लॉक डाउन के प्रभाव पर परिचर
लॉक डाउन के प्रभाव पर परिचर
एक ओर जहाँ विश्व जिस जाल के फंदे में फँसते हुए कोरोना वायरस(COVID-19)के चपेट में आगे बड़ रहे है. इससे किसी न किसी भयानक परिस्थिति और महामारी की बात तो समझ आती है पर साथ ही इस बात से भी हम मुकर नहीं सकते कि एक बड़े शायद बहुत बड़े बदलाव की दिशा युगकालीन परिस्थिति को इंगित कर रही है क्योंकि यह दुनिया की पहली ऐसी ग्लोबल समस्या है जिसमें सम्पूर्ण देश के उत्पादन, रोजगार और व्यापारिक श्रृंखला को इतर बितर कर दिया है l
आगे इतिहास के तात्कालीन रंग और स्वरुप से सम्बंधित कई बातें सामने आयेगी ? इसका परिणाम सिर्फ एक अल्पकालीन महामारी तक ही सीमित रह जाए तो ही ठीक है परन्तु आगे असर जारी रहा तो इतिहास नई करवट लेना चाहेंगी. कुछ इस प्रकार समझ सकते है जैसे मध्यम और छोटे अर्थव्यवस्था के बाज़ारों में हलचल बढ़ने लगेगी लेकिन बड़ी अर्थव्यवस्था के व्यापारी का कोरोना वायरस का लंबे समय की अवधि तक प्रगति का कैसा असर पड़ेगा? लंबे
समय की व्यापार के लिए कौन से व्यापारिक क्षेत्र अधिक लाभान्वित होंगे और पूंजी वितरण के लिए किन सिद्धांतों पर अमल करना अधिक सकरात्मक होगा? मंदी के इस दौर में किस तरह से अधिक धन कमाया जा सकता है ?
सेवा क्षेत्र और उपभोक्ता कंपनियों की बात करें तो आर्थिक सुस्ती के इस दौर में उनके कौन से उत्पाद और सेवाओं को नए सिरे से ग्राहकों को लुभाने का काम करेगी ? वैकल्पिक पूंजी निवेशकों के लिए स्थानीय पूंजी बाज़ार को कहां स्थानांतरित करने से प्रगति के नए अवसर प्राप्त होंगे ?
आज ये देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा क्योंकि महामारी के अंतिम पड़ाव के शुरुआती के दौर पर एक बड़े अर्थव्यवस्था वाले बाज़ार की जरुरत सबसे अधिक पड़ेगी जो तात्कालिक आवश्यकता की भरपाई करने में सक्षम होंगी. अब देखना यह होगा कि पीछे छोड़ते हुए कौन और किस-किस व्यवसायिक क्षेत्र से कौन से देश अपने व्यापार के साथ तकनीकी पूंजी का विस्तार कर पायेगा ?