लाइलाज कैंसर
लाइलाज कैंसर
उसने कहा वह फौज से रिटायर्ड है । स्वदेशी भावना से ओत-प्रोत लोगों ने उसे हृदय से लगाया । उसे सर पर बिठाया । वह गायक अच्छा था , उसे सच्ची तारीफ़ मिली । उसने कहा वह इंडियन आइडल विजेता है । लोगों ने सच मान लिया । उसकी ऊलजलूल हरकतों, बातों पर भी सब झूमने लगे, गाने लगे ।
फिर उसने कहा उसे ब्लड कैंसर है और वह सिर्फ दिसंबर तक जीवित है । प्यार के साथ-साथ लोगों को उसे सहानुभूति मिली और बस यहां वह कुटिलता की हदें पार करता गया । रिश्ते तार तार कर गया। किसी ने उसकी सच्चाई जानने की कोशिश नहीं की कि रिटायर्ड फौजी है तो आधार कार्ड या अन्य पहचान क्यों नहीं। वो जैसलमेर से कैसे आया, क्यों आया या पीठ पर गोली खाकर तो नहीं भागा ।
और फिर कैप्टन बनकर एक छोटे शहर की छोटी सी होटल में बैरे का वो काम क्यों कर रहा है । बंटी और बबली आपस में कब और कैसे मिले । कहते हैं झूठ के कभी पांव नहीं होते । सच्चाई की परतें खुलती गई । ना वह फौज में था और न उसे ब्लड कैंसर । मगर इस आड़ में जाने कितनों से नाना प्रकार की मदद लेकर वह अंडरग्राउंड हो गया । शहर की एक नृतिका ने छद्दम व्यक्ति पर चीख चीखकर चारदीवारी के भीतर हो रहे कारनामों की जानकारी देनी चाही । किसी ने उसके आरोपों को गंभीरता से नहीं लिया । जब सर पटककर उसने जान दे दी तो कई गाहे बगाहे राखी बंद मुंह बोले भाई मुंह छिपाते फिर रहे हैं ।
कैंसर का इलाज संभव है मगर समाज में व्याप्त ऐसे लाइलाज कैंसर का इलाज कौन करेगा ???

