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Gurminder Chawla

Inspirational

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Gurminder Chawla

Inspirational

लालसा

लालसा

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शाम ढल चुकी थी और हितेश का दुकान बंद करके आने का वक्त करीब था। आज गायत्री बहुत खुश थी।बड़ी बेसब्री से बेटे के घर लौटने का इंतजार कर रही थी। उसे बड़ी खुश खबरी जो बतानी थी। बहू जोशना तीसरी बार गर्भवती हो गयी यह खबर क्या छोटी है। हकीकत तो यह थी वो इसे बड़ी खबर इसलिए मान रही थी कि वो पोते की दादी बनने वाली है। पिछले समय की तरह नहीं इस बार तो वो पोते की दादी ही बनेगी ऐसा उसे पूण॔ विशवास था। वैसे भी इस बार वो बहू की बिलकुल न सुनेगी। इस बार वो उसकी बिलकुल न चलने देंगी। माना कि अब ऐसा कानून है कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग का पता लगाना और बताना डाक्टर के लिये अपराध है लेकिन पहली बार भी बेटे के दोस्त ने अल्ट्रासाउंड से देखकर बिना रिपोटें दिये बता दिया कि लड़की है। गायत्री का बस चलता तो वो लड़की को जन्म न देने देती लेकिन बहू जोशना नहीं मानी कि पहला बच्चा है लड़का हो या लड़की इससे कोई खास फर्क नहींं पड़ता। बेटा भी बहू की भाषा बोलने लगा और उनकी जिद के आगे सास को झुकना पड़ा बाद में जोशना ने लड़की को जन्म दिया। हितेश और जोशना ने लड़की का नाम पपीहा रखा। सास क्यो बच्ची का नाम रखती। पोती की दादी बनने और पोते की दादी बनने में बहुत फर्क होता है। यह बात कुछ हद तक अपने बेटे तो समझ जाते है पर आजकल की बहुए नहीं समझती।

दुबारा जब जोशना गर्भवती हुई तो गायत्री तो जैसे तैयार बैठी थी। जैसे ही उसे पता लगा कि गर्भ में लड़की है तो उसने पूरा आसमान सर पर उठा लिया। इस बार माँ की जिद के आगे बेटे को झुकना पड़ा। जोशना की बिलकुल न चली और कन्या भ्रूण हत्या कर दी गयी। सास ने कहा कि यह बहू तो लड़कियां पैदा करने की मशीन है। हितेश पढ़ा लिखा था और विज्ञान की पढ़ाई करने की वज़ह से उसे यह बात अच्छी तरह मालूम थी बच्चे का लिंग पिता द्वारा निर्धारित होता है और कोई भी माँ उसके लिए जिम्मेंदार नहीं होती। यह बात हितेश की अपनी माँ को या बीवी को बताने कि हिम्मत न थी।

आज जब हितेश घर पहुंचा तो माँ ने खाने के बाद कुछ मीठा बना रखा था। मीठा खिलाते खिलाते यह मीठी खबर की तीसरी बार जोशना गर्भवती है बेटे को दे दी और साथ में यह हिदायत दी कि समय रहते ही अपने दोस्त के पास बहू को ले जाकर होने वाले बच्चे के लिंग का पता लगाये कि कही गर्भ में लड़की तो नहीं। शहर छोटा था और ऐसे छोटे से शहर में यह काम ज्यादा कठिन न था। सभी लोग एक दूसरे को भली-भांति परिचित थे। दादी ने पोती पपीहा को भी बताया कि तुम्हारे म

ाता-पिता जल्दी ही बाजार से उसके साथ खेलने के लिए एक खिलौने जैसा भाई खरीद कर लाने वाले है। बच्चे का सेक्स का पता लगाना और लड़की न हो यह बात जोशना इस बार बिलकुल मनाने को तैयार न हुई सास बहू में जमकर झगड़ा हुआ और बेटा मूकदर्शक बना रहा। एक भी शब्द मुँह से न बोला। जीत इस बार फ़िर बहू की हुई और वो अल्ट्रासाउंड के लिए जाने को भी राजी न हुई लेडी डाकटर ने जरूरी समझकर एक दो बार अल्ट्रासाउंड कराने को सलाह दी पर जोशना किसी भी कीमत पर उसके लिए राजी नहीं थी और उसने इसे माँ बेटे की डाक्टर के साथ मिली भगत समझा।

जोशना का डिलीवरी का दिन भी आ गया।

समय पर लेडी डाकटर ने कहा कि नाॅर्मल डिलीवरी नहीं हो सकती। ऑपरेशन करना ही पड़ेगा। हितेश ने अपनी रज़ामंदी दे दी। ऑपरेशन किया गया। गायत्री और हितेश की समझ में यह नहीं आ रहा था कि ऑपरेशन के पूरा होने के बाद भी डाक्टर इतनी भाग दौड़ में क्यो है और उनको जच्चा और बच्चा के बारे में कुछ भी बता नहीं रहे है। हितेश के अधिक जोर देने के बाद उनहोंने बताया कि जोशना तो ठीक है और उसने दो जुड़वा लड़को को जन्म दिया है। लेकिन जुड़वा बच्चे मेंडिकल की भाषा में जिसे पेरासाइटीक टवीनस या परजीवी जुड़वां कहते है वो पैदा हुए है।

ऐसे बच्चे कभी लाखों केस में एक बार ही होते है। थोड़ी देर के लिये तो गायत्री खुश हो गयी कि चलो एक साथ दो पोते तो हुये। लेकिन बाद में जब हितेश और गायत्री को बच्चो को दिखाया गया तो हितेश फूट फूट कर रोने लगा और गायत्री धम से जमीन पर बैठ गयी। एक बच्चे के जिस्म से दूसरा बच्चा जुड़ा हुआ था। दूसरे बच्चे की सिर्फ दो टाँगे और कुछ भाग था। तुरंत बड़े सर्जन को बुलाया गया। उसने बताया कि एक पूरे शरीर वाले बच्चा तभी लंबे समय तक जीवित रह सकता है और नार्मल जिंदगी जी सकता है जब आधे शरीर वाले बच्चे के हिस्से को अलग कर दिया जाये। यह परजीवी जुड़वां बच्चों का ऑपरेशन किसी बड़े शहर मेंं बड़े डाक्टरों की देख रेख मेंं ही हो सकता था हितेश और जोशना ने बड़े शहर के बड़े अस्पतालों में चक्कर लगायें और अंत में ऑपरेशन के बाद उन्हे एक पूरे शरीर वाले लड़के को बचाने में सफलता हासिल हुई।

हमारी पुरानी पीढ़ी को लड़के की लालसा बनी रहती है और नयी पीढ़ी भी कभी उनके दबाव में या खुद लालसा में लड़की की भ्रूण हत्या करती है। क्यों न ये समाज अपनी सोच को बदले कि होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की लेकिन उसकी बजाय बच्चा स्वस्थ पैदा होना चाहिए।


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