कमअक्ल

कमअक्ल

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तुम्हें कोई बात समझ क्यों नहीं आती?? कमअक्ल कहीं की!!!


ये बात हम में से बहुत लोगों ने सुनी होगी।अक्सर औरतें को कमअक्ल कह कर संबोधित किया जाता है।औरत की गोद से पैदा हो कर उस से अपने सारे काम करवा कर ,ऑफिस की भड़ास निकालकर औरत को कमअक्ल कह कर पुरूष अपनी बुद्धि पर इतरा रहा होता है।हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां औरत ही औरत की दुश्मन है।जब एक औरत को डाँटा जा रहा होता है तो दूसरी औरत उसका सहारा बनने की बजाय मज़े ले रही होती है।


खैर सब के घर की तो बात नहीं लेकिन सीमा के घर में तो रोज़ यही होता था।।चलिए मिलते हैं सीमा से......


सीमा एक बहुत ही प्यारी,पढी -लिखी और समझदार लड़की थी।पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ सीमा की माँ ने उसे घर के सारे काम और खाना बनाना भी अच्छे से सिखा दिया ताकि ससुराल में उसे कुछ सुनना न पड़े।लेकिन ससुराल तो ससुराल ही होता है।ससुराल में जब तक बहु को चार बातें न सुनाई जाएं घर वालों को चैन कहां मिलता है!सीमा की भी शादी की उम्र हो गई।लड़के की तलाश शुरू हो गई।उसके लिए घर वालों ने रोहित को पसंद किया।रोहित एक बहुत ही अच्छा लड़का था।चट मंगनी पट शादी हो गई।शादी करके सीमा ससुराल आ गई।पढी-लिखी और समझदार तो थी ही आते ही ससुराल में सब के साथ घुल-मिल गई ।रोहित भी उसका बहुत ध्यान रखता था।देवर और ननद ने तो यहां तक कह दिया,"भाभी लगता ही नहीं आप कहीं बाहर से आई हो।ऐसे लगता है आप शुरू से ही यहां रह रही हो।"


देवर और ननद के अलावा घर में सास-ससुर और जेठ-जेठानी भी थे।ससुर और जेठ जी का स्वभाव भी ठीक था।सास को हर काम में बोलने की आदत थी चाहे वो सुबह उठना हो,खाना बनाना हो या उसने कहीं बाहर जाना हो.....सास का मुँह फूला ही रहता।जेठानी उसके मिलनसार व हंसमुख स्वभाव,उसके खाना बनाने , उसकी दुनियादारी की समझ देखकर अंदर ही अंदर उससे कुढने लगी क्योंकि हर मामले में वह उससे उन्नीस ही थी।वह कई बार उसे नीचा दिखाने की कोशिश भी करती क्योंकि जेठ जी की कमाई रोहित से अधिक थी। सीमा किसी की बात का बुरा नहीं मानती थी और चुपचाप अपना काम करती क्योंकि वह इस बात से खुश थी कि रोहित उससे बहुत प्यार करता था और उसे समझता भी था।


कुछ समय के बाद सीमा के देवर और ननद की भी शादी हो गई।सास उसकी देवरानी का बहुत ध्यान रखती और सीमा के हर एक काम में कमी निकालती और उसे कमअक्ल कह कर बुलाती।सीमा सब कुछ सुन लेती थी।पलट कर जवाब नहीं देती थी क्योंकि उसे लगता था कि सब कुछ समय के साथ ठीक हो जाएगा।समय बीतता गया।सीमा ने एक प्यारी सी नन्ही परी को जन्म दिया। बेटी पैदा होने के बाद तो सास का व्यवहार उसके साथ और भी खराब हो गया क्योंकि उन्हें बेटा चाहिए था। उसकी बेटी को उसकी सास गोद में भी नहीं बैठने देती थी। अपना सारा प्यार जेठानी और देवरानी के बेटों पर लुटाती।


