कोई है .....
कोई है .....
रात के १.४२ बजे थे .....।
सुनसान सड़क .....।
चारो और अंधेरा........।
बस स्टॉप से उतर के मै चल रही थी ......।
करीब ५ साल वाद मै गांव जा रही थी ...।रस्ता भी ठीक से मांलूम ना था ...।रात को में मुझे वहां पर ऑटो भी नहीं मिलेगा ये मुझे पता था .....।साथ में एक टॉर्च था ....।पता नहीं मन मै एक अजब सी डर लगने लगा था ...।पहले सुना करती थी कि इस सड़क पे भूत आता है ...।बरगद की पेड़ पे रहेता है वो भूत ....।और थोड़ी देर ....और थोड़ी देर ....ऐसे खुद को बोलके में चल रही थी ........।
पीछे मोमुड़ के देखने की हिम्मत तो नहीं थी .....।अचानक पीछे से घुंगुरू के आवाज आने लगी ....।
ऐसे लग ररहा था कि कोई आ रही है मेरे पीछे .....।
पर कौन .......?
क्या मुड़ के देखूं ...?
या ना देखूं ....?
फिर से आवाज़ आने लगी ....।मेरे मन में ना जाने क्या क्या खयाल आने लगा ....।कहीं ये वो तो नहीं जिस औरत को दहेज के लिए ससुराल वालों ने मांर दिया था ......।कहीं उसकी आत्मां भटक तो नहीं रही है ना .......।उसको जैसे बेहरमी से मांरा था उन लोगों ने , शायद उसी की भूतनी है ये .......।
मेरा हार्ट बीट बढ़ने लगा .....।बदन कांपने लगा था .....।फिर भी मैं चलने लगी थी ....।मन में अब डर की अलार्म और जोरो से बजने लगी थी ....।
टॉर्च मार के देखने लगी .....।
आस पास कोई नहीं था ....।
फिर से में चलने लगी .....।
थोड़ी देर बाद फिर से किसी की रोने कि आवाज़ आने लगी ....।ऐसे लग रहा था जैसे कोई छोटी सी बच्ची रो रही है ......।अभी भी पीछे मुड़ के देखने ह
िम्मत ना थी ...।मैंने सोचा कहीं ये वो लड़की तो नहीं जिसकी अपहरण करने कुछ लोग बलात्कार किए थे .....।पता नहीं उस मांसूम से बच्चे पर क्या बीता होगा .....।लोग भी दिन ब दिन हैवान बनते जा रहे हैं........।झिंकरियों की झिं शब्द मेरे कान को ब्यस्त कर रही थी .....।मेरी पैर और आगे बढ़ नहीं रहे थे ......।
बरगद की पेड़ के पास गुजरने लगी तभी एक सफेद रंग की कुछ नजर आया मुझे उस पेड़ पर ....।ऐसे लग रहा थी कि कोई बैठा है , उस पेड़ पर ......।
बहत डर लगने लगा.....।चारो और मांनो किसी की चीख तो फिर किसी कि रोने की आवाज़ तो फिर किसी की आहट .....।ऐसे लगा कि एक बूढ़ा आदमी बरगद की पेड़ की नीचे बैठ के रो रहा है .....।मैंने सोचा कि शायद ये वही बूढ़े पिता है जिसको उसकी बेटे ने घर से निकाल दिया था .....।सारे अतृप्त आत्मा मानो मिल के रो रही थी ......।डर से मेरा हाथ कांपने लगा ......।मैंने चिल्लाना सुरु कर दिया ........।
बचाओ बचाओ बचाओ ...........।
कोई तो बचाओ ..............।
तभी मांं आ कर मुझे पूछने लगे क्या हुआ , क्या हुआ ....?यकीन नहीं हो रहा था कि में वो सब सपने में देख रही थी ..........।
इतना भी भयानक सपना मैंने पहले कभी नहीं देखा था .........।मां को सब बताया ......।मां समाज में सभी शोषित, अत्याचारी त, वर्ग की आत्मां भूत बन कर वही बर्गत की पेड़ के पास रो रही है .......।क्या हम उनको ऐसे मरने से बचा नहीं सकते ........?अभी भी मेरा गला सूखा हुआ था .......।बदन पे पसीना छूट रहा थी ........और हाथ कांप रहे थे ..........।
क्या सच में उस पेड़ के पास कोई है ........... ?