लक्ष्य भेदन

लक्ष्य भेदन

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सूरज चौथी बार भी आईएएस (IAS) परीक्षा में पास नहीं हो सका। वह बहुत निराश था। सभी उसे अलग अलग सलाह देने लगे थे। कोई कहता था कि इंजीनियर हो। किसी कंपनी में नौकरी कर लो। कोई कहता एमबीए कर लो तो और अच्छा रहेगा। कोई बैंक में जाने को कहता तो कोई अपना बिज़नेस शुरू करने की सलाह देता। इतनी सारी सलाहों से वह परेशान हो गया था।

बात विकल्पों की नहीं थी। वह इससे भी अच्छे विकल्प चुन सकता था। आईआईटी (IIT) से निकलते ही उसे अपने बैच में सबसे अच्छा पैकेज मिला था। उसे ठुकरा कर उसने आईएएस (IAS) की परीक्षा देने का निश्चय किया था। देश के लिए कुछ करने का जुनून था उसमें। आईएएस (IAS) ऑफिसर बन कर समाज के बीच रहते हुए वह कुछ बदलाव ला सकता था।

परिवार में सबने उसके निर्णय को गलत ठहराया था। उनका कहना था कि इतनी अच्छी नौकरी कौन छोड़ता है। किसी सरकारी अधिकारी को इतनी तनख्वाह मिलती है क्या ? आराम की ज़िंदगी काटते। पर ना जाने क्या फ़ितूर चढ़ा है तुम्हें।

केवल उसकी माँ थीं जिन्होंने उसके निर्णय का साथ दिया था। उन्होंने कहा था कि जो भी करना मन लगा कर करना। मेहनत से ही सफलता मिलेगी।

पर चौथी बार मिली असफलता के कारण हताशा उस पर हावी हो गई थी। उसने मन बना लिया कि अब वह और प्रयास नहीं करेगा। सोचने लगा यदि माँ जीवित होती तो उसके दुखी मन को सांत्वना देती। पर माँ को गुज़रे तो दो साल बीत गए।

अपने परेशान मन को शांत करने के लिए वह नदी किनारे आकर बैठ गया। मंद पवन के झोंके बहुत सुखद लग रहे थे। उसे लगा जैसे माँ उसके माथे को धीरे धीरे सहला रही हो। उसे झपकी लग गई।

कुछ झणों के बाद जब वह जागा तो उसने देखा कि एक कठफोड़वा पेड़ के तने पर लगातार चोंच से प्रहार कर रहा था। उसके मन में विचार आया कि प्रकृति ने भी कैसे कैसे जीव बनाए हैं। लगातार प्रयास से यह पक्षी तने में छेद कर अपना घोंसला बनाएगा। वह प्रकृति की इस आश्चर्यजनक रचना पर मुग्ध था। तभी मन से आवाज़ आई।

'तुम तो इस पक्षी से अधिक शक्तिशाली हो। मनुष्य होकर तुमने हार मान ली।'

मन की सारी हताशा दूर हो गई। अब उसे समाज में कोई क्या कहता है उसकी परवाह नहीं थी। उसका इरादा अब पक्का हो गया था। वह पूरी लगन से अपना प्रयास जारी रखेगा। संकल्प के साथ वह उठा और अपना मस्तक भूमि पर लगा कर प्रकृति माँ को प्रणाम किया।



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