Arya Vijay Saxena

Horror

4.7  

Arya Vijay Saxena

Horror

खूनी बावड़ी

खूनी बावड़ी

7 mins
635



हाजिर हूँ आपके समक्ष एक और डरावना किस्सा लेकर l उम्मीद करता हूँ ये किस्सा भी आप सभी को डरने को मजबूर कर देगा l तो चलिए सुनाते हैं आपको ये किस्सा l

बात उत्तराखंड के देहरादून जिले के एक छोटे से गाँव की है l मालती, 20 साल पहले सुधीर से शादी करके इस गाँव मे आयी थी l बहुत खुश थी शादी के बाद अपने पति के साथ l दोनों हँसी खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे l सुधीर के पास पुश्तैनी थोड़ी सी जमीन थी, जिससे उनका गुजारा मुश्किल से हो पाता था l

सुधीर बहुत खुद्दार था, भूखा रहना मंजूर था, पर किसी के आगे हाथ फैलाना मंजूर नहीं था l खेत मे जो भी काम होता दोनों मिलकर कर लेते थे l समय गुजरता गया, शादी के चार साल बाद मालती ने एक सुन्दर से बेटे को जन्म दिया l दोनों ने बेटे का नाम प्यार से मोहन रखा l बेटे को पाकर दोनों बहुत खुश थे l

एक दिन मालती की दुनिया उजड़ गई, सुधीर रोड एक्सीडेंट मे मारा गया l हँसता खेलता परिवार पल मे बर्बाद हो गया l मालती भी मरना चाहती थी, पर मोहन का क्या होगा ये सोचकर सिहर जाती थी l मालती ने हिम्मत नहीं हारी, पूरी मेहनत और लगन से खेती करने लगी l उसकी मेहनत का ही नतीजा था कि अब उसके पास दुगुनी जमीन हो गई थी l

मोहन- "माँ ओ माँ, माँ ओ माँ, क्या सोच रही हो ?" मालती हड़बड़ाकर, कुछ नहीं बेटा, कुछ पुरानी बात याद आ गई थी l

मोहन - "माँ खेत नहीं जाना, सूरज सिर पर चढ़ आया है, फिर इतनी गर्मी मे कौन गेहूं काटेगा ?"

मालती - "हाँ बेटा चल जल्दी चलते है, फिर गर्मी हो जाएगी lमैं रोटी और सब्जी बाँध लूँ, तब तक तू भागकर पानी की बोतले भर कर ले आया l वरना वहाँ खेतों मे दूर दूर तक पानी नहीं मिलता l

मोहन - "अभी आया माँ पांच मिनट मे, बस तू रोटी बांधकर तैय्यार रखना l"

मालती - "चल बेटा चल, जल्दी चल, पहले ही बहुत देर हो चुकी l" दोनों चलते जाते हैं l

मोहन - उत्सुकता से, "माँ ओ माँ वो वहाँ खंडहर सी हवेली किसकी है l यहाँ कौन रहता है ? "

मालती -" कुछ नहीं बेटा, बस तू सीधा चलता रह, उधर मत देख l "

मोहन - "बताओ ना माँ, कौन रहता है वहाँ, किसकी है ये हवेली l"

मालती गुस्से से - "तुझे समझ नहीं आता, जब एक बार बोल दिया तो बार बार क्यों पूछ रहा है ? "

मोहन - "नाराज होते हुए, ठीक है माँ, अब नहीं पूछूँगा l और कभी भी कुछ नहीं पूछूँगा l"

मालती - "नाराज मत हो बेटा, शाम को तुझे बाजार से जलेबी लाकर दूंगी l"

:- दोनों जल्दी से अपने खेत की और बढ़ जाते हैं l

मालती - "मोहन, ओ मोहन, ये रोटी और पानी वहाँ घास पर रख दे, और जल्दी से आ, आज बहुत काम है l"

मोहन गुस्से से - "आता हूँ अभी, "

:- दोनों मिलकर गेहूं काटना आरंभ करते हैं, धीरे धीरे गर्मी भी बढ़ने लगती हैं l

मालती - "बेटा पानी लाना ज़रा, बहुत प्यास लगी है, आज ना जाने सूरज देवता क्या करके छोड़ेंगे

मोहन चुपचाप से - पानी लेकर आता है, बोतल माँ के सामने रखकर अपने काम मे लग जाता है l

मालती - "अब तूने क्यों मुहँ फुला रखा है, क्या हुआ तुझे, बात क्यों नहीं कर रहा मुझसे l"

:- उधर से कोई जवाब नहीं आता, मोहन चुपचाप अपने काम मे लगा है l

मालती- "अच्छा ठीक है, जब रोटी खाएंगे, तब तुझे बता दूंगी सब कुछ l"

मोहन खुशी से -" सब कुछ ? "

मालती- "हाँ सब कुछ l"

:- दोपहर मे दोनो खाना खाते हुए, मोहन मालती से पूछता है अब बताओ माँ l

मालती- "बेटा पहले वादा कर की तू वहाँ कभी नहीं जाएगा l"

मालती मोहन से - "बेटा वो हवेली भी गुलजार हुआ करती थी, गाँव के जमींदार की हवेली थी, भरा पूरा परिवार था उनका l पर एक दिन जमीदार के दो बेटों ने गाँव की ही एक लड़की से दुराचार करके, और उसका कत्ल करके हवेली के आँगन मे बने कुएं में फेंक दिया l

मोहन - फिर क्या हुआ माँ, बताओ ना, बताओ ना l

मालती - बेटा वो लड़की तो मर गई, पर उस लड़की की आत्मा अभी भी वहाँ है, उसने जमीदार के पूरे परिवार को खत्म कर दिया l केवल बुढ़ा जमीदार बचा है, जो शहर मे रहता है l

