माँ
माँ
सुबह का समय था ,सभी अपने अपने कामों मैं व्यस्त गन्तव्य पर जाने की तैयारी मैं थे।प्रिया जल्दी जल्दी अपना कार्य निपटा रही थी क्योंकि शार्प नौ बजे उसे ऑफिस के लिए घर से रवाना होना था।सभी ज़िम्मेदारियाँ करीब करीब निपट ही गई थीं कि सासू माँ ने आवाज़ लगाई-प्रिया ओ प्रिया, आज जल्दी घर आ जाना । क्यों माँ ? प्रिया ने सवाल किया।
बडी ही आत्मीयता और प्यार से जवाब देते हुए सासू माँ ने कहा-कुछ करीबी मेहमान तुमसे मिलने आ रहे हैं।इसलिए तुम्हारा घर पर होना जरूरी है बेटा।
ठीक है माँ ।। कहकर प्रिया तेजी से ऑफिस की ओर निकल गई।
ऑफिस मैं किसी नए प्रोजेक्ट की मीटिंग होनी थी, जिसकी हैड प्रिया ही थी।प्रिया घर -परिवार की चिंता और ऑफिस की व्यस्तता मैं आज अपना जन्मदिन ही भूल गई थी।
वह बड़ी ही खुशमिजाज लड़की है।पर जिम्मेदारियों के बोझ ने उसे जैसे दबा ही दिया है।
पर आज सुबह ही ,जब प्रिया का भाई उसके लिए जन्मदिन की मिठाई और तोहफों के साथ आया, तभी उन्हें इसकी जानकारी मिली।
अपनी बहू के सेवभाव और मिलनसारिता से वे भलीभाँति परिचित थीं।जबसे उसने इस घर मैं कदम रखा तबसे किस प्रकार उनकी सारी जिम्मेदारी प्रिया ने अपने कंधों पर उठा ली थी।
उनका मन प्रेम और वात्सल्य से भर उठा।तभी उन्होंने अपनी बेटी समान बहू के लिए जन्मदिन के तोहफे के रूप मैं एक सरप्राइज पार्टी की तैयारी प्रारम्भ कर दीं।
पार्टी मैं सभी कुछ उसकी पसन्द के हिसाब से रखा गया।
शाम को जैसे ही थकी- हारी प्रिया ने दरवाज़े के अंदर कदम रखा ,लाइट ऑन करते ही सभी मेहमानों ने जन्मदिन की बधाई देते हुए प्रिया को घेर लिया।
प्रिया चकित सी सब देख रही थी।उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह सब किसने उसके लिए किया है।
उसे तो आज खुद को भी अपना जन्मदिन याद नहीं था।
प्रिया को गले से लगाकर ढेरों आशीष के साथ प्रिया की सास ने उसे केक काटने के लिए कहा।
प्रिया भावविभोर होती हुई अपनी सास की ओर बढ़ी और रुंधे गले से बोली माँ ये मेरा सबसे बैस्ट जन्मदिन है
आज खुशी के आंसुओं के बीच सास -बहू नहीं माँ -बेटी के रिश्ते की गहरी होती नींव दिखाई दे रही थी।