लोग
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बहुमंजिली इमारत में रहने के अनेक फायदे हैं घर से निकले बगैर आप सब का हालचाल पूछ सकते हैं। किसके घर झगड़ा हो रहा ये भी पता चलता हैं जो कोठियों में संभव नहीं हैं।
बालकनी में कभी भी कोई ना कोई दिख ही जाता हैं। और आजकल तो सभी सुबह शाम बालकनी में ही लटके मिलेंगे। कुछ तो मुस्कुरा कर हेलो हाय भी कर लेंगे तो कुछ मुँह फेर लेते हैं।
लोगों के असली रंग भी दिखने लगे। जो शालीनता से मुस्कुराते थे वे अब थैलो में सामान भरे किनारे से निकल जाते हैं जो बाचाल थे वे फिर भी हालचाल पूछते हैं कल नीचे वाली बालकनी में बैठे बुजुर्ग दम्पति नहीं दिखे।
आज देखा दोनों चाय पी रहे थे हाथ हिला उन्हे अभिवादन किया और उत्तर में उनकी प्यारी सी मुस्कान दिखी। साइड वाली बॉलकनी में यंग जोड़ा आज भी लड़ता हुआ दिखाई दिया। जिंदगी की गाड़ी चलो रही पर रफ़्तार बहुत धीमी हो गई।