Go-Go Gourav

Romance

4.2  

Go-Go Gourav

Romance

मेरी डायरी का एक पन्ना

मेरी डायरी का एक पन्ना

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आज sunday था।आज के दिन भी अगर मैं सुबह-सुबह mobile-laptop लेकर बैठ जाता तो बीवी की चिक-चिक शुरू हो जाती- आग लगे तुम्हारे इन चीजों को। ये घर तुम्हारा भी है। तुम्हें तो office वाले sunday को छुट्टी दे देते है लेकिन मेरा क्या, मैं काम करते-करते मर जाऊँ फिर भी तुम्हें कोई फर्क नही पड़ने वाला।

तो मैं अपनी बीवी के काम को कम करने के लिए drawer की साफ़-सफाई करने लगा। मुझे एक पतली सी copy दिखी।मैं अपना सफाई का काम छोड़कर उस copy को देखने लग गया। मुझे याद़ आने लगा कि मैं अमित़ाब जी की फिल्म ' Don' से inspire होकर copy में ही diary लिखना start किया था। कैसे उसमें police inspector की diary लिखने की आद़त से उसके मरने के बाद भी कई बातों का पदाफार्श हो गया। वैसे ही अगर कभी मैं मर जाऊँ या मार दिया जाऊँ तो मेरे बारे में लागों को काफी कुछ पता चल जाएगा।। शुरू के कुछ दिनों में लिखने में बहुत मजा़ आया फिर सारे दिन repetation होने लगे। 'कितना boring है हर दिन एक जैसी ही बातें लिखना। एक दिन मैंने उसे अपनी life से निकाल फेंका।

present

मैंने copy को बीच से खोला और पढ़ना start किया। मैं एक पन्ने से ज्यादा उसे पढ़ नही पाया। मैंने उसे बंद तो कर दिया लेकिन मेरे mind ने आगे के पन्नो को Recycle bin से copy, paste कर मेरे folder पर paste कर दिया था। उसमें वो files भी update हो गयी थी जो उन पन्नो में नही थी।

22 july 2004 sunday

ये generally शादियों का मौसम होता है। generally हमारे घर में शादियों के invitation आते ही रहते थे। मैं हमेशा मम्मी-पापा के साथ ही शादियों में जाता था।आधा time पापा के साथ उनके friends के साथ, आधा time मम्मी के साथ उनके friends के साथ बिताता था।एक मिनट के लिए भी उनसे अलग नही होता है। कभी किसी शादी में मेरा कोई friend दिख जाता था तो हमारे आँखों में shine आ जाती थी। हम आँखों से ही एक -दूसरे से hi-hello कर लेते थे।

एक बार पापा के common friend के घर से शादी का invitation card मिला। पापा के वो common friend मेरे कई दोस्तों के पापा के common friend थे। Means what हम काफी सारे common friend उस शादी में मिलते वाले थे

मैं 6th standard में था, अगले March में 7th में जाने वाला था। अगर हमेशा की तरह इस time भी मैं अपने मम्मी-पापा के साथ गया तो मेरे friends मुझे mummy boy-mummy boy चिढ़ाऐगें। मम्मी-पापा से पहले ही मैं घर से निकल गया। Marriage spot पर पहूँचते ही मुझे चार friend मिल गए।एक लेट से आया।ये आज की शादियाँ नही थी जो जाते ही लोग पंडाल में प्लेट लेकर मँगते दिख जाते है।तब system आज की तरह नही होता था। system था कि बारातियों के आने के बाद, उनके खाने के बाद ही धरातियों को खिलाया जाएगा। Average ले तो 12 तो बज ही जाते थे। बचपन में मैं बारात आने तक का wait नही कर पाता था। झपकी आनी शुरू हो जाती थी। मम्मी कोई खाली room देखकर मुझे सुला देती थी। बारातियों के खाने के बाद मुझे जगाकर, गोद में बिठाकर खाना खिलाती थी।

