MITHILESH NAG

Drama

4.8  

MITHILESH NAG

Drama

क्या यही प्यार है

क्या यही प्यार है

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रोली आज बहुत खुश थी, क्योकि आज उसके पापा उसके लिए नया जूता जो लाया है। वैसे भी घर मे 6 साल की रोली उसकी माँ सीमा और राजू यही रहते है।

छोटा सा परिवार जो हँसी खुशी रहती है। लेकिन कभी कभी रोली के दिल मे कुछ ऐसा था जो उसको बहुत परेशान कर रही थी।

“रोली घर के बाहर कुछ बच्चों के साथ रोज खेलती है। बड़ी खुश रहती है। 

“रोली तुम क्यो उदास रहती हो” (एक छोटी लड़की)

“कुछ नहीं मुझे तुम सब के साथ खेलना अच्छा लगता है। लेकिन जब घर जाती हूँ तो अकेले अच्छा नहीं लगता है।” ( मायूस मुँह बना कर)

“लेकिन तुम्हारे पापा मम्मी तो है तो फिर क्यो?“ (उसका मुँह देखते)

लेकिन रोली बिना कुछ बोले वहाँ से चली जाती है। घर पर आ कर अपनी माँ की गोद मे सिर रख कर सो जाती है।

“क्या हुआ? बिटिया रानी को, किसी ने कुछ बोला क्या तुम को।

“मम्मी मेरे दोस्तों के भाई है लेकिन मेरा कोई भाई नहीं है”। (रोते हुए)।

सीमा उसको बड़े ध्यान से देखती है। और सिर पर प्यार से हाथ फेरती है।

“बस इतनी सी बात है... रोली बेटी को भाई चाहिए”।

“सच मम्मी” ( चेहरे पर मुस्कान लाते हुए)।

“ठीक है मैं तुम्हारे पापा से बोलती हूँ” ( गाल पर किस करते )

रात को.....

सीमा और राजू अपने कमरे में लेटे है।और रोली को एक तरफ कर के सीमा राजू के बाहों में सिर रख कर लेट जाती है।

“अच्छा एक बात बोलूं”।

“क्या ?” ( सीमा को देखते)

“आज रोली जानते हो क्या बोल रही थी”

“क्यो कुछ हुआ था क्या”?

“आज रोली बोल रही थी कि मम्मी मुझे छोटा भाई चाहिए”।

“तो तुम ने कुछ बोला नहीं”

“मैंने बोला कि ठीक है पापा से बोलती हूँ”।

फिर दोनों हँसने लगे । दोनों को समझ मे आया कि हमे क्या करना चाहिए।

3 महीने बाद.....

सीमा आज बहुत खुश थी कि फिर से माँ बनेगी। और खुश भी क्यो ना हो। रोली के लिए छोटा भाई जो आ रहा है इस दुनिया मे । इधर रोली की भी राजू और सीमा ने जब से बताया है कि तुम्हारा छोटा भाई आ रहा है तब से वो बहुत खुश रहने लगी।

वो अपने साथ खेलने वाले दोस्त से भी बोल रही थी। “मेरा छोटा भाई इस दुनिया मे आ रहा है”। अब मैं भी अपने भाई के साथ घर मे खेलूंगी।साथ मे घूमेंगे खूब मस्ती करेंगे।

6 महीने बाद अचानक....

एक दिन सीमा घर के बाहर कपड़े फैला रही थी। फिर कुछ देर वैसे ही टहल रही थी। उसको याद आया कि राजू से सब्जी लाने के बोल दू। वो जैसे ही फ़ोन कर के बोल ही रही थी अचानक उसका पैर किसी पत्थर से टकराया जिसे वो सम्भल नहीं पाने की वजह से पेट की तरफ गिर गयी ।

गिरने की वजह से वो बहुत तेज़ तेज़ रोने लगीं । 

“सीमा क्या हुआ?” बोलो कुछ हेलो सीमा....

“राजू मुझे बहुत तेज़ दर्द हो रहा है। मुझे बचाओ”।

राजू तुरन्त सब काम छोड़ कर तुरन्त सीमा को लेकर हॉस्पिटल पहुचता है। 

“डॉक्टर साहब मेरी पत्नी को बचाओ”। ( पसीने से भीग गया)

“आप यही रुको”। ( नर्स को इशारा करते)।

कुछ देर....

“डॉक्टर राजू से बोलता है कि अब वो कभी माँ नहीं बन सकती है।“

“राजू बहुत दुखी होता है,लेकिन हिम्मती बहुत होने की वजह से वो खुद को सम्भलता है। और सीमा को भी किसी तरह समझता है। फिर धीरे धीरे नार्मल हो जाता है सब ।

एक दिन....

एक दिन दोनों ने देखा कि रोली मायूस रहती है। तो वो दोनों एक अशोक का पेड़ लेकर आते है। फिर रोली को पास बुलाते है।

“रोली बिटिया हमारी बहुत समझदार है। और जैसा मैं बोलूँगा वो सुनेगी।“

“पापा मेरा छोटा भाई नहीं आया ना” ( उसका हाथ पकड़ कर)

“कौन कहता है” देखो मैं क्या लेकर आया हूँ।

राजू उसके हाथ मे अशोक का पेड़ देता है। और उसको घर के बाहर वाले मैदान में लगाने को बोलते है।

सीमा उसको समझती है कि ये भी तो तुम्हारा भाई है।

कुछ साल बाद....

अब रोली बड़ी हो गयी थी 10 साल की अब उसको जैसे बहुत कुछ मिल गया था। अब जैसे उसको किसी और कि जरूरत ही नहीं रहती थी।

वो हर समय जब भी खाली रहती रही तब उस पेड़ के पास बैठ कर घंटो बाते करती रहती।

“अशोक भइया मुझे लगता था।कि जब कोई सच मे हो तो ही भी5 होता है।लेकिन मैं बहुत गलत थी। आप तो मुझे पूरे जीवन एक छोटी बहन की तरह रखते हो।

और ये प्यार किसी भाई बहन से कम नहीं है। हर रक्षाबंधन को राखी बांधती है। 

पहले जो भी देखता था वही हँसता था। लेकिन धीरे धीरे लोगो को समझ मे आने लगा कि जरूरी नहीं है कि एक भाई इंसान ही हो। एक पेड़ भी भाई हो सकता है। 

लोगो के मुँह से इतनी ही बात निकलती थी कि क्या प्यार है इनमे सही मायने में तो ये प्यार और अहसास का नाम ही तो विश्वास होता है।

और ऐसे ही रोली को पूरा समय अपने इस भाई से बात करते करते सो जाना भी अच्छा लगता था। उसके मम्मी पापा भी देखते थे तो अच्छा लगता था कि एक भाई की और एक बेटा की कमी पूरी कर दी।

और सच मे देखा जाए तो यही प्यार है।


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