Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

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Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

लौट कर आ जाओ...मां !

लौट कर आ जाओ...मां !

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इस लाकडाउन अवधि में मेरी ज़िंदगी एक बार फिर ठहर सी गई है।  ठीक कुछ उसी तरह जैसे मेरी ज़िंदगी से जब मेरी प्रेमिका मेरा दिल तोड़कर एक झटके में दूर बहुत दूर कैलिफोर्निया चली गई थी ।मैं उससे बेहद प्यार करता था ...बेहद ! मैं उसके लिए क्या कुछ नहीं करता रहा।उसने मुम्बई में साथ साथ काम करने की शर्त रखी,मान लाया ।उसने शादी के बाद उपहार में एक फ्लैट की चाहत दिखाई... मैने लोन लेकर उसे भी पूरा कर दिया....यह जानते हुए भी कि सच्चे प्यार में सौदा नहीं हुआ करता ! 

लेकिन...लेकिन इन सबके बावजूद उसने एक झटके में मुझसे मुक्ति पा लिया । उसने हमेशा हमेशा के लिए मेरी डिक्शनरी से ऐतबार नामक शब्द हटा दिया । मैं ने ज़िंदगी जहां से शुरू की थी वहीं मानो वो आकर ठहर सी गई।

लेकिन नौकरी करनी ही थी, बैंक से लिये लोन के इंस्टालमेंट तो भरने ही हैं ...हंसते या रोते कटनी ही है ज़िन्दगी ! गांव से मुम्बई बुला लिया मैनें मां को ...और फिर से फैल गई है मां की बाहें, मां , जो मेरे कठिन नाम का शुद्ध उच्चारण नहीं कर पाती थीं और पुकारा करती थीं फुलाई.. ऐ फुलाई बाबू ! मैं जब थका हारा आफिस से लौटूं तो मिलती थी प्यार भरी झपकी ...उसका  नि:स्वार्थ , नैसर्गिक आलिंगन । मैं भूल जाया करता था साराटेंशन,सारा दुख...ऐसा लगने लगता था कि मानो , लौट आया है वहीं किलकारियां मारता वह बचपन..जब मां ने चंदामामा से परिचय कराया था,नींद के लिए लोरियां सुनाई थीं,खाना खिलाने के लिए तरह तरह के लुभावने बहाने बनाये थे..और कपोल कल्पित राक्षसों के आने का सन्दर्भ दिया करती थीं मेरे बाल हठ या रोने पर लगाम लगाने के लिए ।

मां के पूजाघर से घनघनाने वाली घंटियों को सुनकर रामदाना प्रसाद पाने के लिए अब भी क़दम पूजाघर की ओर जब बढ़ जा रहे हैं तो विश्वास हो चला है कि मां है तो बचपन मुखर हो उठा है।बचपन के मुखर होने का सीधा सरोकार अपनी आत्मा की प्राकृतिक शुद्धता और सौम्यता से है।


मां..तू तो मेरी प्राणवायु है, तू है तो मैं हूं , तेरी संतानें हैं। मां , तेरे आंचल की छांह इसी तरह बनी रहे ।लेकिन... हाय रे काल की क्रूरता...उसका हाथ आगे बढ़ा और पिछले महीने मां भी चल बसीं...।वे शूगर और थायराइड से लड़ रही थीं कि उसी दौर में उन पर कोरोना का आक्रमण हुआ और डाक्टर कुछ समझते कि वे चल बसीं। एकबार फिर से सूनी हो गई मेरी दुनियां ! ऐसे तो नहीं जाया करते हैं मां !...मां,तू वापस आ जा..प्लीज़। तेरे बिना जियेगा कैसे तेरा 'फुलाई ?'



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