पिंजरा
पिंजरा
आसमान में उड़ते हुए, चहचहाते हुए परिंदे कितने प्यारे लगते हैं, लगते हैं न। इनके लिए कोई सरहद, कोई सीमा, कोई दीवार नहीं होती। सारी दुनिया ही इन का घरोंदा होती है। जब चाहें कहीं भी उड़ जाते हैं।
कभी-कभी मन करता है कि इन परिंदों की तरह कि काश...हम भी इनकी तरह आसमान में उड़ जाएं... करता है न। अपनी सारी मुसीबतों और परेशानियों से दूर उड़ जाएं बहुत दूर। लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाते क्योंकि हम इंसान हैं। हम उड़ नहीं सकते। हमें भगवान मे पंख नहीं दिए उड़ने के लिए बल्कि हमें हौसले दिए हैं उन परेशानियों से लड़ने के लिए... जूझने के लिए। हमें मुश्किलों से लड़ना पड़ता है, जूझना पड़ता है। खुद पर भरोसा रखना पड़ता है कि हम फेल नहीं होंगे हम इन मुसीबतों के पिंजरे से आज़ाद हो सकते हैं। खुले आसमान में पंख फैला कर उड़ सकते हैं।
यह कहानी इंसान रूपी तोते की है जो अपने पिंजरे को छोड़ कर उड़ नहीं पाया। इस तोते की तरह हम भी कई बार अपने पंखों की उड़ान पर भरोसा नहीं कर पाते। परिस्थितयों के पिंजरे से आज़ाद हो कर उड़ान भरने की कोशिश ही नहीं करते और जिंदगी के आगे घुटने टेक देते हैं।
एक बहुत ही प्यारा तोता था। बाकी परिंदों की तरह भगवान मे उसे भी पंख दिए थे, उसने भी उड़ना सीखा था। वह रोज़ खुले आसमान में अपने पंख लहराता, चहचहाता, उड़ान भरता, दाना चुगता और वापिस अपने घोंसले अपने घर लौट जाता।
एक दिन कुछ बच्चे गुलेल से पेड़ पर पत्थर मार रहे थे। किसी बच्चे की गुलेल का पत्थर तोते को लगा और वह घायल होकर गिर गया। वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति ने उसे घायल अवस्था में देखा और अपने घर ले आया । घर आकर उसकी मरहम पट्टी की। फिर उसे खाने के लिए उसकी मनपसंद का चीजें जैसे मक्के की दाना, अखरोट और ताजे फल-सब्जी वगैरह दिए।
कुछ दिन में तोते का घाव भर गया। अब उस व्यक्ति को तोते से लगाव हो गया था और तोता भी दाना खाता और उसके पीछे-पीछे बोलता। तोते को सुनने के बनाने अब उस व्यक्ति की दुकान पर लोग भी ज्यादा आने लगे और उसकी कमाई भी बढ गई।
जब तोता पूरी तरह से ठीक हो गया और उसने उड़ने से पहले उसका धन्यवाद किया तो उस व्यक्ति के मन में लालच आ गया। वह उसे अपना पालतू तोता समझने लगा था। उसे लगा कि तोते के उड़ने के बाद उसकी कमाई फिर से कम हो जाएगी।
उसने तोते से कहा, "अब तुम्हें उड़ने की, दाने के लिए इधर उधर भटकने की क्या जरूरत है?तुम्हें तुम्हारा मनपसंद खाना तो मिल ही रहा है। तुम अब मेरे पास आराम से रहो। तुमने देखा तुम्हें सुनने के लिए कितने लोग आते हैं। सब तुम से कितना प्यार करते हैं। मैं भी तुम से बहुत प्यार करता हूँ मेरे दोस्त। "
तोते ने कहा कि ठीक है। कुछ दिन तो तोता मजे से रहा । उस आदमी ने उसे चालाकी से एक पिंजरे में बंद कर दिया। पिंजरा तो पिंजरा होता है चाहे वो सोने का हो या लोहे का।
अब तोते का पिंजरे में दम घुटने लगा। जब तोता अपने साथियों को आसमान में उड़ान भरते देखता तो उदास हो जाता। उसका मन भी आसमान में अपने पंख लहराने...उड़ान भरने के लिए मचलता।
एक दिन उसने उस व्यक्ति से कहा, "दोस्त!इतने दिन मैंने आपका कहना माना, लेकिन जिंदा रहने के लिए सिर्फ दाना ही नहीं चाहिए। रूह की खुराक की भी जरूरत होती है। मेरी रूह की खुराक मेरी उड़ान है। मैं अपने पंखों को फैला कर आसमान में उड़ना चाहता हूँ दूसरे परिंदों की तरह, । "
पहले तो मालिक ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन जब तोता किसी तरह से भी नहीं माना तो उसने कहा कि ठीक है, "मैं तुम्हें कल उड़ने का एक मौका दूंगा। तुम उड़ सकते हो तो उड़ जाना। "
रात को उसने धीरे से एक जंजीर तोते के पैरों में डाल दी। अगली सुबह उसने पिंजरा खोल दिया और बोला, "उड़ जाओ मेरे दोस्त!भरो उड़ान। "
तोते ने खुशी-खुशी अपने पंख फैलाए और उड़ान भरी । पर क्या ...वो तो उड़ ही नहीं पाया। उसने फिर कोशिश की पर उड़ान नहीं पाया। तोते मे पीछे मुड़ कर देखा तो वो व्यक्ति खड़ा हंस रहा था। उसने जंजीर देखी ही नहीं, न ही दोबारा पंख फैलाने की कोशिश की और वापस पिंजरे में लौट गया।
उस व्यक्ति ने कहा, "मैंने तो तुम्हें उड़ने का एक मौका दिया था। तुम तो फेल हो गए। अब तुम्हारे पंखों में उड़ने की ताकत नहीं रही। तुम -कभी उड़ नहीं पाओगे। अब तुम्हारा कोई वजूद नहीं है। यह पिंजरा ही तुम्हारी दुनिया है। "
तोते ने सोचा, "दोस्त ठीक कह रहा हैं। मेरे पंखों में अब उड़ने की ताकत नहीं है। अब मैं नहीं उड़ पाऊंगा। " वह चुपचाप दाना खाने लगा। मक्के का दाना उसके गले में अटक गया। उसके तीखे दांत जो अखरोट के छिलके भी आराम से चबा लेते थे आज मक्के का दाना चबाने में भी फेल हो गए। दाना गले में अटक गया और तोते के प्राण पखेरू उड़ गए और वो जिंदगी के 'पिंजरे से आज़ाद हो गया।