पहली बेटी के बड़े होने पर सीमा फिर से माँ बनी।सबको आस थी कि इस बार लड़का ही होगा लेकिन इस बार भी बेटी ही हुई।सीमा और उसकी बेटियों की हालत बद्तर होती जा रही थी।सास सीमा पर बेटे के लिए दबाव बना रही थी लेकिन डॉक्टर ने दूसरी बेटी के समय ही कह दिया था कि सीमा बहुत कमज़ोर है।अब दोबारा माँ नहीं बन पाएगी।रोहित ने तो अब सीमा की तरफ़ देखना ही छोड़ दिया था।सीमा की सास भी रोहित को भड़काती रहती कि कैसी कमअक्ल बहु मिली है हमें।उससे सारा काम भी करवाते और कमअक्ल भी कहते।इसी तरह उन की शादी को बारह साल बीत गए। उसके सास-ससुर चल बसे।सीमा को लगा कि शायद अब रोहित का व्यवहार भी उसके लिए ठीक हो जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।रोहित उसकी किसी बात पर ध्यान नहीं देता और हमेशा उसे कमअक्ल कह कर बुलाता।अब सीमा को कमअक्ल कहना उसकी आदत बन गई थी।


सीमा ने अब यह सुनना अपनी जिंदगी का हिस्सा मान लिया था।वह अपने बच्चों के लिए सब सहने को तैयार थी।कम से कम सर पे छत तो थी।बेटियों के ले कर कहाँ जाती।उसके माँ-बाप चल बसे थे।भाई-भाभी ने तो उससे पल्ला ही झाड़ लिया था।सीमा अब चुपचाप रहने लगी थी।उसका सिर भी भारी सा रहने लगा था।रोहित को बताने का कोई फायदा नहीं था .... उसने हंस कर यही कहना था,"खाली दिमाग है तुम्हारा,सिर भारी कैसे हो सकता है।"जब कभी भी उसका सिर भारी होता या चक्कर आते,खुद ही दवाई खा लेती और काम में लग जाती।एक दिन सीमा खाना परोस रही थी , उसे चक्कर आया और वह बेहोश हो कर गिर गई। रोहित उसे हॉस्पिटल ले गया।हॉस्पिटल में डॉक्टर ने उसके टैस्ट किए,सिर का भी स्कैन किया।डॉक्टर ने रोहित से पूछा," सीमा को चक्कर कब आने शुरू हुए हैं?" रोहित के पास कोई जवाब नहीं था क्योंकि सीमा ने कभी बताया ही नहीं,न ही उसने सीमा से कभी उसकी तबीयत के बारे में पूछा।


डॉक्टर ने बताया कि सीमा के दिमाग में कैंसर है वो भी अंतिम स्टेज।उसके पास बहुत कम समय है।यह सुन कर रोहित के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।उसने जैसे तैसे खुद को संभाला और सीमा को घर ले कर आया।अब वह सीमा का बहुत अच्छे से ध्यान रखता,बार बार पूछता ,"तुम ठीक हो न।" सीमा धीरे से मुस्करा कर हां में जवाब देती।सीमा ने अपनी बेटियों को उन के काम खुद करने सिखाए ताकि उसके जाने के बाद रोहित या उसकी बेटियों को कोई परेशानी न हो।बच्चे भी सब कुछ सीख गए।उसकी बेटियां सीमा के साथ-साथ रोहित का भी हाथ बंटाती थीं।अब रोहित को सीमा और अपनी बेटियों के साथ व्यवहार पर पछतावा होता था।एक दिन सुबह रोहित उठा और अपने और सीमा के लिए चाय बनाकर लाया।उसने सीमा को आवाज़ दी लेकिन सीमा तो जा चुकी थी,दूर कभी न लौट कर आने के लिए।कुछ दिन बाद रोहित सीमा की हार टंगी हुई तस्वीर के सामने खड़ा हुआ था।तस्वीर में सीमा मुस्कुरा रही थी मानो कह रही हो ,"अब किसे कहोगे..…कमअक्ल!!"


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