यु के बाद से मैं शायद सिर्फ इसी काम के लिए यहां रुका था।" प्रीस्ट ने जवाब दिया।


डेविड, प्रीस्ट को लेकर किले में आया। उन्हें फ़्लोरेंस की भयानक चीखें सुनाई दीं। फ़्लोरेंस बहुत ही भयानक रूप धारण कर चुकी थी। उसके दांत और नाखून काफी बड़े हो गए थे। आत्मा पूरी तरह उस पर हावी हो गई थी। प्रीस्ट पीटर वर्गीस ने अपनी झाड़-फूंक शुरू की। फ़्लोरेंस, प्रीस्ट को तरह-तरह से परेशान करती है।


"तू... तू मारेगा मुझे।' फ्लोरेंस ने बुरी तरह दहाड़ते हुए कहा।


 उसकी गर्दन पूरी तरह पीछे मुड़ गई और हाथ लंबे होकर प्रीस्ट को पकड़ने की कोशिश करने लगे। वह लगातार उन्हें गंदी-गंदी गालियां बक रही थी।


वह जमीन से उठकर हवा में चल रही थी। प्रीस्ट उसे शांत करने की कोशिश में लगे रहे। उनकी झाड़-फूंक से आत्मा कुछ देर के लिए शांत हुई, लेकिन थोड़ी देर के बाद ही उग्र रूप धारण कर लिया। उसके जिस्म की खाल फटने लगी। पीटर वर्गीस उसे देखकर गुस्से में आ गए। उन्होंने फ़्लोरेंस को बचाने के लिए शैतान आत्मा को उसका जिस्म छोड़कर अपने जिसमें आने के लिए कहा। 


"यह तावीज़ उसके गले में डाल देना।" प्रीस्ट ने डेविड को तावीज़ देते हुए कहा।


जैसे ही तावीज़ फ़्लोरेंस के गले में पड़ा। आत्मा फ़्लोरेंस के जिस्म को छोड़कर प्रीस्ट के जिस्म में आ गई।  वह किले की छत पर जाकर नीचे कूद गए। प्रीस्ट ने उस आत्मा को कंट्रोल करते हुए अपनी ज़िदगी बलिदान कर दी।


डेविड दौड़कर उनकी बॉडी के पास आया। प्रीस्ट के बलिदान की वजह से आत्मा फ़्लोरेंस के जिस्म को छोड़कर चली गई। वह बिल्कुल नॉर्मल हो गई। उसे पिछली कोई बात याद नहीं रही। पूरे गांव ने मिलकर नम आंखों से पीटर वर्गीस का अंतिम संस्कार किया। किला अब उस आत्मा के शाप से मुक्त हो चुका था।


"शायद इसी काम को अंजाम देने के लिए ही फादर आज तक यहां रुके थे।" एक बूढ़े गांव वाले ने उदास होकर कहा।


 डेविड और फ़्लोरेंस दुखी मन से वापस घर के लिए रवाना हो गए।





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