खूनी दरिंदा भाग 2

खूनी दरिंदा भाग 2

3 mins
7.8K


राजनिवास खन्ना की आँखें तब फटी की फटी रह गईं, जब उन्होंने पाया कि वह भयानक चूहा बुरी तरह छटपटाने के बाद फूलकर बहुत बड़ा हो गया और हलकी सी आवाज के बाद फट पड़ा और उसके मृत शरीर से भारी मात्रा में कुछ जंतु निकलने लगे जो बड़े ही विचित्र थे। उनकी आठ बड़ी-बड़ी टांगें थीं माथे के बीचों-बीच केवल एक आँख और नाक की जगह एक लंबी नोकदार सूंड जो किसी इंजेक्शन की सुई जैसी लग रही थी।

उन जीवों ने बाहर निकलते ही उत्पात मचाना शुरू कर दिया। वे सर्वभक्षी लग रहे थे और महा भूखे। उन्होंने हर चीज को कुतरना और खाना शुरू कर दिया। खन्ना के हाथ पाँव फूल गए। उन्होंने पास पड़ी हुई भारी किताब उठाई और एक जंतु पर दे मारी उसका मलीदा बन गया और गाढ़े हरे रंग का खून बह निकला। खन्ना जल्दी-जल्दी किताब उठा कर उनपर पटकने लगे। कई जंतुओं का खात्मा हो गया पर बाकी के बड़ी तेजी से चीजों को खाकर ख़त्म करने में लगे हुए थे।  और आश्चर्य यह कि उनका आकार भी भोजन करने पर बढ़ने लगा था।

अचानक खन्ना को आभास हुआ कि उनकी दाईं टांग और पीठ पर भयानक जलन हो रही है। उन्होंने देखा कि एक जंतु उनकी टांग से चिपटा हुआ उसे कुतर रहा है वे समझ गए कि दूसरा जंतु जरूर पीठ पर चिपटा हुआ है। उन्होंने एक पैर से टांग पर चिपके जंतु को मसल दिया और पीठ पर चिपके जंतु को हटाने की जुगत में लग गए पर उनका हाथ वहाँ तक पहुँच नहीं पा रहा था और पीठ पर चिपका जंतु बुरी तरह उनकी चमड़ी को काटकर अब मांस में धंस रहा था तो खन्ना छटपटाते हुए पीठ के बल गिर पड़े और बुरी तरह पीठ को भूमि पर रगड़ने लगे। जंतु दब कर मर गया पर अब तक एक दो और उनसे चिपक चुके थे।  खन्ना भारी मुसीबत में फंस चुके थे।

दीवार पर आग बुझाने का यंत्र लगा हुआ था खन्ना ने सोचा कि शायद उसके रसायन से इन जंतुओं के खात्मे में मदद मिल सके तो वे हिम्मत करके दीवार की ओर लपके। कई जगह से भयानक जंतु खन्ना को काट कर उनका लहू पी रहे थे पर अदम्य साहस दिखाते हुए वे दीवार तक पहुँच कर यंत्र उतारने में कामयाब हो गए और उसे उतार कर उन्होंने रसायन का छिड़काव आरम्भ कर दिया। इसका बड़ा सकारात्मक परिणाम सामने आया। रसायन का छिड़काव होते ही जंतु खन्ना को छोड़ कर नीचे गिर पड़े और बुरी तरह छटपटाते हुए  मरने लगे। खन्ना की जान में जान आई। वे घूम-घूम कर जंतुओं पर रसायन का छिड़काव करते हुए उन्हें परलोक भेजने लगे।

सारे जंतुओं के खात्मे के बाद खन्ना ने चैन की सांस ली और कुर्सी पर जाकर ढह से गए। वे बुरी तरह थक गए थे और उनके बदन से कई जगह रक्त रिस रहा था। वे बैठे हांफ से रहे थे कि अचानक एक जंतु मेज के कोने से प्रकट हुआ जो अपनी लाल इकलौती आँख से खन्ना को घूर रहा था और इनपर झपटने की ही मुद्रा में था। खूब पेट पूजा कर चुकने के कारण उसका आकार काफी बड़ा हो गया था। खन्ना हड़बड़ा कर उठे कि यंत्र लेकर उसपर रसायन छिड़क सकें पर उनका पाँव फिसल गया बचने के लिए उन्होंने हाथ फैलाया तो टेबल पर स्पिरिट लैंप पर कुछ देर पहले उबल रहा रसायन जो अब ठंडा हो चुका था उसकी चपेट में आ गया और झटके से हवा में उछल कर खन्ना की देह पर आ गिरा। खन्ना को भयानक पीड़ा महसूस हुई। उनका बदन ऐंठने लगा। शरीर के अंदर तक भारी हलचल होने लगी। वे भूमि पर गिर कर बुरी तरह तड़पने लगे।

 

क्या हुआ आगे ?

रसायन का खन्ना पर क्या प्रभाव पड़ा ?

क्या खन्ना उस भयानक जंतु से पार पा सके ?

कहानी अभी जारी है पढ़िए भाग 3 .......

 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Action