STORYMIRROR

Babu Dhakar

Romance

4  

Babu Dhakar

Romance

मालाऐं बेचने वाली लड़की

मालाऐं बेचने वाली लड़की

7 mins
121

कभी-कभी ऐसी घटनाएं घटित होती है जिनके होने का हमें विश्वास ही नहीं होता। कुछ कहानियां बहुत अनुभव दे जाती है और कुछ कहानियां जीवन जीने की सीख दे जाती है।

यह कहानी फूलों की माला बेचने वाली एक लड़की की है जो बहुत कुछ सीख दे जाती है।

माला नाम की एक लड़की एक मंदिर के बाहर फूलों की मालाएं बेच रही थी। जहां हर साल की तरह एक भारी मेले का आयोजन हो रहा था। उसके पहनावे से लग रहा था कि वह एक शादीशुदा है। वह मालाऐं बेच रही हैंं, क्या अपने जीवन का गुजारा करने के लिए, जी नहीं, वह ऐसा अपने मनोरंजन के लिए कर रही हैं, मनोरंजन के लिए भी भला कोई मालाऐं बेचे अर्थात मालाऐं बेचने से मनोरंजन थोड़े होता है या यूं कहे कि मालाऐं बेचने से जीवन का गुजारा भी तो नहीं हो सकता। मैं उसे ध्यान से देख रहा था और उसके पहनावे से भी वह निर्धन नहीं लग रही थी।

वह मालाएं बेचने के लिए पुकारती, पर कोई माला नहीं खरीदता और मुस्कुरा कर चला जाता, तब वैसी ही मुस्कुराहट उसकी स्वयं की हो जाती थी जिससे वह बहुत प्रसन्न होती। उसे हंसी इसलिए आ रही है की वह पहली बार माला बेच रही हैं या यहां उसका ससुराल हैं। क्योंकि कभी-कभी कोई लड़की जो काम पीहर में नहीं करती उसे अगर ससुराल में करना पड़े तो हंसी आ जाती है या रोना आ जाता है यह कोई कठिन काम तो नहीं इसीलिए हंसी आना ही स्वाभाविक है। और एक ऐसी स्थिति भी बनती हैं कि अगर ज्यादा दुख मिले तो हंसी आ जाती है क्योंकि उस दुख से पीछा जो छुड़ाना होता है।

तभी एक मनचला युवक उसके पास आता है,एक माला खरीदता है और हाथ जोड़कर चला जाता है। यह देखकर उसे आश्चर्य होता है की जो माला नहीं खरीद रहे वे तो मुस्कुरा कर चले जा रहे हैं और यह माला खरीद कर हाथ जोड़ कर चला गया, यह कैसा राज है। तब उसने उसे रोका और युवक से पूछा कि आप मुझे नहीं जानते, माला खरीदी और हाथ जोड़कर जा रहे हैं इसमें कैसा राज हैं,जरा बताएंगे। तब उस युवक ने कहा कि मैं तुम्हें पसंद करता हूं इसीलिए अगर मैं हाथ नहीं जोड़ता तो तुम बात ही नहीं करती, क्यौकि कभी कभी किसी का विचित्र व्यवहार किसी को बातें करने के लिए विवश कर देता है इसीलिए ऐसा किया।तब माला ने कहा कि मैं शादीशुदा है परंतु तुम्हैं पंसद करने लगी हूँ, हालांकि शादीशुदा हूं इसलिए दूसरी शादी नहीं कर सकती लेकिन मेरी एक बहिन है जिससे तुम्हारी शादी करवाऊंगी तो तुम क्या कहते हो अब। युवक ने तब कहा जब मुझे पता चल गया कि तुम शादीशुदा हो और अपनी बहन की शादी मुझ से करवाना चाहती हो,पर मैं भी कुछ ऐसा ही चाहता हूं। माला कहती है कि मैं समझी नहीं तभी युवक कहता है की मेरे भी एक भाई हैं और मैं पहले उसकी शादी करवाना चाहता हूं क्या तुम्हें यह बात अच्छी नहीं लगेगी, मेरा भाई मुझसे भी होशियार और सीधा साधा है। तभी माला ने मुस्कुरा कर कहा कि आप एक तीर से दो शिकार करना जानते हों, तुम्हारा तेरे भाई के लिए प्यार बहुत ही गहरा है और मेरा भी मेरी बहन के प्रति प्रेम गहरा है।

