लियोनार्दो दी विंची के पिता
लियोनार्दो दी विंची के पिता
एक पुरूष जिसका नाम सेर पियोरों था इटली के फ्लोरेंस शहर के विंची में नोटरी (वकील) का काम करता
उन दिनों उसकी रूहानियत कुछ अजीब थी वह कुछ अजीब हरकतें कर रहा था पर इन हरकतों के बीच नकारा नहीं जा सकता था कि उसके लेख काफी गढ़न तरीकों से लिखे जाते थे। उसके लेख कुछ अजीब थे वो कुछ खोज रहा था इन्हीं खोजों के बीच उसे कुछ दिलचस्प चीज का नजारा हो रहा था जो उसके आड़े आ रही दो थी वो थी कुछ हसीन लड़कियों का काफीला जो निम्न वर्ग कि स्त्रियां थीं उन्हें अपनी जीवन को चलाने के लिए किसानी करना पड़ता था उस वक्त इटली में काफी क्रांति हुई पंरतु इस पर जोर कमजोर था पर माने तो इटली की सभ्यता काफी विकसित हो गयी थी अन्य देशों कि तुलना में वहां का मिट्टी से चित्रकारी के खुशबू महक रही थी जो एक सुगंध कि तरह फैला प्रकृति का एक उत्कृष्ट नीला प्रकाश बनकर वहां कि जलवायु में सम्मिलित हो गया और ऐसा देश बना जो चित्रकला की क्रांति कि एक मात्र तारा था जो चमक उठा था इसी पर
वर्जिल नेइटली कि सुंदरता को बताते हुते लिखा अपने महाकाव्य ईनिद मे
ईरान अपने सुंदर और घने वनों सहित,
अथवा गंगा अपनी जलप्लावित लहरों सहित,
अथवा हरमुश नदी, जिसके कणों में सोना मिलता है,
इनमें से कोई इटली की समता नहीं कर सकते,
इटली, जहाँ सदा बसंत रहता है,
जहाँ भेड़ें वर्ष में दो बार बच्चे देती हैं और
जहाँ वृक्ष वर्ष में दो बार फल देते हैं।
से पियोरो उन्हीं हसीनाओं में से एक को काफी ध्यान से देखता था शायद वह उसे पसंद करता था जिसका नाम केटरीना दा मियो लिप्पी था ।जो शायद लिप्पी शहर की रीफ्यूजी थी । पियोरो उससे बातें करना चाहता था और कुछ कहना भी चूकीपियोरो एक वकील था जो साथ ही लेखक भी था तो निम्न वर्ग की लड़की से मिलना कुछ अटपटा था लेकिन लिप्पी ने उस सख्स पर ध्यान दिया जो रोज डेरों की तरफ जहां मूर्तिया चित्रकला के पेटींग और कुछ औजारों से बेचे जाते थे और लिट्टी वहां मूर्तिया बनाया करती थी मूर्तिया कितनी सुंदर है किसी बहाने से पीयोरें ने उस लड़की से पूंछा आप इतना सुंदर कलाकृति बनाती है। क्यों ना आप कुछ इटली के रहस्यो को उभारे उस वक्त काफी चर्चाये चल रही थी की इटली मे पर जीवियो का एक अदृश्य देश बसा हुआ है। लिप्पी हि जानती थी पियोरो क्यों उसके करीब आ रहा है। वह कुछ सोच में खोयी रहा करती थी
पियोरो वकालत के पश्चात वो उस बजार की ओर चल देता जहां वह स्रि मूर्तिया बनाया करती थी । लिप्पी भी कुछ कुछ पियोरो को समझने लगी थी ।पियोरो रोज जाता लिप्पी से बातें करता दोनों में एक संचार दौड चुकी थी पंरतु पहल की देरी थी । दोनों काफी करीब आ चुके थेअब पर
पियोरो और लिपी कुछ कुछ करीब आ रहे थे फिर एक दिन इटली कि हसीन सड़कों और खूबसूरत गलियों से होता हुआ वह उनगरीब परिवारों की ढेरों से होता हुआ उस बाजार में पंहुचा जो नदी के पास था उस बाजार कि मोहकता और शिल्पकला चित्रकलाओं मूर्तियों के बड़े बड़े विशाल एवं चर्च पर बने सुंदर पेंटिंग्स जो उस वक्त इटली कि क्रांति का नायाब नमुना था को देखता हुआ लिप्पी से मिला उसने हाथों में लिया फूल उसे दिया।
लिप्पी दंग थी। हाथो से अपने बालों संवारते हुये उसके हाथों मैं लगी मिट्टी उसके सिर पर लग गयी । फिर उसने उस फूल को लिया और मुस्कुराते हुते बोली ये किस लिए
पियोरो ने प्यार से लिप्पी की सर से उस मिट्टी को साफ करते हुये सर को चुभते हुते कहा क्या तुम मेरी प्रेमिका बन सकती हो लिट्टी काफी सरमिली थी उसने हिचकिचाते हुते कहा। हां
हां शब्द सुनते ही पियोरो काफी खुश था और उसे सारे संसार कि मोहकता का अनुमोदन एक क्षण में हुआ
वह लिप्पी को साथ घुमाना चाहता था इटली की उन नायाब जगहो पर जहां प्रेम के संदेश देते सड़कें थीं शांत झरनों से झरता मुक्तो का समूह कलकलाहट सी संगीत का वादन कर रहा था और सामने से उगता एक सदृश्य मनोहर सूरज का उगना पक्षियों कि चहचहाट हवाओ का मंद मंद छंद चलना
बादलों का गिरना गिरकर ठंड का अहसास प्रकृति कि एक ही समय मे सारी विकारों का समायोजन होकर प्यार का सहर सा बना देना उस जगह पर पियोरो लि्प्पी के होंठों को चुमता है। और उसे अपनी बाँहो में भरकर कुछ प्रेम के गीत गाता है।

