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Go-Go Gourav

Children Stories

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मैं स्कूल नहीं जाऊँगा...

मैं स्कूल नहीं जाऊँगा...

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मेरे पड़ोस में एक बच्चा रहता है डुग्गु। उसका स्कूल का नाम क्या है पता नहीं। हम लोग तो उसे डुग्गु ही बुलाते है। अभी उसकी उम्र पाँच वर्ष की होगी। एक दिन स्कूल से आते ही उसने ऐलान कर दिया - मैं कल से स्कूल नहीं जाऊँगा अब से भैंस चराऊँगा। भैंस वाली बात उसने शायद इसलिए कही होगी क्योंकि मैंने भैया को कई बार अपने बच्चों को कहते सुना था अगर स्कूल नहीं जाओगे तो भैंस चराना पड़ेगा। उसे शायद पढ़ाई से ज्यादा आसान भैंस चराना लगा होगा।


यह सुनते ही भाभी तो बहुत डर गई। उनकी साँसे बहुत तेजी से चलने लगी। उन्होंने घबराहट में अपनी पति की तरफ़ देखा। भैया ने उन्हें शान्त रहने के लिए कहा।

उन्होंने घुटनों के बल बैठाकर प्यार से उसकी ठोढ़ी पकड़कर कहा - बेटा आप सिर्फ एक महीने के लिए स्कूल चले जाइये मैं आपसे प्रोमिस करता हूँ फिर जैसा आप चाहेंगे वैसा ही होगा। लेकिन एक महीने तक आप मुझसे कोई भी सवाल नहीं पूछेंगे। डुग्गु मान गया।


अगले दिन डुग्गु स्कूल गया, क्लास में बैठा। सभी से होमवर्क माँगा गया मगर उससे नहीं। उससे ब्लैकबार्ड से काँपी करने के लिए भी नहीं कहा गया। घर आने पर वह अपने बड़े भाई जो कि सात साल का है उसके साथ ट्यूशन पढ़ने के लिए बैठा। मगर उसके बड़े भाई को ही पढ़ाया गया उसे नहीं। वह हर रोज स्कूल जाता मगर मूक दर्शक की तरह बैठा रहता। स्कूल का कोई काम नहीं करने उसे नहीं कहा जाता।


ऐसा एक महीने तक चला। डुग्गु ने भी कोई सवाल नहीं पूछा कि उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया जा रहा है क्योंकि वह तो खुश था कि उसे पढ़ना नहीं पड़ रहा है।


एक महीने बाद भैया ने उससे कहा - बेटा कल आपके एक महीने पूरे हो रहे है। प्रोमिस के मुताबिक कल हम आपके लिए भैंस खरीदने चलेंगे। बताइये कौन सी कलर की भैंस आप लीजिएगा । ब्लेक, वाईट या आपकी फे़बरेट ब्लू वाली।


डुग्गु ने रोते हुए कहा -नहीं पापा मुझे भैंस नहीं चराना मुझे पढ़ना है। मुझे स्कूल जाना है। पहले जब मैं टेस्ट में अच्छे नंबर लाता था तो मैंडम मुझे पप्पी देती थी फिर चाँकलेट देती थी। लेकिन अब तो मुझे टेस्ट में बैठने भी नहीं दिया जाता। पहले जब मैं पढ़ाई करने के बाद मोबाइल खेलता था तो ज्यादा मज़ा आता था। मगर अब नहीं उतना मज़ा नहीं आता। रिसेस के टाइम में मेरे सारे दोस्त पढ़ाई के बारे में ही बातें करते है मगर इतने दिनों में तो मैंने कुछ पढ़ाई ही नहीं कि तो मैं उनसे क्या बातें करूँ ? प्लीज पापा मुझे स्कूल जाना है.....


भैया-भाभी ने उसे गले लगा लिया। फिर भैया ने प्रिंसिपल मैंडम को Corporate करने के लिए थैंक्स कहा और कल से उन्हें बाकी बच्चों के जैसे ही टीट् करने के लिए कहा।


उस दिन के बाद डुग्गु ने फिर कभी ऐसी जिद नहीं की।



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