लव द पेरेंट्स
लव द पेरेंट्स


मुंबई में समुद्र की लहरें रोज उठती हैं व शांत हो जाती हैं, पर मेरी मन में आये सवाल क्यों शांत नहीं होते।
सुषमा आंटी रोज समुद्र की लहरों को देखती हंसती और कुछ कल्पना में खो जाती।
मैं मानसी, उम्र 28 वर्ष, मुंबई में जॉब करती हूं। छोटी सी फैमिली है। सुषमा आंटी मेरी सुबह की तरो ताजा हवा के साथ, अपने दिल की बात शेयर करने वाली व मेरी बात को सुनकर मेरी हेल्प करने वाली एक समझदार वह सुलझी हुई सहेली बन गई हैं।
मानसी फोन की तरफ देखते " वाओ आंटी मैं बुआ बन गई हूं ,मेरे भैया के लड़की हुई है देखो कितनी प्यारी है "।
सुषमा आंटी -बधाई हो बेटा।
( कुछ ठहर कर) मानसी तुमने फोन पर पिक्चर कैसे देखें? मानसी -FB पर आंटी।
सुषमा आंटी -अच्छा मैंने भी FB के बारे में सुना है इसमें हम अपनों को ढूंढ भी सकते हैंना।
मानसी- हां आंटी अगर आपका अकाउंट FB में होता है तो आप फ्रेंड लिस्ट में जोड़ सकते हैं फिर अपने अकाउंट में पिक्चर शेयर करा सकते हो। आं
टी आपको किसको ढूंढना है?
सुषमा आंटी- मेरे बेटे अंकित को।
मानसी -अंकित को ?आंटी आपका बेटा कहां रहता है? सुषमा -वह मुझे पता नहीं। 4 साल हुए, गुस्से में घर छोड़कर चला गया, मेरी बहू भी तब प्रेग्नेंट थी अब तो शायद उसके बच्चा भी 3 साल का हो गया होगा।
मुझे तो यह भी पता नही की बेटा है या बेटी? अब जब इन लहरों को देखती हूं तो अंकित को याद करती हूं और कल्पनाओ में खो जाती हूं।
समय कितना जल्दी गुजर जाता है पता नहीं चलता।
मानसी -आंटी में FB में आपके बेटे अंकित को सर्च कर देती हूं।
आंटी आपका बेटा FB पर है उसने कल ही अपना फैमिली फोटो अपडेट किया है।
देखो उसके लड़का है।
सुषमा आंटी फोटो को निहारती रही और आंखों में पानी आ गया। लहरे फिर तेज हो उठी।
मैं सोचती रही "कितनी अजीब बात है सोशल साइट पर हम जिंदगी को पूरी दुनिया के साथ शेयर करते हैं सती की अति ने, क्या कर दिया।
शंकर को शिव से, शव बना दिया।