Jitendra Meena

Abstract Tragedy Classics

3.5  

Jitendra Meena

Abstract Tragedy Classics

कृष्ण तो कृष्ण है

कृष्ण तो कृष्ण है

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कृष्ण तो कृष्ण है

किसी का आनंद है

तो किसी का संताप है 

किसी का शत्रु है

तो किसी का मित्र है


कृष्ण तो अरूप है

श्याम तो उनका प्रतिरूप है

आस्तिकता भी वही है

और नास्तिकता भी वही है


कृष्ण काव्य है

कृष्ण विचार है

कृष्ण धारणा है

कृष्ण भ्रम है


कृष्ण ही सत्य है

कृष्ण ही कृष्ण है

कृष्ण ही आरम्भ है

कृष्ण ही अन्त है


कृष्ण आय है

तो कृष्ण ही व्यय है

युद्ध भी कृष्ण है

तो कृष्ण ही शान्ति है


कृष्ण वही है जो तुम कहते हो,

कृष्ण वह नहीं है जो तुम कहते हो।


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