Kunda Shamkuwar

Drama Tragedy Others

2.5  

Kunda Shamkuwar

Drama Tragedy Others

कसक

कसक

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"अरे,कहाँ पर हो तुम?आजकल कम दिखायी दे रही हो?" मेरी ऑफिस कलीग से फ़ोन पर बात हो रही थी।

उसने जवाब देते हुए कहा,"कोई काम है क्या?घर आ जाओ। मैं घर पर ही हुँ"।"चलो,फ़ोन रखो,मैं आ रही हूँ,तुम चाय का पानी रखो।हम साथ चाय पियेंगे।

हम दोनो ही कैंपस मे रहते हैं तो मैं झट से उसके घर चल पड़ी।उसके घर मे चाय के साथ हमारी बातचीत होने लगी।

मैंने कहा,"अरे, क्या बताऊँ तुम्हें,एक इमरजेंसी आ गयी है।कुछ पैसे चाहिए थे मुझे।इसलिए तुम्हारे पास आई हूँ।मुझे 5 हजार रुपये उधार दे दो। सैलरी पे लौटा दूंगी।"

उसने पूछा,"अभी चाहिए?" मेरी हाँ भरते ही उसने कहा, "शाम को दे दूँ तो नहीं चलेगा?"

मैंने कहा,"मुझे तो अभी चाहिए थे।तुम्हारे पास नहीं है तो मुझे बता दो, मैं किसी और से पूछ लेती हूँ।"

वह फौरन बोल पड़ी,"वो बात नहीं है,पैसे तो है,लेकिन मेरा एटीएम कार्ड हस्बैंड के पास रहता है और वह शाम को आएंगे तब दे दूँगी।" 

मुझे बड़ा wonder हुआ।मैंने कहा,

"कोई बात नहीं है।मैं manage कर लूँगी, लेकिन मुझे यह समझ नहीं आ रहा है की तुम्हारा एटीएम कार्ड तुम्हारे पास क्यों नहीं है? जब तुम नौकरी करती हो तो तुम्हारे पास अपना एटीएम कार्ड होना चाहिए।तुम्हारे पती के पास क्यों होगा तुम्हारा एटीएम कार्ड?" 

उसने तेजी से कहा,"ऐसी कोई बात नहीं है,उनके पास गलती से चला गया होगा शायद।" बात संभालने की उसकी वह एक नाकाम कोशिश थी।

"अच्छा,मैं चलती हुँ।थोड़ा जल्दी में हुँ।यह काम निपटा लूँ फिर मिलकर बात करेंगे।" कहते हुए मैंने उसकी ओर देखा।उसकी टालती सी नजरों ने खामोशी से सबकुछ कह दिया.....

मुझे लगा उसके पास उसका सिर्फ एटीएम कार्ड ही नहीं, उस घर में उसका अपना वजूद भी नही है ....


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