कभी कभी अक्सर ऐसा होता है की बीवियों के कहने पर या लड़ने पर अच्छे से अच्छे रहने वाले भाइयों में भी टकराव हो जाता है इसीलिए मैं मेरे पति को छोड़कर तुमसे शादी करना चाहूंगी क्यौंकि मेरे पति मुझसे सही ढंग से बात नही करते। जिससे कि हम दोंनो भी बहिने होगी और तुम भी दोंनो भाई तो किसी को कोई शिकायतें नहीं होंगी और ऐसे में अगर तुम मुझे ठुकराते हो तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।

तब युवक ने कहा कि ऐसा करने से तुम्हें बहुत बड़ा पाप लगेगा। हां अगर तुम्हारी बहन और मेरा भाई अगर एक दूसरे को पसंद करते हैं तो उनकी अवश्य शादी करवा देंगे तुम अपने पीहर का पता बता दो मैं वहां जाकर बात कर लूंगा।

माला ने कहा अच्छा ठीक है अगले सोमवार को यही मिलते है।

जो होना होता है वह होकर ही रहता है और मुझे भी अगले सोमवार का इंतजार है क्योंकि मुझे भी देखना है इनको इनकी किस्मत कहां ले जाती है क्योंकि मैंने माला और उस युवक की आंखों में गहरे छिपे हुए प्रेम को देखा है।

आसानी से जो समझ में आ जाये उसे प्यार नहीं कहते और प्यार होना या करना कोई अनिवार्य तो नहीं, ये तो किसी के करने से या जबर्दस्ती का मामला तो नहीं जो आप कुछ कहे और सामने वाला मान जायें। जीवन में व्यक्ति इसी परिस्थिती में मात खाते है।जीवन ऊनको कुछ वजहें दे देता है और इसी में उलझ कर रह जाते है।

भावनाओं कि नदी में स्नान किया और हर रोज वस्त्र बदल कर रह जाते है, वस्त्र तभी बदलें जायेंगे जब वे फट नहीं जायें,यहीं मानसिकता है जिसमें सिर दर्द कर के रह जाते है।

जब कभी यहीं कहते है कि होनी या अनहोनी को कोई टाल नहीं सकता तो फिर अपने अच्छे या बूरा करने से परिवर्तन कैसे हो जायेगा,हाँ पर यह सच है कि ऐसी मानसिकता रखकर लोग सिर्फ बूरे काम करते है,जो कि कहॉ तक उचित है।

इसी तरह उस युवक ने सोमवार से पहले माला के गॉव जाकर लडके व लडकी को मिलाये, थोडी बहूत बातें हूई और आखिरकार दोनों ने एक दूसरे को पंसद कर लिया।

जब सोमवार के दिन यह बात उसने माला को बताई तो माला खुशी से फूली नहीं समाई और उनके विवाह की तारीख को जानकर तो वह इतनी खुश हूई कि जहॉ खडी था वहीं नाचने लगी।

इसी खुशी के साथ दिन बीतते गये,पर जो समय चाल चलने वाला है वह भी लाजवाब है। समय को बूरा बता बता के वहीं टीपणियॉ करते है जो अपने बूरे कर्मोकी बदौलत बुरी स्थितियॉ पाई होती है और अपनी कमी किसी पर ना निकालने के कारण समय पर निकाल देते है।

