कठपुतली
कठपुतली
अचानक उभरे इन हालातों के कारण पिछले कई दिनों से पूरा परिवार घर पर ही था,और कलुआ को भी उसके मां बापू बाहर नही निकलने दे रहे थे,उनका बेटा कलुआ भी अब उनके इस बर्ताव से मायूस और हतप्रभ था।
फिर आज सुबह जब वह सोकर उठा तो उसने देखा कि उसकी माँ घर का सारा सामान एक बड़े से पोटले में बांध रही है।और बापू भी इस काम मे उसकी मदद कर रहा है।
यह देख जब उसने अपनी माँ से इसका कारण पूछा तो वह मायूस हो बोली, बेटा यहाँ शहर में अभी ना जाने कब तक तेरे बापू को मजूरी ना मिले इसलिए हम अब वापस गाँव अपने घर जा रहे है।
उसकी ये बात सुन फिर कलुआ बोला,कौन सा अपना घर माँ अब शहर में मैदान किनारे बनी ये झोपड़ी ही अपना घर है।तुम्हें याद भी है जब हम गाँव से शहर आए थे।
तब वहां का घर अपना परिवार और दोस्तो के छूटने पर मैं कितना रोया था।तब बापू ने क्या कहा था,की अब ये शहर ही हमारा अपना है।और ये झोपड़ी ही हमारा घर,यहां हमारे सब सपने पूरे होंगे इसलिए हम अब यहीं रहेंगे और अब मैने जैसे तैसे अपने मन को समझा लिया है।
तो तुम लोग गांव जाने की तैयारी कर रहे हो,तू ही बता माँ हम जिंदगी की मुसीबतों से मुह छुपाए भला कबतक भागते रहेंगे।
उसकी बात सुन अब मां ने तो सर झुका लिया पर उसका बापू, उसके सर पर हाँथ फेर रुंधे बोला,
बेटा बात तो तू सही कहता है।
पर शायद जानता नहीं कि यहां समय ही बड़ा बलवान है,और हम सब उसी के हाथ की.........