MITHILESH NAG

Drama

5.0  

MITHILESH NAG

Drama

मानो या न मानो

मानो या न मानो

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"मानो या न मानो" लेकिन ये कानपुर की एक सच्ची घटना है।

सुबह सुबह रोहन और अजीत मैदान में बैठ कर इधर उधर की बात कर रहे है,लेकिन दोनों के मन में कुछ कुछ चल रहा था। लेकिन दोनों एक दूसरे को बताना नहीं चाहते थे। फिर ऐसे ही आपस मे बात करने के बाद दोनों वापस हॉस्टल में आ जाते है।

हॉस्टल में आने के बाद दोनों एक हॉल में बैठते है। वहाँ पर आंटी 45 साल की अंकल 62 के (दूसरी शादी) और दो लड़का एक लड़की है जिसकी उम्र 18,19, 15 साल है।

लेकिन सब एक से एक नमूने थे, कोई किचन में पूरा मैथ लगाता तो कोई दिन भर नाईट क्लब में। तो ऐसे ऐसे लोग है इस घर मे।

“अबे रोहन, मुझे समझ मे नहीं आ रहा है ये कैसी फैमिली है जहाँ कोई किसी से कोई मतलब ही नहीं रखता तो रहते कैसे है?” (बेड पर लेट कर)

“मुझे भी समझ मे नहीं आता है कि ये कैसे लोग है,बेढंग के कपड़े पहन कर भाई भी वही सोता है और माँ भी लिपट कर”.

“खैर छोड़, हमे क्या इन सब से लेना देना हम जिस काम से रहते है वही सोचे और कुछ नहींं”।

“ठीक बोल रहे हो”। 

फिर वापस अपने कमरे में दोनों आ जाते है। उस कमरे में पहले से ही 6 लोग और रहते है। सभी क्रिकेट सीखने कानपुर आये है।

अगले दिन....

सुबह सुबह 5 लोग रूम से स्टेडियम पहुँच कर नेट प्रक्टिस करते है। लेकिन रोहन आज नहीं गया,वो अकेले ही था कुछ देर बाद देखता है कोई आदमी एक छोटे से बच्चे को लेकर गोद मे टहल रहा है वो भी रूम के अंदर।

“अभी तो 4 बजे है सब तो स्टेडियम गए है तो रूम में कौन है वो भी दरवाजा बंद होने के बाद भी”।

रोहन उस आदमी को लेटे लेटे ही चुपचाप देख रहा था,लेकिन उसकी इतनी हिम्मत नहीं की कुछ बोल सके। बस वो जैसे लेटा है वैसे ही पड़ा है।,कुछ देर तक हनुमान चालीसा पढ़ता गया और ऐसा करते करते उसको नींद आ गयी।

सुबह 8 बजे.....

जब सब के सब वापस स्टेडियम से आ गए तो रोहन बहुत डरा डरा सा था। जब सब को देखा तो पहले सब को अपने पास बुलाता है।

“मुझे तुम सब से कुछ कहना है”?

सब उसको बड़े ध्यान से देखने लगे।

“क्या बात है, और इतना डरे डरे से क्यो हो?’ ( एक लड़का पानी देते)

“आज रूम में मेरे साथ एक अजीब सी घटना हुई”

“कैसी घटना ?” ( सब एक दूसरे को देखते)

“आज मैंने एक आदमी को एक छोटे बच्चे को रूम के अंदर टहलते हुए देखा”

“तुम्हारा मतलब भूत” (एक लड़का हँसते हुए)

“हाँ, सच मे मानो या न मानो लेकिन ये सच है” (पानी पीते पीते)

“ठीक है,अब सब भूल कर अपने क्रिकेट पर ध्यान दो और कुछ नहीं समझे”

अजीत को कुछ कुछ पहले ही लगता था कि हो न हो इस रूम में कुछ तो बात जरूर है।

कुछ दिन बाद एक रात....

हर रोज की तरह सब खाना खा कर रूम में आ जाते है,कुछ देर तो सब के सब ऐसे ही हँसी मजाक करते करते सो गए।

लेकिन रात को.... करीब 1 बजे लाइट कट जाती है, रोहन की नींद खुल जाती है, 

“ इतनी टाइम पता नहीं क्यो लाइट चली जाती है,समझ मे नहीं आता “।

बगल में पानी का बोतल रखा था,पानी पीने के बाद जैसे ही वो सोने के लिए लेट ही रहा था तभी उसकी नज़र दरवाजे पर पड़ती है। उसको ऐसा लगा जैसे कोई औरत सफेद साड़ी में एक बच्चे को गोद मे लेकर टहल रही हो।

उसने अजीत को उठने के लिए आवाज़ दिया..

“अजीत उठो,अजीत,अजीत यार लाइट कट गई है चल छत पर”

“ठीक है,लेकिन पानी दे प्यास बहुत तेज़ लगी है” ( गहरी नींद में)

पानी पीने के बाद जैसे ही तकिया और चादर लेकर तैयार हुआ तो सामने देखता है,

“अबे रोहन, सामने कौन है बच्चे लेकर” ( आँख मालते हुए)

मानो या न मानो लेकिन अब पक्का यकीन हो गया कि कोई हम लोगो के सिवा भी कोई और रहता है।

“भूत है” ( डरते डरते)

अब दोनों की हालत खराब होने लगी कि अब क्या करे,दोनों मन ही मन हनुमान चालीसा पढने लगे। और दिनों बड़ी हिम्मत कर के बहुत तेज़ रूम के दरवाजे को धक्का मरते हुए छत की ओर भागते है।

सब के सब हॉस्टल में उठ गए और उन दोनों को गाली देने लगे। लेकिन चुपचाप सो जाते है।

सुबह...

सुबह जब सब को ये सब बात पता चला तो मकान मालिक की लड़की रोहन से बोली कि...

“आप जिस रूम में रहते है,उस रूम में मेरी मम्मी पापा और छोटा भाई जल कर मर गए थे”

इतना सुनते ही दोनों की हालत खराब हो गयी। और उसी दिन ही रूम को छोड़ देते है। उसके रूम में और जो रहते थे वो सब हँसते थे।

लेकिन बार बार रोहन यही बोलता था कि “तुम सब मानो या न मानो” लेकिन इस रूम में भूत है। और कुछ ही दूरी पर एक नए रूम में चले जाते है दोनों।

कुछ दिन बाद....

कुछ दिन बाद ही 5 और जो रहते थे उनकी अचानक तबियत खराब हो गयी और अजीब अजीब आवाज़े आती थी। और सब को तब समझ मे आया कि रोहन जो बोलता था सच बोल रहा था। बाद में सब उस रूम को छोड़ कर कही और रहने लगे।


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