अब मैं बड़ा हो रहा था तो मुझे रात़ जागने की आदत हो चली थी। हम पाँचों friends ने शादी में full मस्ती करने का plan बनाया। हमने दुल्हा-दुल्हन के seat पर बैठकर मजा़ किया। मेहमानों के बैठने के लिए कुर्सियों के बीच भाग-भागकर छूआ-छूत खेला। चोर-सिपाही, दोस्त को अंधेरी जगह ले जाकर 'भागो भूत है' डराया। बहुत कुछ किया फिर भी अभी बारात आने में काफी time बचा था। अब हमें ऊँबकाई और नींद दोनों आने लगी। मैं और time-pass करने के लिए दोस्तों से अलग होकर tarrace पर चला गया। Terrace पर मैं अकेला था। दस मिनट में ही कुछ लड़कियाँ terrace पर आई। उनके group में 5-6 लड़कियाँ थी। सभी बहुत खिलखिलाकर बातें कर रही थी। जब उनका शौर increase हो गया तो मेरा घ्यान उस ओर चला ही गया। Terrace पर light नही थी फिर भी moon light में मुझे उसका चेहरा clear दिख गया। उसने लहँगा पहन रखा था। वह बिल्कुल करिश्मा-कपूर जैसी दिख रही थी। मैं bet लगा सकता था, करिश्मा-कपूर बचपन में उसके जैसी ही दिखती होगी। उसने मुझे देखते हुए देख लिया था। अब वह भी अपने सहेलियों से बातें करते हुए मुझे चुपके से देख लेती थी। मेरा लड़कियों से रिश्ता notes exchange तक ही होता था। मैं उन लड़कों में से था जो लड़कियों को ताड़ने के बाद अगला step क्या होना चाहिए ये exactly पता ही नही होता। अगले दस मिनट बाद वह अपने सहेलियों के साथ चली गई। मुझे लगा मैंने मौका नही लड़की को ही गँवा दिया। मैं अपना next step सोच ही रहा था कि वह भागकर वापस आई और मेरे थोड़े करीब़ आकर-8340176577 बोलकर अपने दोनों हाथों से लँहगा उठाकर छम-छम पायल बजाती हुई उसी speed से भाग गई। मेरी ऊँबकाई, बोरियत, नींद भी यह सुनकर भाग गई। 

मैं घर जाकर जब तक उस No को अपने notebook में note नही कर लिया उसे दुहराता रहा।

अगले दिन रात़ को खाने के बाद नौ बजे उसे call किया।

'Hello मैं बोल रहा हूँ।' 

'कौन ?' वह मुझे पहचान चूकी थी फिर भी comform करने के लिए उसने पूछा।

'मैं शादी वाला लड़का।' 

' शादी करनी है क्या आपको ?' यह कहकर वह खिलखिलाकर हँस पड़ी और मैं यह सुनकर मुस्कुरा पड़ा।

मैंने अपना नाम वेंदात, उसने कल्याणी बताया। मेरी एक-दो जान-पहचान वाली का नाम मेरे एक cousin का नाम भी कल्याणी था। it's sound like south indian black poor dirty people. मगर उस वक्त मुझे यह नाम दुनिया का सबसे खूब़सूरत नाम लगा। उसने बताया वह रिश्त़े में दुल्हन की cousin लगती है। वह मुझसे 100 km की दूरी पर थी but thanks to B.S.N.L phone पर मुझे हमार दूरी 1m जितनी ही लगती थी।

Next day मैंने class में announcement कर दिया कि 'i have a girlfriend.' may be girlfriend ही सही word था। मैं एकदम से normal boy से celebrity बन बैठा। वे लड़के भी जो मुझसे बात-बात पर लड़ने के बहाने ढूढा़ करते थे वे भी मुझे अपनी seat पर बिठाकर मेरी love story सुनकर ऐसे खुश होते थे जैसे गाँव के लोग रमायण का नाटक देखकर होते है। Girls मुझसे पहले से ज्यादा sweet voice बनाकर मुझसे talk करने लगी।

हमें ज्यादा romantic बातें करना नही आता था। हम ज्यादातर ईधर-उधर की ही बातें किया करते थे ' आज school में क्या-क्या किया, तुम कब सोते-जगते हो, तुम्हारी favorite movie कौन सी है' वगैरह-वगैरह। फिर भी कभी हम दस मिनट से ज्यादा बातें नही कर पाए। मुझे उससे बात करने के excitement से ज्यादा इस बात की excitement रहती थी कि मैं अगले दिन, कल क्या-क्या बातें की पूरे class को सुनाऊँ। 