:- मोहन अवाक रह जाता है, पूरी उत्सुकता से सुन रहा होता है, और ये सुनकर डर भी जाता है l

मालती - खाना खाते हुए, चल बेटा जल्दी से खाना खा ले, फिर काम भी करना है l

मोहन- ठीक है माँ, तू चल मैं आता हूं l

:- पूरा घटनाक्रम सुनकर मोहन सोच मे पड़ जाता है, सिर्फ और सिर्फ उसके दिमाग मे हवेली वाली घटना चल रही होती है l

मालती - मोहन, ओ मोहन, बेटा पानी देना ज़रा, बहुत प्यास लगी है, प्यास से गला सूखा जा रहा है l

मोहन - माँ पानी तो खत्म हो गया, थोड़ा सा ही बचा था, रोटी खाने के बाद मैं पी गया l

मालती - अब कैसे काम करेंगे शाम तक बिना पानी के, मुझे तो चक्कर भी आ रहे हैं गर्मी से l

मोहन - मैं जाकर बोतल भरकर ले आऊँ, गाँव से l अभी आ जाऊँगा पानी लेकर l

मालती- सुन बेटा, जल्दी आना पानी लेकर, और हाँ हवेली की तरफ बिल्कुल मत जाना l

मोहन - ठीक है माँ अभी आता हूँ पानी लेकर l

:- मोहन पानी लेने चल पड़ता है, किसी सोच मे खोया हुआ l

भरी दुपहरी थी, चारो ओर सन्नाटा पसरा था l दूर दूर तक कोई इंसान दिखाई नहीं दे रहा था l मोहन तो बस किसी सोच मे डूबा चला जा रहा था l

अचानक हवेली के सामने पहुंचकर उसके पैर खुद ब खुद रुक जाते हैं l जैसे किसी अंजान शक्ति ने उसके पैरों को जाम कर दिया हो, कोई अदृश्य शक्ति जैसे उसे हवेली की तरफ खींच रही हो l

तभी मोहन को हवेली के मुख्य गेट के पास एक नलकूप दिखाई दिया l

मोहन डरते हुए - क्यों ना इसी नलकूप से पानी भर लिया जाए l इतनी दूर गाँव मे भी नहीं जाना पड़ेगा l

:- उत्सुकता और एक अजीब से डर के साथ मोहन आगे बढ़ता है l तभी अचानक उसे अपने आसपास किसी के होने का आभास होता है l मोहन डर से चारो ओर देखता है, पर कोई दिखाई नहीं देता l

:- हवेली के पास पहुंचकर मोहन बड़े गौर से देखता है, पुराना दरवाजा, जर्जर हो चुकी ईंटे, मकड़ी के जालों से अटी पड़ी पूरी हवेली l

जिसे देखकर मोहन का मन बेचैन हो उठता है, वो जल्दी से वहाँ से जाना चाहता है l भागकर नलकूप पर जाता है पानी भरने के लिए, पर ये क्या, नलकूप तो खराब है l

तभी उस पर पीछे से कोई झपट पड़ता है, मोहन माँ, माँ चिल्लाता है l डर के मारे अपना मुहँ नीचे झुकाकर बैठ जाता है l

कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने पर जब आवाज आनी बंद हो जाती है तो मोहन देखता है कि वो तो चमगादड़ थे l अब मोहन बहुत डर जाता है l

जैसे ही वहाँ से जाने के लिए कदम आगे बढ़ाता है तो पास के कुएं से अजीब सी आवाज आती है l जिसे सुनकर मोहन की रूह काँप जाती है l

श्शशशशशश्शशशशशश

मोहन उत्सुकता से कुएं की तरफ देखता है, जैसे वहाँ कोई है l

फिर वही आवाज आती है, मोहन उत्सुकता और डर से बावड़ी की तरफ देखता है l

धीरे धीरे कदमों से मोहन बावड़ी की तरफ बढ़ता है, अचानक फिर से उसे वो भयानक आवाज सुनाई देती है l मोहन की आँखों से आँसू आने लगते हैं, एक बार को मोहन वहाँ से जाने की सोचता है l

पर कोई अंजान शक्ति उसे बावड़ी की ओर खींच रही है, उसके कदम खुद ब खुद बावड़ी की ओर जाने लगते हैं l मोहन नजरे घुमाकर इधर उधर देखना चाहता है, पर देख नहीं पाता है l

बावड़ी के पास पहुंचकर अचानक मोहन के कदम खुद ब खुद रुक जाते हैं l मोहन की आँखों से लगातार आँसू बह रहे हैं l

फिर उसे एक चीख सुनाई देती है, चले आओ, चले आओ l

जैसे ही मोहन बावड़ी मे झांकने की कोशिश करता है, अचानक उसे अपनी माँ की आवाज सुनाई देती है, मोहन बावड़ी मे मत झाँकना बेटा, मत झाँकना l

पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी, बावड़ी का वो भयानक काला साया मोहन को अपनी आगोश मे ले चुका था l

बावड़ी मे झांकने के साथ ही मोहन के प्राण पखेरू उड़ चुके थे l

सब कुछ शांत हो गया था, मोहन की लाश बावड़ी के पास बेज़ान सी पड़ी थी l मालती का रो रो कर बुरा हाल था l मोहन के ग़म मे मालती भी पागल सी हो गई l आज फिर उस खूनी बावड़ी ने एक बलि ले ली थी l आखिर कब थमेगा ये मौतो का सिलसिला l


           



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror