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Go-Go Gourav

Abstract

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Go-Go Gourav

Abstract

क्रेजी इमोशंस

क्रेजी इमोशंस

11 mins
304


Sc#1. घर

स्कृप्ट

समय: 3:00 A.M


सह़ज अपनी बिस्तर पर अपनी पत्नी नुपूर के साथ सोया था। आँखें खुलने पर उसने टेबल घड़ी में देखा- रात़ के तीन बज रहे थे। उसने अपनी बीवी की तरफ़ देखा।उसके होंठ अपनी जगह से थोड़े ज्यादा फैल गए थे। अर्थात वह मुस्कुरा रही थी। नुपूर नींद में है सह़ज ने सोचने में जरा भी समय नही लगाया। वह बिस्तर से चादर हटाकर किच़न की तरफ़ बढ़ा।

'Good morning gentleman! ' सह़ज फ्रीज से जैसे ही पानी निकालकर पानी पीने वाला था उसे एक आवाज़ सुनाई पड़ी।उसने देखा किचऩ में ही उसके चार हाथ दूरी पर एक साठ साल का बुर्जुग, पचास साल पुराने सुट-बुट पहने जिसके बाल- दाढ़ी दोनों पूरे सफे़द है बिल्कुल विक्रम भटृ के माफि़क खड़ा था।

'जेन्टलमेंन मैं एक जिन्न हूँ। मैं तुम्हारी एक विश पूरी करने आया हूँ।' उसने अपना परिचय दिया।

'क्या तुम सचमुच़ में जिन्न हो? एक आम शक्ति को इतनी जल्दी अद्वितीय शक्ति पर विश्वास कैसे हो सकता था।

'तुम पानी पीओ।' उस व्यक्ति ने ईघर-उघर देखकर कहा।

सह़ज ने पहला घूँट लिया और अगले ही पल उसे उगल दिया क्योंकि पानी शराब़ में परिवत्तित हो चूकी थी।

'हमारे भी कुछ रूल्स होते है। गाड़ी-बंगला, रुपया-पैसा, भोग-विलास की चीजें छोड़कर तुम कुछ भी माँग सकते हो।क्योंकि ये चीजें इंसान को पत़न की ओर ले जाती है इसलिए जो कुछ भी मांगोगे सोच-समझकर माँगना।' जिन्न ने कहा।

सहज़ फ्लैशबैक में चला गया।

◆ सहज़ शाम के वक्त लैपटाँप पर सोफे़ पर बैठकर काम कर रहा था। 'मैं किटी- पाटी में जा रही हूँ, हर्ष को खाना खिलाकर सुला देना।' नुपूर ने जल्दबाजी में अपना पर्स लेकर कहा।

'यार मैं ये रोज-रोज नही कर सकता। आँफिस से थका-हारा आता हूँ, वापस आँफिस के काम करने होते है मुझे उसके बाद ये सब....।' सहज़ ने बहुत नाप-तोल कर कहा।

'ग्यारह बजे तक लौट आऊँगी।' नुपूर उसकी बात नजर अंदाज कर, दरवाजा बंद कर चली गई। सहज़ ने गुस्से में एक हाथ सोफ़े पर मारा।

◆ आँफिस के लंच टाईम में सभी कर्मचारी लंच कर रहे थे।सहज़ खाने में मग्न था। उसके साथी कर्मचारी ने पीछे से एक टपली मारी। सहज़ ने तुरन्त पलटकर देखा।वह कर्मचारी ऐसे दिखाने लगा जैसे कोई उसे देखकर कह ही नही सकता था कि उसने टपली मारी। उसके घ्यान का फा़यदा उठाकर एक अन्य कर्मचारी ने भी उसे टपली मारी।ऐसे सभी कर्मचारी बारी-बारी उसे टपली मारने लगते है। सहज़ किसी का चेहरा देख न पाता तो किसे कहता। एक कर्मचारी ने पीछे से उसके चहरे पर रुमाल रख दिया और दे तड़ाक-दे तड़ाक...लगातार मारा।

'ऐ माँरूँगा फिर.....।' सहज़ ने अपनी आवाज में क्रोघ

लाकर कहा।

'फिर... तुमने इससे पहले कब मारा था।'

सभी कर्मचारी खिलखिलाकर हँस पड़े।

◆ आँफिस का प्यून सबसे आखिर में सहज़ को चाय देता है।

'मेरी चाय आधी क्यों है? प्लीज मुझे दूसरी लाकर दिजिए।

'क्या महाराज पी लिजिए ना भगवान का नाम लेकर जो भी मिला है। मुझे बहुत सारा काम है। बड़े साहब़ ने केबिन में भी बुलाया है।' प्यून ने कहा।

सहज़ मन-मसोसकर वही चाय पी लेता है।

वह फ्लैशबैक से वापस आ गया।

'मैं अपना गुस्सा किसी के सामने इक्स्प्रेश नही कर पाता इस बात का, लोग मेरा फा़यदा उठाते है।मैं विश चाहता हूँ कि मेरा खून खोले, मैं अपना गुस्सा लोगों पर जाहिर कर सकूँ ताकि लोग मुझसे डरे।' सहज़ ने जिन्न से कहा।

'भगवान तुम्हारी विश पूरी करें।' जिन्न ने अपना  बाँया हाथ अपने दिल पर रखकर आँख बंदकर कहा।उसके इतना कहने

के बाद ही एक तेज़ रोशनी जिन्न के सीने से निकलकर सहज़ के सीने में समा गई।रोशनी के प्रभाव में सहज़ दो कद़म पीछे हट जाना पड़ा।

'अब मैं चलता हूँ।' जिन्न ने कहा।

'एक मिनट मैं अपनी बीवी को बुला लाता हूँ, उसे भी शायद कोई विश चाहिए होगी।' सहज़ ने कहा।

'हमारे कुछ रूल्स होते है, हम एक घर में एक ही व्यक्ति की विश पूरी करते है।'

यह कहकर जिन्न अर्दश्य हो गया।

Sc#2. घर 

स्कृप्ट

समय: 9:00AM


सहज़ ब्रेड- बटर नाश्ता कर रहा था। नुपूर अंदर रूम में तैयार हो रही थी।

'सहज़ मेरा स्कूल आफ चल रहा है। मेरी फ्रेड के मिस्टर आऊट आँफ टाऊँन है। वो काफी एलोन फी़ल कर रही है। मैं सोच रही थी कुछ दिन उसके यहाँ होकर आऊँ। मेरे पीछे प्लीज तुम हर्ष को संभाल लेना। मेड रहेगी तुम्हारी हेल्प के लिए।' नुपूर ने अंदर से ही थोड़ी तेज़ आवाज में कहा।सहज़ अपना नाश्ता छोड़कर तेजी से रूम में आया।वह दिवान के सामने खड़ी होकर मेकअप कर रही थी।वह गुस्से में उसका हाथ पकड़कर झटक देता है। वह 360 degree तक घुम जाती है।

'अय्याशी करने का रोज़ नया बहाना चाहिए तुम्हें। पाँव टिकते ही नही घर में तुम्हारे, लगता है काटने पड़ेगें।हर्ष के प्रति तुम्हारी कुछ जिम्मेदारी बनती है या नही।आखिर तुम भी माँ हो उसकी। कैसे संस्कार डालना चाहती हो उसके अंदर। क्या वह भी तुम्हारी तरह अय्याश बनें, जुआरी बने, पियक्कर बनें।'

सहज़ के इस रूप को देखकर नुपूर भीगी बिल्ली बन गयी 'सहज़ प्लीज जाने दो कल सुब़ह तक लौट आऊँगी।मुझे कुछ उससे प्रसनल काम भी है उससे। ' नुपूर ने डरते-डरते कहा।

