खून के रिश्ते
खून के रिश्ते
पाँच भाई अपने माता-पिता के साथ चार कमरों के मकान में रहते थे। तीन भाइयों के विवाह के पश्चात तीनों विवाहितों को मकान की छत पर दो-दो कमरे बनवा कर अलग कर दिया गया था। चौथे भाई के विवाह के बाद दूसरी मंज़िल पर कमरे बनवाना थे। छत पर रह रहे तीन में से तीसरा भाई यह कहकर अड़ गया- "मेरे कमरों की छत पर मैं ही कमरे बनाऊँगा।"
कमरे निर्माण को लेकर घर में विवाद होने लगे। माता-पिता समझाते, 'सब भाई हो, मिलकर रहो। लड़ाई करना अच्छी बात नहीं है, आखिर खून का रिश्ता है....'
पिताजी चौथे से बोले, "मकान मेरा है। कहने और करने में फर्क होता है, तू कमरे बनवाने का काम चालू करवा दे..."
सामान आया, निर्माण कार्य शुरू हुआ। निर्माण कार्यों के साथ-साथ विवादों ने जोर पकड़ा। एक रात तीसरा, पीकर ऊपर चढ़ा और ईंट- सरिए इधर-उधर फेंकने लगा। चौथा भाई सामान फेंकने की आवाज सुनकर ऊपर चढ़ा। दोनों में फिर विवाद हुआ। तीसरे ने गुस्से से हाथ में पकड़े सरिए से चौथे के सिर पर जोरदार वार किया। सिर फटने से चौथा वहीं ढेर हो गया।
खून के रिश्ते थे सो रिश्तों का खून हो गया था.....