क्या औरत को नींद प्यारी नहीं
क्या औरत को नींद प्यारी नहीं
" चलो बच्चों उठ जाओ देखो सूरज सिर पर अा गया है क्लास का टाइम भी होने वाला है चलो जल्दी उठ कर तैयार हो जाओ।" शानवी अपने दोनो बच्चों श्रेया और श्रनव को उठाते हुए बोली।
" मम्मा थोड़ी देर और सोने दो ना !" बारह साल की श्रेया करवट बदलते हुए बोली पंद्रह साल के श्रनव पर तो मानो असर ही नही हुआ हो वो आंखे मूंदे पड़ा रहा।
" नहीं कोई थोड़ी देर नहीं पहले ही बहुत देर हो गई उठो ..तुम भी उठो श्रनव।" शानवी दोनों से बोली।
" उफ्फो मम्मा सुबह की नींद इतनी अच्छी आती और आप शोर मचा सब खराब कर देती हो आपको तो कुछ काम होते नहीं हैं ...पता नहीं क्या है आपको !"श्रनव गुस्से में चिल्ला कर बोला और उठ कर बाथरूम में चला गया।
भोंचक्की सी रह गई शानवी " अरे इनके भले के लिए ही तो उठाया !" वो मन ही मन बोली और काम में लग गई।
" रवि उठिए ऑफिस का समय हो रहा है !" बच्चों को उठा नाश्ता दे वो अपने कमरे में अा पति को उठा कर बोली।
पति ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की...! " उठो ना रवि देर हो जायेगी !" श्रेया ने फिर आवाज़ दी और खिड़की का पर्दा खोल दिया। सूरज की किरणें सीधी रवि के मुंह पर पड़ी और वो झुंझला उठा " क्या है श्रेया सुबह इतनी अच्छी नींद आती और तुम्हारी चिकचिक शुरू हो जाती ...तुम्हे तो कोई काम है नहीं सारा दिन फ्री रहोगी कभी भी सो जाओ हमे तो यही समय मिलता है ना सोने का !" रवि चिल्लाते हुए बोला।
" पर रवि टाइम....!" श्रेया कुछ बोलने को हुई।
" बस रहने दो तुम !" रवि उसे चुप करा बाथरूम में घुस गया।
ये रोज का किस्सा है ....सबको सुबह की नींद प्यारी है और सुबह सबसे पहले उठने वाली शानवी पर ही सब झुंझला जाते जबकि उसे खुद को तो कहीं जाना नहीं होता फिर भी सबके लिए अपनी सुबह की नींद छोड़ कर उठती है और सबका सुनती है ....पर आज जाने क्यों शानवी को सबका बोलना ज्यादा ही अखरा।
अगले दिन ...
" अरे आठ बज गए मम्मा ने उठाया नहीं अभी तक आज तो मेरा टेस्ट भी था उठ श्रेया तेरा भी तो टेस्ट है ना !" अचानक श्रनव की नींद खुली तो वो बोला।
" ओह भाई अब क्या होगा?" श्रेया तो रोने ही लगी।
दोनों उठ कर कमरे से बाहर आए और मम्मा के कमरे की तरफ बढ़े ..!
" मम्मा मम्मा दरवाजा खोलो !" दोनों दरवाजा खटखटा कर बोले।
" अरे ये बच्चे दरवाजा क्यों बजा रहे हैं...अरे आठ बज गए आज तो मुझे नौ बजे ऑफिस पहुंचना था ... शानवी अब तक सो रही है इसने उठाया नहीं !" ये बोलते हुए रवि ने पहले उठकर दरवाजा खोला।
" मम्मा उठो ... आपने हमें उठाया नहीं आज ...!" श्रेया शानवी को हिलाते हुए बोली।
" हां शानवी मेरी भी मीटिंग थी और तुमने देर करवा दी !" रवि झुंझलाते हुए बोला।
" अरे चिल्ल ...क्यों शोर मचा रहे हो सुबह की नींद इतनी प्यारी होती और तुम शोर मचा कर जगा रहे हो !" शानवी आराम से बोली और चादर ऊपर तक खींच ली। तीनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे।
" शानू देखो ना मेरी मीटिंग है बच्चों की भी ऑनलाइन क्लास का समय हो रहा उठो जल्दी !" रवि अबकी बात प्यार से बोला।
" पर मुझे क्यों उठा रहे हो इन सबके लिए आपके काम है तैयार होने के कीजिए !" शानवी लेटे लेटे बोली।
" पर नाश्ता तो तुम्हीं दोगी बना कर और बाकी काम भी तो हैं !" रवि बोला।
" पर मैं तो सारा दिन कुछ करती ही नहीं हूं फ़्री रहती हूं !"शानवी बोली। तीनो समझ गए आज उनका वार उन्हीं पर पड़ा है।
" अच्छा बाबा माफ़ कर दो ना अब उठो जल्दी देर हो रही है !" रवि बोला।
" रवि एक औरत एक पत्नी एक मां को भी सुबह की नींद उतनी प्यारी होती है जितनी सबको पर वो अपने पति बच्चों के लिए उनसे पहले उठकर काम करती तब उन्हें उठाती और उनके जाने के बाद बाकी काम भी करती फ़्री रहकर सोती नहीं है समझे आप लोग!" शानवी उठते हुए बोली।
" सॉरी मम्मा हमे माफ़ कर दो !" दोनों बच्चे कान पकड़ कर बोले।
" हां शानू हम समझ गए हैं अब अब प्लीज़ जल्दी से ब्रेड दूध दे दो क्योंकि नाश्ता बनाने का समय नहीं हम आते है तैयार होकर !" रवि बोला।
" नाश्ता तैयार है आप लोग आओ जल्दी से आपके फेवरेट आलू पूड़ी !" शानवी जाते हुए बोली।
" ओह मतलब तुम सब नाटक कर रही थी हमे सबक सिखाने को !" रवि हंसता हुआ बाथरूम में घुस गया और शानवी रसोई में चली गई।
उस दिन के बाद सभी शानवी की एक आवाज़ में उठने लगे थे आखिर समझ जो गए थे कि एक औरत को भी सुबह की नींद प्यारी होती है पर वो सिर्फ अपने परिवार के लिए उसका त्याग करती है।
