STORYMIRROR

Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

Drama

3  

Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

Drama

माँ को पाति

माँ को पाति

3 mins
342


माँ, मेरी प्यारी माँ 

सादर नमन

माँ, तुम्हें कितना भी नमन करूँ कम है। मुझे इस मोकामा तक पहुँचाने में तुमने कितने कष्ट सहे। मैं बेवकूफियाँ करती रही और तुमने उसे उस वक्त नजरअंदाज कर समय पर समझाया, हर वक्त नहीं डांटा। जीवन के हर मुश्किल भरे पथ में सही सलामत आगे बढ़ने में निर्णय मैं खुद ले सकूँ इसके लिए मुझे किस प्रकार सतर्क कर सब कुछ इतनी सरलता से सिखाया इसका अंदाज अब हर पल महसूस करती हूँ। अब मैं हर छोटे-बड़े काम जिसे नित्य नहीं करती पर परिस्थिति आने पर उसे करने में एक पल भी नहीं झिझकती। झट-पट कर ऐसे निकल जाती हूँ जैसे पहले तुम हमलोगों की हर फरमाइस चट से पूरा करती थी  तुम भी कहोगी मैं आज क्या बातें ले बैठी। आज रविवार है, सोची थी आज घर पर आराम करूँगी। बहुत दिन हो गया आराम किए हुए। मगर सोचा हुआ होता कहाँ है। एक बहुत इम्पॉर्टेन्ट ऑपरेशन करना पड़ा। बेटी को भी सुबह-सुबह पेंटिंग क्लास जाना था और बाबूजी को भी ग्यारह बजे किसी काम से जाना था। सोचो, ऐसे में जब कूक नहीं आई तो मेरा क्या हाल हुआ होगा।नेहली बोली मैं दूध कॉर्नफ्लेक्स खा लेती हूँ। उस समय तुम सामने आ गई, मैं बिना कुछ सोचे कड़ाही चढ़ा दी। झट-पट भुजिया-पराठा बना उसे नास्ता कराई। तुम तो जानती ही हो नेहली को भुजिया-पराठा कितना पसंद है। उसे आज उसके पसंद का नास्ता करा कर बहुत अच्छा लगा। बाबूजी को भी यह पसंद है। अभी नाश्ता लगा कर निश्चिंत हो भी नहीं पाई थी कि खबर मिली चौका-बरतन वाली बाई भी नहीं आएगी। याद है न जूठा बरतन छूने के नाम से मेरा मुँह-नाक बनने लगता था। पर आज जब बरतन में हाथ डाली तो हँसी आ गई। न जाने कितनी बातें जो तुम कहा करती थी सब याद आने लगी। 

 किचेन से निश्चिंत हो मैं वार्डरोब खोल तुम्हारे पत्रों को ले कर बैठ गई हूँ। मैंने तुम्हारे सभी पत्रों को संजो कर रखा है। तुम्हारे पत्र का अर्थ तब से ज्यादा अब समझती हूँ। दो पत्र एक जब पहली बार होस्टल गई थी तब की और एक जब मेरे एम. एस. का रिजल्ट आया था तब का। मैं बार-बार पढ़ती हूँ। तुम प्यार में मुझे कितने नामों से पुकारती थी। तुम्हारा ये गुण मुझमें नहीं आया। मैं तो घर बाहर हर वक़्त एक ही नाम ‘नेहली’ बुलाती हूँ।  जानती हो, अब नेहली भी तुम्हारे पत्रों को बड़ी ध्यान से पढ़ती है। उसने तो इसका फ़ोटो कॉपी कर के रख भी लिया है। तुम्हें भी भेजूँ ? तुम फिर से ऐसे ही पत्र लिखना।

मेरी अच्छी माँ अब तो पत्र का जमाना रहा नहीं झट मोबाइल उठाओ और चट बातें तो बातें वीडियो कॉल कर रूबरू बातें हो जाती है। पर माँ पुराने दिनों को याद कर मैंने एक दिन तुम्हें पत्र लिखा था पर देखो संयोग पत्र पोस्ट करने से पहले तुमसे वीडियो कॉल पर बातें हो गई और मेरा पत्र संदूक के हवाले हो गया।

तुम्हारी शुभ्रता।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama