Gulafshan Neyaz

Tragedy

5.0  

Gulafshan Neyaz

Tragedy

करोना

करोना

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सब तरफ करोना करोना सुन सुन कर थक गई। थक हार कर मैंने न्यूज़ चैनल चेंज किया तबियत थोड़ी बोझिल हो गईं तो मैंने टीवी ही बंद कर दिया। चीन से चला करोना देखते ही देखते कितने देशों मे फ़ैल गया कितने ही लोग इसके शिकार हो गए।

सरकार की इतने सावधानी के बावजूद करोना इंडिया आ ही गया । उसकी मेहमान नवाजी में पूरे डॉक्टर की टीम और सरकार लग गई । हर तरह शहर बंद होने लगे स्कूल कॉलेज सब बंद हो गया सब लोग घर मे दुबक गए । पूरा व्यापार ठप हो गया । करोना से मन तो डर गया पर पेट की आग नहीं डरी उसे तो दो वक़्त का भोजन चाहिए ।

बेचारे समसाद ने कितना दौड़ धूप कर लोन लेकर और अपनी जिंदगी की पूरी पूंजी लगाकर मुर्गी फॉर्म खोला था । कितनी उम्मीद थी उसे इस फार्म से सोचा था । ज़ब फॉर्म चल निकलेगा तो अच्छी आमदनी होगी, बेटी की शादी अच्छी घर में करेगा । बेटा को इंजीनियर बनाएगा । पर इस करोना के डर ने उसके व्यापार को बर्बाद कर दिया , मुर्गी के भाव तो आलू से भी सस्ते हो गए । उसके बावजूद कोई खरीदार नहीं . उसके सारे सपने टूट गए, उसका उम्मीदों का महल करोना रुपी हवा मे ढह गया । ऐसा समसाद अकेला नहीं है उसके जैसे बहुत है जिसे मे रोज़ टीवी और मोबाइल पर देख रही हूँ ।

इस से भी बुरा हाल असगर का है बेचारा चार छोटे बच्चों का बाप है उसको और उसकी पत्नी को मिला के उसके घर मे छः लोगो का खर्च है ।

बेचारा कमाने वाला अकेला ऑटो ड्राइवर वैसे ही बड़ी मुश्किल से उसके घर की रोज़ी रोटी चलती । और ज़ब से करोना इंडिया आया उसके लिए और मुश्किल लाया अब तो लोग सफर भी कम कर रहे हैं। बड़ी मुश्किल से एक दो सवारी मिलती है। अब बेचारा घर चलाए या ऑटो की किस्त जमा करे , बेचारा बड़ी दुबिधा में है समझ मे नहीं आ रहा है कि क्या करे।

मुझे ऐसा लगता है की लोग करोना से मरेे ना मरें पर बेरोजगारी और भूखमरी उन्हें मार ही देगी । अब तो मुझे भी करोना से डर लगने लगा है।जिसके डर ने लोगों से उसका रोजगार छीनना शुरू कर दिया वाकई मे वो कितना भयानक होगा । हाय रे करोना 


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