लीगल एग्रीमेंट
लीगल एग्रीमेंट
फूफा जी सड़क पर पड़े पड़े इधर उधर देख रहे थे और उनकी पत्नी फुफकारते सांप के फन जैसी कभी दाएं कभी बाएं जा रही थी। इस सबके बावजूद फूफा जी अपने स्वभाव के मुताबिक ऐसा आचरण करते दिख रहे थे जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो बल्कि मिट्टी में लौट पोट होने का मज़ा ले रहे हों।
फूफा जी बहुत वर्ष पहले ऑस्ट्रेलिया चले गए थे और फिर धीरे धीरे वहीं बस गए। साल में एक बार अवश्य भारत आते थे। कमल से फूफा जी का और फूफा जी का कमल से कुछ विशेष ही लगाव था शायद इसीलिए कमल ने अपनी शादी की तारीख तय करने से पहले फूफा जी से उनके आने की तारीख पता कर ली थी। और फूफा जी ने भी कह दिया जब कमल बुलायेगा वो आ जाएंगे।
इस तरह पिछले दिन फूफा जी कमल की शादी अटेंड करने आ पहुंचे थे। फूफा जी सभी रिश्तेदारों में अपने मज़ाकिया स्वभाव के लिए जाने जाते थे और पिछली दोपहर आते ही कमल के साथ मजाक करते हुए कहने लगे कि आखिर कमल भी लीगल एग्रीमेंट में उलझ ही गया। बात बढ़ते बढ़ते इस हद तक बढ़ गयी कि कमल अपने कमरे में बंद हो गया और फूफा जी को किसी ने ढंग से खाने के लिए भी नहीं पूछा।
अपने पढ़ाकू स्वभाव के कारण कमल रात भर पढ़ता रहा, कभी गूगल सर्च से और कभी किसी मित्र से फ़ोन या ईमेल द्वारा जानकारी इकट्ठी करता रहा। सुबह जब कमल अपने कमरे से बाहर निकला तब पूरी तरह शांत चित्त था। फूफा जी बड़े दरवाज़े में अकेले बैठे चाय पी रहे थे। कमल सीधे उनके पास पहुंच कर माफी मांगने के साथ साथ स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि वो अब किसी लीगल एग्रीमेंट में नहीं बँधेगा।
कमल का फैसला सुनकर उसके मां बाप ने उसे समझने के सभी प्रयास किया और अंत में उनका गुस्सा फूफा जी पर फुट पड़ा लिहाज़ा फूफा जी गली में गिरे पड़े थे और उनकी पत्नी क्रोधित सांप के फन जैसी कभी दाएं और कभी बायें आ जा रही थी और फूफा जी का सामान उनके आस पास बिखरा पड़ा था।
और कमल … …. छोड़ो कमल का क्या उसने आलू बुखारे के भ्रम में आलू खरीदने से मना कर ही दिया है और वो अपने रास्ते खुद तलाश कर ही लेगा।
