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Priyadarsini Das.PriYa❤️

Tragedy

2  

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प्यार तेरा

प्यार तेरा

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शाम को वक्त था। मैं बैठी थी मेरी रूम में, बाहर बैठते हुए मुझे याद आया वो पल..जब में थी तुम्हारी जिंदगी आई। तब मैं खुद से बात करने लगी।

पता है खुद भी हँसने लगी और फिर रोने भी लगी। क्या तुम्हें भी याद होगा वो पल। सावन का महीना था। मैं क्लास में थी, तेरा मेसेज आया। वॉट्सएप खोलने ही वाली थी की तेरे काल आ गया।

प्रोफेसर से अनुमति ले के मैंने क्लास की बाहर गई।

आरे जल्दी से नीचे आ जा।

क्यों क्या हुआ?

अरे मैं तेरे यूनिवर्सिटी के गेट के बाहर हूं।

सच मैं ?

हां रे भाई, हां।

अरे यकीन नहीं हो रही है।

पहले आ तो सही।

पता है उस वक्त मैंने रोने लगी थी। सच में मुझे यकीन नहीं हो रहा था, की तू सच में मुझसे मिलने आया है।

१० साल के बाद मुझे तेरे नम्बर मिला था। पहले तो मुझे डर लग रही थी। इसीलिए कभी भी कॉल करने की हिम्मत नहीं हुआ।

पर जब तू ने कहा से मेरी नंबर ला कर कॉल किया तो मैंने तुझ से बात की..

उसके बाद वॉट्सएप की मेसेज आया

और तभी से मैंने तुझ को सिर्फ इस मेसेज से ही महसूस किया है।

पर आज तू सच में ..!

यकीन नहीं हो रही है ..।

ये सोचते सोचते ना जाने कब मैंने गेट के पास पहुंच गई थी।

गेट के पास जाके तुझे ढूँढने लगी , पर तू वहां पर था ही नहीं ।

दिल तो फिर से टूट गया।

फिर कॉल आया।


अरे तू कहां रह गई ..?

यही गेट के पास।

अच्छा! मुझे तो कहीं नजर नहीं आ रही हो।

तू कहां है? बता तो सही।

१५ कदम आगे आ जा।

१५ कदम जाने के वक्त मन में १५ बाते चल रही थी

क्या तू मुझे पहचान पाएगा?

तू कैसे देखने में होगा अब?

क्या वही छोटा सा, गोलू जैसे होगा तू।

१५ कदम के वाद एक लड़का नजर आया, जो कि पीठ करके खड़ा था।

और वो तू ही था।

उसके बाद तूने पलटा।

तूने बोला

अरे यहां देख...हूं

क्या हूं ?

कुछ तो बोल।

क्या तू सच में मेरे सामने है?

पता नहीं मेरा ये सवाल तुझे कैसे लगा था।

तू थोड़ी देर मुझे देख कर मेरी हाथ पकड़ लिया।

चल कहीं चलते है।

कहां ..?

कहीं भी।

बस तू मेरे हाथ पकड़ कर चल।

मैंने भी एक अच्छे बच्चे की तरह तेरा हाथ पकड़ कर चलने लगा।

तूने बोला था 

पता है ऐसे लग रहा है कि मेरे एक बहुत करीब लोग के पास आज मैं हूं।

सच में ?

हां, सच।

जो बरसों से कह नहीं पाया, आज बोलना चाहता हूं।

क्या?

जरा मेरे आंखों को देख तो। तू समझ जाएगा।

कुछ भी तो नहीं है तेरे आंखों मैं।

और मुझसे ये सुन कर तू मुझे कस के पकड़ लिया था, और रोने लगा था।

तू बोलने लगा

बहुत प्यार करता हूं तुझसे और इंतजार नहीं होता।

ये बोल कर तूने मेरी माथे पर चूमने लगा था।

बोलना तू भी प्यार करती है मुझसे.?

और मैं कुछ बोल नहीं पाई।

क्यों की घर में मेरी शादी की बाद पापा ने पक्की कर ली थी।

बस चुप चाप खड़ी रही।

कुछ तो बोल।

तेरी ये चुप्पी मेरे जान ले रही है।

पापा ने मेरी शादी पक्की कर लिया है।

प्यार तो तुझे मैं बहुत ज्यादा करती हूं। आज बहुत खुश हूं कि तू भी मुझे प्यार करता है, पर दुख ये है कि मैं मेरे पापा की बात टाल नहीं सकती। उनके खिलाफ जा नहीं सकती। मेरी ये बात सुन कर तू छोटे बच्चे की तरह रोने लगा था। और में चाह कर भी कुछ कर नहीं पाई।

दोनों आखिर बार आलिंगन करके, तेरे माथे पे मैं एक प्यार भरा किस्सी दे कर चली आई थी।

पता है वो पल आज भी मेरी दिल मैं वैसे ही है। उस वक्त की तरह खुशी के पल मुझे जिंदगी में नहीं मिलेगी और उस पल की तरह दुख पल भी नहीं।

आज तुझ से बहुत दूर रह कर भी, उसी पल में ही हर पल जी रही हूं।

शायद इसी लिए प्यार सिर्फ पा लेने में ही नहीं बल्कि कभी कभी खो देने भी होता है।


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