करवा चौथ
करवा चौथ
पहला करवा चौथ
" हाय जानू,तुमने कुछ नही खाया, ये कैसा ,जरा सा ,मुंह निकल आया, लाओ, मैं सहारा दे देता हूँ चलो,गोद में ही ले चलता हूं।तुमहारी माथे की ये लाल बिंदिया रेशमी हाथों की ये सुर्ख मेंहदी, आंखों से रस बरसता प्यार छा रहा है मुझे जैसे खुमार।"
(40 साल बाद का करवा चौथ)
पत्नि:(थोड़ा शरमा के)सुनो जी,आज हम घर में बिल्कुल अकेले हैं।
पति:(लापरवाही से)खिचड़ी/दलिया ही बना लो या घर मे रखे कुछ केले हैं??"
पत्नि(निराश होते हुए)"अरे,मेरा तो करवा चौथ का व्रत है,अभी चाँद कहाँ निकला है?"
पति:तुम भी गजब करती हो, एक चाँद के होते हुए दूसरे को तलब करती हो।"
पत्नि:(रोमांटिक होती हुई)आपने मुझे अभी भी चाँद कहा।
पति:(पहली बार चौंक के)चांदनी,ओ ,मेरी चांदनी।
