कर्तव्य

कर्तव्य

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रीति ने खिलखिलाते हुए कमल से कहा-"हा हा हा कमल कितनी खुशी का दिन है आज। जी करता है मैं नाचूँ-गाऊँ --------बस उड़ती चली जाऊँ।"

कमल ने रीति का हाथ प्यार से थामकर उसकी आँखों मैं देखकर प्रसन्नता व्यक्त की।कुछ देर तक रीति कमल का हाथ अपने हाथ मैं थामकर घूमती रही।आज उसकी खुशी का कोई पैमाना ही नहीं था।मन में अनेक आशाएँ आने वाले कल की ओर इशारा कर रहीं थी।तभी कमल ने मुस्कुरा कर कहा-"रीति मैं बहुत खुश हूँ आज तुम्हारा सपना पूरा हुआ।"जीवन के हर मोड़ पर मैं सदैव तुम्हारे साथ रहूंगा।"

दोनों ने कसकर एक दूसरे का हाथ पकड़कर मानों अपने लिए फैसले पर स्वीकृति व्यक्त की।

समय अपनी गति से चल रहा था।सब कुछ जैसे सपनों के संसार की भाँति घटित हो रहा था।

पर --------------याद आती वो रात जब रीति के जीवन की दिशा अचानक बदल गई।जो भी घटित हुआ वह किसी भयावह स्वप्न की तरह था।

रीति के एम. बी. बी. एस. करने के बाद सरकारी चिकित्सक के पद पर कुछ दिन पूर्व ही चयन हुआ था।कमल उसका बहुत अच्छा दोस्त था जो वर्तमान मैं उसका भावी जीवनसाथी बनने जा रहा था।वह काफी खुश थी और संसार मैं स्वयं को बहुत भाग्यशाली मानती थी।

15 मार्च की रात उनके शहर मैं कोरोना वायरस से फैलने वाली बीमारी का अचानक पता चला ।अस्पताल मैं हाई अलर्ट कर दिया गया।तुरत- फुरत अस्पताल के अधिकारियों और प्रशासन की ओर से मीटिंग बुलाई गई।वहाँ कोरोना की विस्तार से जानकारी दी गई और बचाव तथा आम जन को जागरूक करने की बात कही गई।

सारा मेडिकल स्टाफ भयग्रस्त हो गया।सभी को जान जाने का भय सता रहा था अतः बताई गई सावधानियों पर अमल स्वतः होने लगा।अस्पताल के सभी कर्मचारियों को सरकार की तरफ से मास्क बाँटे गए। अस्पताल मैं एक विशेष रोगी कक्ष बनाया गया।सभी डॉक्टर्स को सख्त हिदायत थी कि वे अवकाश न लें।

तभी ईरान से अपने देश लौटे हीरापुर गाँव मैं रहने वाले दम्पति की खबर आई।उन लोगों ने कुछ घण्टों पहले ही अपने देश की धरती पर कदम रखा था। आते ही उनकी गहन जाँच की गई।जाँच की विशेष रिपोर्ट मैं उन्हें कोरोना पॉज़िटिव पाया गया।

दम्पति की पॉजिटिव रिपोर्ट के आते ही पूरे शहर मैं हाहाकार मच गया।यह खबर आग की तरह पूरे शहर मैं फैल गई।

हर किसी की ज़बान पर केवल यही किस्सा था।लोगों के मन अनजाने भय से भर गए।अनावश्यक भय और जानकारी के अभाव मैं जन जीवन अस्त- व्यस्त होने लगा। अभी तक जो भय सरकारी गलियारे और समाचारों तक सीमित था, वह अब जनमानस के चेहरों पर दिखने लगा।

