करवा चौथ
करवा चौथ
एक बार माता लक्ष्मी ने देखा कि उनका वाहन उलूक बहुत दिनों से ठीक से भोजन नही कर रहा, आहार विहार में भी उसकी रुचि नही रह गयी हैं, वह दिन भर अपने आवास में शांत पड़ा रहता है| अपने वाहन की यह दशा देख कर माता लक्ष्मी को बड़ा कष्ट हुआ। उन्होंने ने उलूक की इस दशा का कारण पता करने का बहुत प्रयास किया, परंतु किसी को भी उलूक के कष्ट का कारण ज्ञात नही था| अंततः हार कर माता लक्ष्मी ने उलूक को अपने पास बुला भेजा, माता के आदेश पर उलूक तत्काल उनकी सेवा में उपस्थित हुआ| अत्यधिक शोक के कारण उलूक का शरीर कांतिहीन हो गया था, वह अत्यंत थका हुआ और वृद्ध प्रतीत हो रहा था। उसकी यह दशा देख कर माता लक्ष्मी को अत्यधिक कष्ट हुआ, उन्होंने उलूक से कहा - "वत्स उलूक मै कई दिनों से देख रही हूँ, तुम आहार विहार में रुचि नही ले रहे हो, भोजन भी ठीक से नही करते, सदैव अपने आवास में ही पड़े रहते हो, तुम्हारा शरीर वृद्ध और कांतिहीन हो गया हैं, वत्स किस कारण से तुम इतने व्यथित हो निर्भय हो कर कहो? मै तुम्हारे कष्ट को दूर करने का यथा शक्ति प्रयास करुँगी|"
माता के प्रेम पूर्ण वचन सुनकर उलूक भावुक हो गया, माता के चरणों में गिरकर इस प्रकार कहने लगा- " हे जगदंबे ! आप के ही कारण मृत्यु लोक में प्राणी श्री युक्त हैं। जगत के सभी व्यवहार एवम् व्यापार आपके कारण ही संभव है| सभी लोग आपकी कृपा चाहते है| परंतु हे माते आपका वाहन होने पर भी कोई भी मेरा आदर नही करता, सभी मुझे अशुभ मानते हैं, अन्य सभी वाहनों का सम्मान होता हैं परंतु मुझे हमेशा तिरस्कृत करते हैं यही मेरे कष्ट का कारण है।" इतना कह कर उलूक मौन हो गया।
उलूक की बात सुनकर माता लक्ष्मी को उस पर बड़ी दया आयी और उन्होंने उलूक को वरदान दिया कि -" हे वत्स उलूक मेरी पूजा के ग्यारह दिवस पूूूर्व तुम्हारी पूजा होगी, जो भी स्त्री निराहार रह कर तुुम्हारा व्रत करेगी उसका पति दीर्घायु, वह सौभाग्यवती होगी."
माता से आशीर्वाद पा कर उलूक शोक मुक्त हो गया और गदगद कण्ठ से माता की प्रसंसा करते हुए अपने आवास पर चला गया।
तब से ही हर वर्ष दीपावली के ग्यारह दिन पूर्व करवा चौथ के नाम से उलूक पूजन का विधान चला आ रहा है।