क्वेरेन्टाइन का बारहवां दिन
क्वेरेन्टाइन का बारहवां दिन


डियर डायरी,
मैं हूँ विक्रम! विक्रम चावला। चावला एंड सन्स का एक पार्टनर। वैसे एक मल्टीनेशनल कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर भी हूँ। परंतु रगों में मैं मेरा बिजनस है। उम्र 30 वर्ष। वैसे तो अविवाहित हूँ। परंतु कह नहीं सकता कि दुर्घटनावश अबतक कितने बच्चों का पिता बन चुका हूँ। हा हा हा।
मुझे सुंदर और कमसिन लड़कियाँ बहुत भाती हैं। रीतिका समझती है कि मैं उसके लिए अमरीका जाने का मोहरा हूँ। बड़ी बेवकूफ है, यह लड़की। मैं तो अमरीका अपने बिजनेस के सिलसिले में गया था और गोरी लड़कियों के साथ ऐश करने। रीतिका को कुछ और कहकर बहला दिया था। और वह बेवकूफ मान भी गई थी।
रीतिका समझती है, कि मैं उसे पसंद करता हूँ इसलिए यहाँ आया हूँ।अरे, मैं तो एक भौंरा हूँ, जहाँ मुझे शहद मिलेगी, आउंगा ही। नहीं, रीतिका बुरी नहीं है। पर उसने कई घाटों की पानी पी रखी है। मुझे ऐसी लड़कियाँ ज्यादा पसंद नहीं है।
वह सीधी सादी चिंकी उससे कहीं ज्यादा आकर्षित करती है। उसमें जो सादगी है, पहाड़ीपन है,उससे मै अपना संतुलन खो बैठता हूँ। वह पंजाबन भी बुरी नहीं है, पर लड़ती बहुत ज्यादा है।
अब मैं यहाँ नहीं आता तो क्या करता। लाॅकडाउन में मेरे काम किससे करवाता?बोलो डायरी। घर में कामवालियाँ तो आने से रही। इन लड़कियों से ज़रा प्यार से बोलो तो सारा काम कर देती है। आजकल तो मैं, नेपाली खाने का शौकिन हो गया हूँ। थुकपा का भी और उसे बनाने वाली का है।
पर रीतिका का क्या करूँ? बोलो डायरी। वह तो हाथ धोकर मेरे पीछे पड़ी हुई है। सोच रहा हूँ कि कुछ दिन खुद चख लूँ , फिर उसे अपने बाॅस के हवाले कर दूँगा।
बाॅस को एकबार ऑफिस के लिफ्ट में ललचाई आँखों से उसे घूरते हुए देखा था। पर डायरी, यह मेरा तुम्हारा सिक्रेट है, किसी को बताना मत।