2004 में आप middle class family से हो या upper class family से सबके घर में एक mobile तो रहता ही था और एक ही mobile रहता था। आज की तरह नही घर में जितने member उतने mobile. हमें भी उसी एक mobile से call करना पड़ता था।

उसने मुझे शाम के 4-6 के बीच ही फोन करने कहा था। इस time उसके पापा market जाते थे। मम्मी पड़ोस के आँटियों के यहाँ गप्पे मारने जाती थी। उसका बड़ा भाई जो10th में पढ़ता था वह अपने friends के साथ क्रिकेट खेलने निकलता था। और वह घर पर अकेली होती थी।

लेकिन जब वह मुझे खुद Anytime call करने लगी तो मैंने भी उसके इस information को धीरे-धीरे ignore करते-करते forget कर गया।

एक दिन रात़ के आठ बजे मैंने उसे मैंने उसे call किया। उधर से एक भारी आवाज आई ' Hello'

मैंने कहा- hello कल्याणी

'हाँ मैं कल्याणी ही बोल रही हूँ।' उधर से आवाज आई।


मैं समझ गया ये जरूर कोई ओर है जरूर उसकी मम्मी होगी। मैंने फोन तुरन्त switch off कर दिया। मुझे समझ में नही आ रहा था ये हो कैसै गया? फिर मैंने सोचा problem से भागते नही है उसे face करते है। मैंने phone switch on कर उस No. पर call किया। वह उसकी मम्मी ही थी। वह हमारे बारे में सबकुछ पूछती गई और मैं gentleman की तरह बताता गया। उसने मुझे warning दी कि उसे पापा शहर के बहुत बड़े D.S.P है अगर मैंने उसे phone करूँगा तो वह उसके पापा को बता देगी।

मैं Really काफी डर गया था और उसे फोन करना बंद कर दिया। कुछ दिनों बाद उस No. से call आया मुझसे रहा नही गया मैंने उठा लिया। वह कल्याणी थी उसने बताया कि उसने मम्मी ने मुझे डराने के लिए झूठ बोला था। उसके पापा govt . teacher है।

अब हमारी बातें सिफ Regularly 4-6 में ही होने लगी। एक दिन मुझे वही 'कड़क hello' सुनाई दिया। मैंने झट से phone switch off कर दिया। इस बार मेरी हिम्मत नही थी phone switch on करने की। phone on तो मुझे करना ही था क्योंकि ये मेरा नही मेरे घर का फोन था। मुझे पूरा यकीन था उसकी मम्मी दूबारा call करेगी ही। मैं स्कूल चला गया और phone मम्मी या पापा ने उठा लिया तो मेरी क्या खैर होगी?

मैंने स्कूल नही जाने का हर मुमकिन बहाना बनाया' school में आजकल पढ़ाई नही हो रही है, तब़ीयत ठीक नही है, प्रिसिपल सर मर गए' लेकिन मम्मी के आगे मेरी एक ना चली। उन्हें बहूँ में नही marks में interest था।

जब मैं school से घर आया तो सबकुछ normal था जैसे हर दिन होता है। मम्मी ने वैसे ही मेरा welcome किया जैसे हर दिन करती है। मुझे अच्छे से खाना खिलाया। फिर मुझे डाँट पिलाया गया।

मम्मी ने कहा- ये कोई उम्र है ईश्क लड़ाने की।

पापा ने- अब मुझे पता चला मेरे phone का balance mobile company से नही तुम्हारी आशिकी की वज़ह से कट रहा था।

मम्मी ने मुझे वह सारी बात बताई जो कल्याणी की मम्मी ने उसने कही थी। उनकी बातों से मुझे ऐसा लगा कि कल्याणी को इस वज़ह से बहुत मार पड़ी है।

फिर मैंने कभी ना उस No. पर call किया और ना उस No. से कभी कोई call आया।

डायरी के पन्ने की तरह ही हमारी जिन्दगी में अनेक पन्ने होते है। हर पन्ने बेहद़ खास़ वह खूब़सूरत़ होते है। हम कितने भी कोशिश कर ले हर पन्ने को हम समेट नही सकते। एक-आध पन्ना छूट ही जाता है।


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