इसी बीच एक दिन माला के घर कि सीढियों से होते हूऐ एक साँप छत पर चढ गया और छत पर बैठे थे माला के पति। हूआ यूँ कि साँप तो अपने रस्ते जा रहा था पर कुछ लोग है जो आ बैल मुझे मार वाली किस्म के होते है तो पति महोदय साँप को लगे पैर से कुचलने,साँप को क्रोध आया और पति महोदय के पैर के अँगुठे को नोच डाला और उसी क्षण पति महोदय के प्राण पखेरू उड गये, यह देखकर माला भी चक्कर खाकर गिर गयी तुरंत ही अनेक लोग जमा हो गये, माला को बडी मुश्किल से होश में लाया गया।यह सब जब उस युवक ने सुना तो उसे बहूत दु:ख हूआ और वह ऊसी क्षण वहॉ पहूँच गया।

पारम्परिक विधियों से पति महोदय का अंतिम संस्कार किया गया और जो भी नियम निभाने थे वे सब पुर्ण हो गये।. इतने में माला कि बहिन व उस युवक के भाई की शादी के लिऐ जो तारीख तय हूई था वह भी नजदीक आ गई थी और किसी को तो बात शुरू करनी थी। इसलिऐ सबसे पहले उस युवक ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिऐ था और अब मुझे लगता है कि इन दोंनो की शादी कुछ दिनों बाद ही संभव है।तभी माला ने तपाक से कहा कि नहीं नहीं इनकी शादी तय तिथि पर ही होनी चाहियें। एक बार का निकला मुहुर्त फिर न जाने कब आये। तभी गॉव के एक ज्ञानी बूजूर्ग ने कहा कि ये सब नियति का खेल है और मुझे इसमें कुछ अच्छा होता हूआ दिख रहा है। माला बिटिया मेरी तुम्हैं एक राय है कि जो हूआ ऊसे भूल जाओ और जो यह युवक है वह बहूत ही अच्छा है और तुम्हें इसके साथ सात फेरे ले लेने चाहिये,हॉलाकि ये सब इतना आसान नहीं पर अगले साल सब सामान्य हो जायेगा और विधवा विवाह को भी कानुनी मान्यता कब की मिल चुकी है पर लोगों की मानसिकता नहीं बदली,शहरों में ऐसा सामान्य लगभग हो गया है,इसलिये मेरी बात अवश्य मान लेना।माला तो बस ऐसा पहले चाह रही थी तो उसने कहा ठीक है, साल के अंत में हमारे गाँव में जो मेला लगेगा,उसी दिन मैं अपने स्वयं के हाथों से बनी हूई एक माला अगर ये मुझे पंसद कर लेंगे तो उसे वरमाला बना पहना दूँगी।

युवक क्यौं भला अपने पहले प्यार को मना करता।

और दोनों बहिनों को देवरानीं व जेठानी की संज्ञा मिल गयी।

इसी तरह ही तो यह गाना प्रसिद्ध हूआ कि मेले में मिलन हो जायें ना कि ये चाँद कोई दिवाना है,कोई आशिक बडा पुराना है।

इसी के साथ विनम्र निवेदन है कि मैंने जिस मेले को देखकर यह कल्पना कल्पित की है उस मेले को आप अवश्य देखे।

यह मेला राजस्थान के भीलवाडा जिले की आँसीद तहसील के बेमाली गॉव में पौष बूदी दशमी तिथि को रात में प्रत्येक वर्ष लगता है,जो अवश्य ही आप का मन मोह लेगा।।

विशेष -इस मेले को देखकर मैंने यह अनूभव किया कि वातावरण अच्छा ना होने पर भी लोगों का व्यवहार अच्छा हो सकता है और कहीं का वातावरण कितना भी अच्छा हो पर व्यवहार अच्छा नही हो तो किसी काम का नहीं रह जाता।

ऐसा अक्सर होता है की सब जगहों पर सब कुछ अच्छा नहीं होता कुछ कमियां अवश्य होती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance