किला
किला
उसने अपने पड़ोस में घर की एक चाबी हमेशा रख रखा था, क्योंकि ऑफिस जाने के बाद हाउस मैनेजर वहाँ से चाबी लेकर अपना काम करके जाती थी।एक चाबी रोज अपने पर्स में रखकर वह ऑफिस जाती थी।कल दिन भर के hectic schedule के बाद वापसी में मार्किट के सारे काम निपटाते हुए उसने पर्स में टटोल कर देखा तो चाबी नही मिली।चलो, आज पड़ोस से चाबी ले लेते है यह सोच कर वहाँ गयी।उसके वहाँ जाने पर मालूम हुआ की वे लोग कही बाहर गए हुए है।कैंपस में ही किसी के घर में बैठ कर उनका wait करने के अलावा कोई और चारा नही था उसके पास।
रात का समय था।पड़ोसी आने पर चाबी मिली और वह अपने घर में आ गयी।
थोड़ी देर के लिए उसे लगा जैसे खुशियों की कोई चाबी मिल गयी है।इस अनुभव से जिंदगी की तरफ देखने का नजरिया भी बदल सा गया.....
अब तक उसका घर उसे कुछ दीवारों और छत के combination से बनी हुई एक बेजान इमारत लगती थी लेकिन आज रात वह बेजान इमारत उसे एक सुकून और महफूज रखने वाला कोई किला लग रहा था और साथ ही लग रहा था उसका अपना घर.......