क्वेरेन्टाइन का ग्यारहवां दिन
क्वेरेन्टाइन का ग्यारहवां दिन
मेरा नाम रीतिका है। मैं छब्बीस साल की एक इंजीनियर और एक खूबसूरत लड़की हूँ। मतलब, लोग मेरे बारे में ऐसा कहते हैं कि मैं खूबसूरत हूँ।
अपने सहकर्मियों के साथ मेरा रैपो बहुत अच्छा है। सभी मुझसे बातें करना चाहते हैं। सैलरी भी मेरी अच्छी खासी है। पाँच अंकों की मेरी सैलरी के कारण, मेरी रूममेट मोणिका को मुझसे बहुत जलन होती है। वह कुछ कहती नहीं, पर मुझे उसकी मन का पता लग जाता है।
मैं उत्तराखंड की भीमताल इलाके की रहनेवाली हूँ। मेरे पिताजी का फार्महाउस है वहाँ। वे ताजे फलों के होलसेलर है। साथ ही कुमाऊंनी शाॅल की भी एजेन्सी चलाते हैं। देशों -विदेशों में वे इन शाॅलों को एक्सपोर्ट किया करते हैं। उनका बिजनेस काफी अच्छा चल रहा है ।
अपने परिवार में सबसे पहली मैं ही इंजीनियर बनी। मेरी एक छोटी बहन भी है। पिताजी मुझे दिल्ली आने देना नहीं चाहते थे। उनका मन था कि मैं गाँव में रहकर उनका बिजनेस संभालूँ। परंतु मेरा सपना है, यू एस में जाकर बस जाना। गाँव सही है, परंतु यू एस में जो एशो-आराम है, वह और कहाँ पर है?
मैं नीलगगन में दो अन्य लड़कियों के साथ पीजी में रहती हूँ। चूँकि मैंने यह अपार्टमेंट मेरे नाम से रेन्टेड है इसलिए फ्लैट का मास्टर बेडरूम में मैं रहती हूँ। पिताजी का बस चलता तो वे मुझे पूरा एपार्टमेन्ट ही खरीदकर दे देते।
पर मैं अकेली इतने बड़े अपार्टमेंट का क्या करती?इसलिए मैंने इन दो लड़कियों को सबलेट कर दिया। हाँ, इन दो नमूनों को मुझे दिनरात झेलना जरूर पड़ता है, परंतु इनसे मेरा काफी काम भी निकल आया करता है ।
मोणिका मेरे बिल पेमेन्ट्स जैसे छोटे मोटे काम कर दिया करती है, जबकि वह चिंकी, मेरे लिए खाना बनाना, सूखे कपड़े उठाना जैसे काम कर लिया करती है।
अरे हाँ, मैं अपने ब्याॅयफ्रेन्ड विक्रम के बारे में बताना तो भूल ही गई। मेरी डायरी, उसके बारे में क्या कहूँ? कितना हाॅट है!!
कभी कभी वह मेरे अपार्टमेंट में आकर रहता है। कितनी अच्छी बातें करता है, कितना पाॅजीटिव है। न्यूयार्क में तीन साल रहकर आया है। मेरी ऑफिस बिल्डिंग में ही दूसरी आई टी फार्म में वह काम करता है। एक ऑफिस पार्टी में हमारी मुलाकात हुई थी। तब से ही मैं उसका फैन बन गई हूँ। ओहहह, he is so charming!
और एक पिताजी है, जो मेरी शादी अपने बिजनेस पार्टनर रामसेवक अंकल के बेटे आशीष से करना चाहते हैं। मुझे नहीं करनी कोई शादी वादी। अरे अभी तो लाइफ को इंजोय करने का समय है। पिताजी समझें तब न?
उसदिन विक्रम मेरे फ्लैट में नाइट आउट करने को आया था। फिर लाॅकडाउन का एनाॅन्समेन्ट हो गया। इसलिए वह मेरे घर पर ही रुक गया। आजकल वह यहीं पर है। दिन बड़े मजे से कट रहे हैं, हमारे!!
वर्क फ्राॅम होम चल रहा है। थोड़ा काम फिर दिन भर की मस्ती! ऐसा मौके बार बार कहाँ मिलते? साथ में खाना -पीना सोना सब कुछ!
जानती हूँ कि
लड़कियों को विक्रम का यहाँ रहना पसंद नहीं है। वह चिंकी तो ज्यादा नहीं बोलती, परंतु मोणिका कई बार कहने की कोशिश कर चुकी है। पर मैंने अनसुना कर दिया। अब मैं उनकी तकलीफ के बारे में सोचूँ या अपना फायदा देखूँ? बताओ , डायरी? ज्यादा चूँ-चपड़ करेगी तो घर से निकाल दूँगी।
लाँकडाउन के बारे में लोग चाहे जो कहे, पर मेरे लिए तो यह दोहरी वरदान जैसी सिद्ध हुई है। एक तो, मेरी मई में जो शादी होनेवाली थी। वह फिलहाल के लिए टल गई है। और दूसरा, विक्रम का भरपूर साथ रहने को मिल रहा है!
विक्रम , अमरिका जाने का मेरा पासपोर्ट है। मैंने उसके कहने पर एच आई बी के लिए अप्लाई कर दिया है। परंतु पिताजी को नहीं बताया।
अच्छा किया न, मेरी डायरी? बोलो?
लाॅकडाउन के चलते विसा मिलने मे थोड़ी देरी हो सकती है। पर विक्रम ने कहा एकबार सब नाॅर्मल हो जाए तो वह जल्दी एप्रूव हो जाएगा। उसकी काफी जान पहचान है,विदेश मंत्रालय में। मेरे लिए वह बात करेगा।
विक्रम की गर्लफ्रेन्ड को मुझसे जलन है कि मैंने उस अपने घर मे रख लिया है। अब लाॅकडाउन में वह और कहाँ जाएगा? पुलिस भी इलाके से बाहर नहीं निकलने को दे रही है। ऐसे में विक्रम मालवीय नगर कैसे जा पाएगा?
यदि इससे उनका रिश्ता टूट जाता है, तो मैं क्या कर सकती हूँ, बोलो , मेरी डायरी?