रीति और कमल भी एक डॉक्टर होने के नाते अपने कर्तव्य का पालन बखूबी कर रहे थे।खुशी भरे माहौल मैं अचानक ब्रेक सा लग गया था।दोनों ने जो समाज के प्रति निष्ठावान होकर समाजसेवा का जो संकल्प लिया था उसके प्रति दोनों ने अपनी निष्ठा दिखाई।।कमल और रीति की ड्यूटी भी विशेष रोगी कक्ष मैं अन्य डॉक्टर्स के साथ लगाई गई।आठ दिन की दिन -रात की ड्यूटी के चलते एक दिन कमल की तबियत खराब हो गई।वह अचानक तेज बुखार और जुकाम से पीड़ित हो गया।उसकी बिगड़ी तबियत देखकर सभी घरवालों और रीति के हाथ -पैर ठंडे पड़ गए।आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया।मन अनेक आशंकाओं से घिर उठा।


कल्पना से परे सामने आई इस विपदा ने सभी को कमजोर बना दिया लेकिन रीति कमजोर नहीं पड़ी।उसने स्वयं को सम्हालते हुए मजबूत हृदय किया और कमल की डॉक्टरी जाँच करवाने के लिए अपने साथ अस्पताल ले गई।कमल अब गहन जाँच इकाई मैं भर्ती था।बुखार उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था।रीति ने उसे अपनी देख-रेख मैं ही रखा।

दूसरे दिन जब कमल की रिपोर्ट आने वाली थी।रीति के हाथ पैर काँप रहे थे।वह रिपोर्ट देख ही नहीं पा रही थी।मास्क पहनने के बावजूद भी उसके चेहरे के भाव आसानी से देखे जा सकते थे।तभी वहाँ सिस्टर सीमा आई सीमा ने डॉक्टर रीति की परेशानी भाँपते हुए उनके हाथों से रिपोर्ट लेकर स्वयं देखी ।सिस्टर सीमा की आँखों मैं अजीब सी चमक आ गई ।डॉक्टर मिठाई खिलाइये डॉक्टर कमल को सिर्फ मौसमी बुखार है उनकी रिपोर्ट कोरोना नेगेटिव आई है। सीमा की बात सुनते ही रीति खुशी से उछल पड़ी उसने सीमा को गले लगाकर खुशी प्रकट की।रीति ने फटाफट कमल के माता-पिता को फोन पर इसकी सूचना दी।अब बोझिल सा माहौल बदला और खुशियाँ फिर से दस्तक देने लगीं।

कमल अब अपने घर आ गया।रीति और कमल के माता-पिता ने सामुहिक रूप से दोनों के सामने अपना फैसला उनके सामने रख दिया।"अब बस हम लोग तुम दोनों को खोना नहीं चाहते" कमल की माँ ने दृढ़ता से कहा।"अब जल्दी से शुभ मुहूर्त देखकर दोनों की शादी करवा देते हैं।"

रीति के माता-पिता ने भी स्वीकृति मैं अपना सिर हिलाया।

तभी कमल के पिता ने आगे आकर बेटे का हाथ अपने हाथ मैं रखकर प्यार से कहा-"बेटा अब तुम दोनों अपनी नौकरी छोड़ कर अपना खुद का क्लिनिक खोल लो।हम सब तुम्हारे साथ हैं।"

सबकी बातों को सुनकर रीति और कमल ने एक दूसरे की तरफ देखा और इशारों ही इशारों मैं दोनों ने अपना निर्णय ले लिया।पाँच मिनट के मौन के बाद कमल ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा-"पापा हमने डॉक्टर बनने का फैसला लोगों की सेवा करने के लिए लिया है।हम कायरों की तरह इस संकट की घड़ी मैं पीछे हटकर अपने कर्तव्य से मुँह नहीं फेर सकते।"

"हां पापा, मैं कमल की बात से सहमत हूँ" रीति बोली।

"आप निश्चिंत रहें, हम अपना भी ध्यान रखेंगे और अपनों का भी।आप हमें हमारा कर्तव्य पूर्ण करने दें।"

सभी ने उनकी कर्तव्य भावना को देखकर समवेत रूप से उनके संकल्प को अपने संकल्प मैं परिणत कर स्वीकर कर लिया।



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