मन की विद्रोह
मन की विद्रोह
आरे रीना सुन तो।
वहां क्या कर रहा है ?
रीना के मा रीना को पुकारते है।
रीना अपनी बाबा और मा के साथ एक झुपडी मै रहती है। रीना के उम्र १४ साल है। रीना पंचमी कक्षा तक पढ़ने के बाद और पढ़ाई नहीं हो रही है। वो पढ़ना चाहती है पर गरीबी के बोझ तले उसकी पढ़ाई आगे बंद है।
बाबा उसकी पंगु है और मा लोगों के घर में बर्तन मांजती है।
रीना की मा को सब शीला बेन बोलते है और बाबा हरिहर है।
आज ऐसा क्या हुआ कि रीना इतनी गुस्से में है।
मां - क्या हुआ रीना ? मेरी बच्ची, क्यों नाराज है तू ? बता तो सही।
रीना - मां
मां - हां बोल बेटी, क्या हुआ ?
रीना - तू इसे सबके घर में काम ना कर।
मां - आरे पगली, काम नहीं करूंगी तो खाना कैसे मिलेगा ?
काम तो करना पड़ेगा ना।
रीना - अच्छा।
मां - हूं।
रीना - काम करने वाली की कोई सम्मान नहीं है क्या ?
मा में पढ़ना चाहती हूं, और नौकरी करने के वाद तुझे काम नहीं करना पड़ेगा।
मां - तू भी ना पगली है।
हमारे जैसे लोग पढ़के क्या करेंगे।
तू कल से मेरे साथ काम पे चलना।
ठीक है ?
रीना - नहीं मा। मुझे पढ़ना।
मा - चुप पगली।
जा खाना खाले। सो जा।
सुबह हो गई शीला उठ के सारे काम निपटा के, अपने पति को खाना खिलाकर, बिस्तर मै सुलाकर काम के लिए तैयार है।
आज वो साथ मै रीना को लेके चलेगा।
पर रीना जाना चाहती नहीं है।
बहत समझाने पर रीना मा के साथ चलती है
कुछ देर बाद शीला जाके काम करने वाले घर मै पहंच जाती है।
शीला - मालकिन, देखो आज मैंने साथ मै किसको लाई हूं।
मालकिन - आरे ये तो तेरे बेटी है ना।
शीला - हां मालकिन, आज से ये मेरी साथ काम सीखेगा और आपके घर की काम करेगी।
रीना - नहीं मालकिन मै पढ़ना चाहती हूं।
शीला - चुप के से ( चुप कर।पढ़ाई, पढ़ाई )
मालकिन - अच्छा ठीक है।
मुझे ऑफिस जाना है।
तू अपनी बेटी को सीखा दे।
और अब से रीना मा के साथ काम सीख ने हर रोज आती है, पर मन मै हमेशा ना पढ़ पाने की दुख थी, पर फिर अपनी मा, बाबा के हाल देख कर वो राजी हो गई काम पे जाने की।
उसके मा तीन घर मै काम करती है, अब बो मिशेस भद्रा के घर के काम उसकी बेटी के हात में दे दी।
बेटी भी काम पे जाने लगी।
भद्रा मैम्म---- रीना मै अपनी मा के घर जा रही हूं।
साहब जी के खयाल रखना, वक्त पे खाना दे देना।
रीना - हां मालकिन।
ये कह कर मिसेश भद्रा चली गई।
रीना काम पे हर रोज आ रही थी।
साहब जी उस को ज्यादा काम करने के लिए मना करते है।
और केहेते की रख को, मै खाना मांगा कर खा लूंगी, तुम्हे पढ़ना अच्छा लगता है ना ?रीना बहत खुश हो कर बोलती है हां साहब जी।
तो ठीक है तुम कल से मेरे पास बैठ के पढ़ लेना।अब से रीना जल्दी जल्दी साहब घर जाती है।
दो दिन साहब जी ने उसको पढ़ना सिखाते रहे।
साहब जी - कल तुम रीना जल्दी आ जाना, और दिन भर रुक जाना। हम ज्यादा पढ़ाई करेंगे।
रीना आ गई साहब घर।
साहब जी उस दिन पढ़ाने के बहाने उसकी पीठ पर हाथ सेहेलाते रहे।
जो कि रीना को थोड़ी की अजब लगी।
फिर इसे हि आगे की दो, चार दिन कभी पीठ मै, कभी गाल पे हात लगाते रहे।
अब रीना को अच्छी नहीं लग रही थी।
एक दिन साहब जी जब उसको मोबाइल पे कुछ गंदे वीडियो दिखाने लगे तो रीना गुस्सा हो कर उनको थप्पड़ मारा, और किचेन जा कर एक चाकू ला कर साहब जी के हात मै घाओं करके अपनी घर चली गई।
घर जाने की बाद मा से कहने लगी सारे बाद।
माँ और बेटी रोने लगे।
तभी पुलिस आ कर रीना को साहब जी घर से चोरी करने की इल्जाम देने लगी।और रीना सिर्फ १४ की होने के बज ह से वार्णीइंग दे कर चल रही थी।
रीना चिल्ला कर सच बोल रही थी।
पर उसके बात किसीने ना सुना।
आस पड़ोस आके रीना को ही डांट ने लगे।
शीला, रीना को समझा कर घर के अंदर ले गई।
पर रीना के मन में विद्रोह चल रही थी
हजार सवाल उसके मन में थी ?
भगवान से पूछ रही थी, क्यों मुझे ऐसे लाचार बना दिया ? क्यों बड़े लोगों के पास कोई दिल नहीं है ? क्यों वो सब हमको खिलौना समझ रहे है ? पर पता नहीं था उसके मन की विद्रोह कब ख़तम होगा ?