'कल सुब़ह मेरे आँख खुलने के बाद तुम मुझे मेरे घर में नही दिखी तो मैं तुम्हें तल़ाक दे दूँगा।' सहज़ ने उसी तेवर से कहा।

बाहर आकर उसकी बाछें गयी।वह सालों की भड़ास निकालने में सफ़ल हो गया था।



Sc#3. आँफिस

स्कृप्ट

समय- 1:05

सहज़ लंच कर रहा था।एक कर्मचारी उसे पीछे से टपली मारी।सहज़ अपनी सीट से उठा, पीछे घुमा और अपने हाथों को हवा में कुछ पल झुलाया और सभी कर्मचारीयों को एक-एक टपली बारी-बारी तेजी से उनके सर पर मारा।

'अब कोई भी टपली मारे पिटोगे सारे के सारे। तो आओ देखते है कौन मुझे पहले टपली मारता है।'

सहज़ को टपली मारने की किसी को हिम्मत नही होती।सहज के इस नये रूप को देखकर सभी अचम्भे थे।सभी बुत बने खड़े रह गए। वह अपनी नयी जिन्दगी से बेहद खुश था।



Sc#4. घर

स्कृप्ट

समय-3:00 AM

नुपूर अपने फ्रेड के घर पर थी। कुछ वैसे ही नुपूर की मुलाका़त उस जिन्न से होती है।

नुपूर भी फ्लेशबैक में चली जाती है।

◆ The process in which plants make their own food is in the presence of water, sunlight and chlorophyll is called photosynthesis.

नुपूर क्लास में बच्चों को पढ़ा रही थी। वह सबसे पीछे बेंच में बैठे तीन लड़को को आपस में बात करते हुए पकड़ती है।

'अजय मैंने तुमलोगों को कितनी बार कहा है जब मैं पढ़ा रही हूँ तो बीच में बात नही करना है।' नुपूर गुस्सें में गरजी।

'मैंडम इसने मुझसे कुछ पूछा, मैं बस उसका जवाब़ दे रहा था।' अजय ने अपने बगल वाले की तरफ़ ईशारा किया।

नुपूर ने बिना किसी की दलील़ सुने बगैर तीनों को दस-दस डस्टर मारा।

◆ 'मैंडम नुपूर! आपके स्टुडेंटस् के साथ मिस्बिहेवियर के काफ़ी कम्पेलन आ रहे है।अगर ऐसे ही चलता रहा तो मुझे आपके बारे में सोचना पड़ेगा।' नुपूर प्रिसिपल चैंब़र में थी।

नुपूर वर्तमान में लौट आती है।

'मैं विश चाहती हूँ- मैं अपने गुस्से पर कंटोल कर सकूँ तो मैं अपने स्टुडेंटस् को और अच्छे ढंग से पढ़ा पाऊँगी। मैं बेहतऱ टीचर साबित हो सकती हूँ और मेरी नौकरी भी बनी रहेगी।'

'भगवान तुम्हारी विश पूरी करें।' जिन्न ने अपना  बाँया हाथ अपने दिल पर रखकर आँख बंदकर कहा।उसके इतना कहने

के बाद ही एक तेज़ रोशनी जिन्न के सीने से निकलकर नुपूर के सीने में समा गई।रोशनी के प्रभाव में नुपूर को दो कद़म पीछे हट जाना पड़ा।

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'अगर गलती से ही आपने एक परिवार के दो सदस्यों की विश पूरी कर दी तो...।' नुपूर ने कहा।

'तो दोनों के विश का प्रभाव दोगुणा बढ़ जाएगा।' जिन्न ने मुस्कुराकर कहा।

'मतलब?'

' अगर कोई विश करे- वह अपना प्यार, लव अपनों से शब्दों के रूप में या भावनाओं के रूप में बया़ नही कर पाता, तो वह मेरे विश की बदौलत ऐसा करने में अच्छे से सक्षम हो जाएगा। लेकिन अगर मेरी विश दो लोगों के पास चली गयी तो वह इंसान प्यार बहुत ज्यादा जताने लगेगा। यही विश दोनों के लिए जहऱ के समान भी हो सकता है।'

Sc#5. आँफिस

स्कृप्ट

समय- 1:00PM

' I am proud of you mr Sahaj, तुमने जब़ से हमारी कम्पनी को ज्वाईन किया है हमें बस फायद़ा ही फायद़ा हो रहा है।काफी सारे स्टाफ़ तुमसे जलने लगे है जो ये दर्शाता है कि तुम कितनी जल्दी तरक्की की सीढ़ी पर चढ़ रहे हो। By the way आज शाम मैंने कम्पनी की सक्सेस के लिए एक छोटी सी पाटी रखी है। तुम तो आओगे ही साथ में अपनी पूरी फै़मली को भी लाना।' सहज़ अपने बाँस के कब़िन में था।उसने बाँस ने गर्मजोशी से सहज़ से कहा।

'शाले सीधे-सीधे क्यों नही कहता कि मैं अपनी बीव़ी को साथ लाऊँ ताकि तू उसके जिस्म को ताड़ सके। क्या मैं नही जानता तू उसे मँहगें-महेंगे गिफ्टस् क्यों देता है। क्या मैं नही जानता कि तू उसकी तारीफ़ करने के बहाने़ ईधर-उधर छूने की कोशिश करता है।'

' साँरी सर मैं अपने कहे शब्द वापस लेता हूँ।' सहज़ को स्वंय पर यकीन नही होता कि अभी वह क्या कह गया। वह विश के प्रभाव में था।

'Get out, you are fired from my company. never show me your face.' उसके बाँस ने तिलमिल़ाकर कहा।

'साँरी सर मुझे माफ़ कर दिजिए।' सहज़ गिड़गिड़ाया।

उसके बाँस ने गाड के द्वारा उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया।

सहज़ को समझ नहीं आया कि उसके साथ हुआ क्या। विश का प्रभाव बढ़ कैसे गया। उसने अपने माँगे विश के कारण गुस्सा भी आया कि इस विश के कारण उसकी नौकरी चली गयी।

Sc#6. क्लासरूम

स्कृप्ट

नुपूर क्लास में पहूची तो वह आत्म-विश्वास से लब़रेज थी क्योंकि उसे यकीन था, आज वह अपने विश की बदौलत बच्चों पर गुस्सा नही करेगी।

Q. Convert 90kmph into metres per second.

नुपूर यह सव़ाल बच्चों को बहुत अच्छे से समझाती है।

' अगर नही समझ में आता है तो मुझसे पूछो-एक बार पूछो, दो बार पूछो, सौ बार पूछो- नही बताएगें तब ना बोलोगे।' नुपूर ने स्टुडेंटस् से कहा।

'मैंडम समझ में नही आया।' क्लास के एक बेहद़ शैतान बच्चे ने कहा।

नुपूर ने वापस उसे बहुत अच्छे से समझाया।

' मैंडम फिर समझ में नही आया?' वह पूरे शरारत़ के मुड में था।

नुपूर ने वापस उसे बहुत अच्छे से समझाया- इस तरह उसने उसे 66 बार समझाया। मगर वह बिल्कुल भी क्रोधित नही हुई।हर बार वह दोगुने उत्साह के साथ मुस्कुराकर उसे समझा रही थी। 67 वे बार वह बेहोश होकर गिर पड़ी।

Sc#7. स्कूल के बाहर

स्कृप्ट

समय- 2:00 PM

हर्ष के विधालय की छुट्टी हो चूकी थी। उसके स्कूल बस़ के भरने व प्रस्थान करने में थोड़ा समय था इसलिए वह बस के आस- पास टहल रहा था।

'पक्का यही लड़का है ना? वहाँ से कुछ दूरी पर बाईक

सवार एक व्यकि्त ने अपने पीछे बैठे व्यकि्त से पूछा।

'पक्का यही है-तगड़ा माल है, बाप इसका साँप्टवेयर इंजिनियर है और माँ इसकी स्कूल टीचर।' पीछे बैठे व्यकि्त.ने उत्साह से कहा।

वह बाईक हर्ष के करीब़ लेकर जाता है।

'अरे हर्ष बेटा! मैं आपके पापा का दोस्त हूँ ।मैं आपके पापा के साथ आँफिस में काम करता हूँ। आपके पापा ने आपको जल्दी घर आने कहा है। वो आपको डिज्नीलैंड घुमाने ले जाने वाले है।' आगे वाले व्यकि्त ने गाने के अंदाज में कहा।

'और मम्मी?'

'मम्मी भी स्कूल से छुट्टी लेकर आपके लिए आ रही है।' पीछे वाले व्यकि्त ने भी गाने के अंदाज में कहा।

'आपलोग सच कह रहे है?' हर्ष ने पूछा।

' बेटा हम झुठ क्यों बोलेगें।' दोनों ने एक साथ जवाब़ दिया।

हर्ष उनके साथ बाईक पर चला जाता है।

Sc#8. स्टोर रूम

स्कृप्ट

हर्ष का अपहरण हो चुका था। वह अकेला बंद कमरे में था- कुर्सी पर हाथ-पाँव बंधे तथा मूँह टेप से बंद था। वह अभी भी स्कूल यूनिफ्रोम में था।

जिन्न प्रकट होता है।

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'अंकल प्लीज़ मुझे यहाँ से निकाल दो।'

' वो तो मैं निकाल ही दूँगा, तुम अपनी विश बताओ।' जिन्न ने मुस्कुराकर कहा।हर्ष भी फ्लेशबैक में चला जाता है। जब वह क्रिकेट खेलता है तो आऊट-नाँट आऊँट जैसे बातों में दोस्तों से झगड़ पड़ता है।जब उसे कोई गाली देता है या उसके माता-पिता के बारे में भला- बूरा कहता है वहाँ वह शांत रहता है।

'मुझे जहाँ शांत रहना चाहिए वहाँ गुस्सा आ जाता है। और जहाँ गुस्सा होना चाहिए वहाँ मुझे बूरा महसूस़ नही होता।

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' भगवान तुम्हारी विश पूरी करें।'

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'अगर गलती से आपने एक ही परिवार के तीन सदस्यों को विश दे दिया तब क्या होगा ?' हर्ष ने बेहद़ उत्सुक होकर पूछा।

' तो तीनों व्यकि्तयों के विशेज़ Neutral हो जाएगी। उन तीनों के विशेज का असर बिल्कुल समाप्त हो जाएगा।। उनकी जिन्दगी पहली जैसी हो जाएगी।' जिन्न की आँखों में अपार तेज़ था।

उपसंहार

नुपूर जब होश में आती है तब वह बेहद़ क्रोधित हो जाती है। उस स्टुटेंड को T.C दिलवाकर ही मानती है।

सहज़ का बाँस उसे वापस काम पर बुला लेता है क्योंकि वह अपने बेहद़ प्रतिभाशाली कर्मचारी को गँवाना नही चाहता था।। वह अपने किए के लिए माफ़ी माँगता है और यह वायद़ा करता है, अब वह उसकी बीवी को गलत नजरों से नही देखेगा।।

वत्तमान

अब नुपूर वापस बच्चों को पढ़ाते वक्त क्रोधित हो जाती है स्वयं पर काबू नही रख पाती।नुपूर एक बार फिर घर से ज्यादा बाहर समय बिताती है। सहज़ एक बार फिर उसे मना नही कर पाने में विवश था। मगर हाँ उसके दोस्त अब उसे टपली नही मारते। उसके साथ सम्मान का व्यवहार करते है।



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